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मंदिर को बनाया मस्जिद: चित्तौड़ में ऐसा प्राचीन स्थल, आइये जानें इसकी सच्चाई के बारे में
Temple in Chittorgarh: सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि एक खूबसूरत मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया।
Temple in Chittorgarh: ताजमहल को लेकर चल रहा विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ था की एक और विवाद शुरू हो गया है। ऊपर से गुम्बद और नीचे से मंदिर प्रतीत होते एक स्ट्रक्चर की तस्वीर सोशल मीडिया पर अलग अलग कैप्शन के साथ वायरल हो रही है। तस्वीर शेयर करने वालों ने दावा किया है की ये संरचना एक मंदिर थी जिसे एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। बीजेपी के सुरेंद्र पूनिया ने फोटो को हिंदी में एक कैप्शन के साथ शेयर किया और लिखा है, "मुग़लों और बाक़ी Invaders का Architecture इतना बेजोड़ और विचित्र था क़ि उन्होंने जो भी बनाया उसके Basement में हमेशा मंदिर ही रखा।
#KnowYourHistory।" पूनिया का ट्वीट उस कथित दावे के संदर्भ में है जिसमें ताजमहल के 22 बंद कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां होने का दावा किया गया है। कई ट्विटर यूजर्स ने इस तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया कि चित्तौड़ में एक हिंदू मंदिर को मुगलों ने मस्जिद में बदल दिया था।
ये तस्वीर इसी दावे के साथ ट्विटर पर 2020 में भी वायरल हुई थी और फेसबुक पर भी काफी शेयर की गई थी।
क्या है इस दावे की सच्चाई?
फैक्ट चेकिंग वेबसाइट alt news ने इस तस्वीर की पड़ताल की है। वेबसाइट ने अपने फैक्ट चेक में बताया, "हमने फोटो पर एक गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया और 2011 से एक फोरम मिला जहां सुदीप्तो रे ने कोलकाता से राजस्थान की अपनी सेल्फ-ड्राइविंग ट्रिप की तस्वीरें पब्लिश कीं थी। सुदीप्तो ने अपने पोस्ट में वायरल तस्वीर को कैप्शन के साथ शेयर कर लिखा, "साफ तौर पर मंदिर एक मस्जिद में परिवर्तित"।
हमने दोबारा कीवर्ड सर्च किया और हमे मंदिर के सामने के हिस्से को दिखाती m एक और तस्वीर मिली। कैप्शन के अनुसार, यह चित्तौड़गढ़ किले में एक पुराना शिव मंदिर था। हमने फिर से एक गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया और विकिपीडिया के अनुसार मंदिर का नाम "श्रृंगार चौरी" है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि इस क्षेत्र में कई मंदिर हैं जिनके शीर्ष पर गुंबद हैं। गुंबद इस क्षेत्र में मंदिरों की एक सामान्य विशेषता प्रतीत होती है।"
मस्जिद मंदिर में परिवर्तित करने का कोई साक्ष्य नहीं
ऑल्ट न्यूज़ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में मध्यकालीन पुरातत्व के विशेषज्ञ प्रोफेसर एमके पुंधीर से संपर्क किया। उन्होंने कहा, "जब भी किसी के द्वारा सत्ता में किले पर कब्जा किया जाता था, तो वह तबाह कर दिया जाता था। इसके बावजूद, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि श्रृंगार चौरी मंदिर को एक गुंबद बनाकर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था। इसके अलावा, अगर ऐसा होता, तो राजपूत जब भी नियंत्रण हासिल करते तो गुंबद को नष्ट कर देते।"
ऑल्ट न्यूज़ ने पंडित शोभालाल शास्त्री। द्वारा संकलित 1928 में प्रकाशित पुस्तक 'चित्तौड़गढ़' को भी देखा। पुस्तक में श्रृंगार चौरी पर आधारित एक चैप्टर है और उसमें बताया गया है कि मंदिर मूल रूप से राजा रतन सिंह द्वारा 1277 में बनाया गया था, लेकिन चित्तौड़ की पहली घेराबंदी (1303) में नष्ट कर दिया गया था और 1448 में कोषाध्यक्ष वेलाका द्वारा फिर से बनाया गया था। इसका कोई उल्लेख नहीं है इसे मस्जिद में तब्दील किया गया हो।
अब अगर निष्कर्ष पर पहुंचे तो चित्तौड़ के श्रृंगार चौरी मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित कर देने का दावा निराधार है।
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