TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

शर्त लगा लो भैया, 'सूफी संत कबीर' के बारे में इतना नहीं जानते होगे

Rishi
Published on: 28 Jun 2018 4:53 PM IST
शर्त लगा लो भैया, सूफी संत कबीर के बारे में इतना नहीं जानते होगे
X

मगहर : आंबेडकर के बाद अब नेताओं के ह्रदय में बसे हैं सूफी संत कबीर। चुनावी दहलीज पर देश खड़ा है और निर्वाण के 500 साल बीत जाने के बाद जहां आज भी कबीर दिलों में बसे हैं। वहीं नेता जी लोग भी उनमें वोट तलाश रहे हैं। लेकिन हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि जो हम बताने वाले हैं वो हमारे कईयों नेताओं को पता ही नहीं होगा।

ये भी देखें : कबीर बहाना, दलित वोट पर मोदी का निशाना

15वीं सदी के भारत में हुए थे कबीर। 'कबीर' का नाम अरबी शब्द अल-कबीर से लिया गया है। इसका हिंदी अर्थ है 'महान'। बेशक वो महान तो हैं ही।

कबीर को मानने वाले 'कबीरपंथी' कहलाते है। इनकी संख्या 9.6 मिलियन है।

कबीर के जन्म को लेकर जो सबसे प्रचलित कथा है। उसके मुताबिक कबीर का जन्म काशी में हुआ। उनकी माता एक ब्राह्मण विधवा थी। जिसने जन्म तो दिया लेकिन उन्हें त्याग दिया। इसके बाद नीरू और नीमा नाम के मुस्लिम बुनकर परिवार ने उनको पाला।

संत स्वामी रामानंद कबीर के गुरु थे। स्वामी के निधन के समय कबीर सिर्फ 13 साल के थे।

कबीर ने जब यज्ञोपवीत और खतना को बेमतलब करार दिया तो उनका काफी विरोध हुआ क्योंकि हिंदू व मुस्लिम के लिए ये उनकी आस्था पर प्रहार था।

कबीर साधु नहीं थे, क्योंकि उन्होंने सांसारिक जीवन नहीं त्यागा बल्कि मध्यम मार्ग का चुनाव किया।

कबीर की भाषा में राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा के शब्द बहुलता से हैं।

ये भी देखें : मिशन 2019 के तहत देश के करीब ढाई करोड़ कबीरपंथियों को साधने में जुटे मोदी

कबीर ने 'बीजक' की रचना की जिसमें हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्मों के पाखंडों की आलोचना की है।

कबीर वेद और कुरान दोनों को ही छोड़कर जीने के लिए सहज मार्ग अपनाने की बात कहते हैं।

कबीर ने राम को पूजा लेकिन ये राम वो नहीं थे जिनका वर्णन रामायण में है। कबीर के राम निराकार हैं।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story