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ठंड बढ़ने के साथ मजबूत होते किसान आंदोलनकारी

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है, तब किसान धरने पर क्यों हैं? जबकि किसान कह रहे हैं कि हमारी रोक की मांग ही नहीं है

Roshni Khan
Published on: 18 Jan 2021 5:49 AM GMT
ठंड बढ़ने के साथ मजबूत होते किसान आंदोलनकारी
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ठंड बढ़ने के साथ मजबूत होते किसान आंदोलनकारी (PC: social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के टीकरी बार्डर पर आंदोलनरत किसानों का धैर्य कड़ाके की ठंड में भी नहीं टूटा है। वह अपनी मांगों पर अडिग हैं। केंद्र सरकार के उन्हें डिगाने के सारे पैतरे अब तक फ्लाप रहे हैं। 19 जनवरी को दसवें दौर की वार्ता शुरू होने में कुछ ही घंटे बचे हैं जबकि अभी तक दोनो पक्षों के बीच सहमति बनने का कोई संकेत नहीं है। किसान जहां कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं वहीं सरकार की तरफ से तीनों कृषि कानूनों पर बिन्दुवार चर्चा की पेशकश की गई है।

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है, तब किसान धरने पर क्यों हैं? जबकि किसान कह रहे हैं कि हमारी रोक की मांग ही नहीं है हम इन्हें निरस्त करने की बात कह रहे हैं।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत सरकार ने किसानों से 9 बार बात की है. हम चाहते हैं कि कृषि कानूनों पर किसान हर क्लॉिज पर चर्चा करें। अगर उन्हें कोई आपत्ति होगी, तो हम संशोधन के लिए तैयार हैं। किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की मांगों की अनसुनी करके वार्ता कर रही है। जिसका कोई मतलब नहीं है।

नरेंद्र सिंह तोमर कह रहे हैं कि कानून रद्द करने के अलावा कोई दूसरी मांग है तो किसान बताएं, सरकार खुले मन से चर्चा करेगी। उनका कहना है हम मंडियों, व्यापारियों के पंजीकरण और अन्य के बारे में किसानों की आशंकाओं को दूर करने पर सहमत थे। पराली जलाने और बिजली से जुड़े कानूनों पर चर्चा को भी राजी थे। लेकिन यूनियनें केवल कानूनों को निरस्त करना चाहती हैं।

farmer farmer (PC: social media)

इस बीच किसान यूनियनों ने आंदोलन से महिलाओं को जोड़ने के लिए 18 जनवरी को किसान महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है। इसके पांच दिन बाद 23 जनवरी को आंदोलन के तहत राज्यों के राजभवनों के बाहर किसान डेरा डालेंगे।

आंदोलनकारियों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की है

आंदोलनकारियों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की है। इस ट्रैक्टर मार्च को सफल बनाने के लिए किसान यूनियनें स्थानीय स्तर पर बैठक कर लोगों का समर्थन जुटा रही हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट भी आज इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है।

किसान नेता गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं

26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड को सफल बनाने के लिए किसान यूनियनें गांव-गांव सम्पर्क कर महिलाओं और युवाओं को आंदोलन में शामिल करने के लिए जोर लगा रही हैं। किसान नेता गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। किसानों की रणनीति हर घर से एक युवा को रैली में शामिल कराने व ट्रैक्टर ट्रॉली देने की अपील कर रहे हैं। किसानों की यह मुहिम रंग लाती दिख रही है।

किसान आंदोलन की अब तक की सफलता के पीछे उनके आईटी प्रोफेशनल्स का कुशल प्रबंधन अहम भूमिका अदा कर रहा है जो कि किसानों के खिलाफ किसी भी दुष्प्रचार को त्वरित कार्रवाई कर खत्म कर दे रहा है।

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आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी को लेकर केंद्र स्तर पर और न्यायालय स्तर पर अब तक हमें निराशा ही हाथ लगी है। अब आंदोलन को और मजबूत करने पर कार्य किया जा रहा है। इसके तहत आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता को बढ़ाने के लिए महिला किसान दिवस मनाया जा रहा है। इसके बाद ट्रैक्टर मार्च पर हमारा फोकस रहेगा।

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