TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

संगीनों के साये में खेती करते किसान

seema
Published on: 9 Nov 2018 12:21 PM IST
संगीनों के साये में खेती करते किसान
X
संगीनों के साये में खेती करते किसान

दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर। आपको जानकर अचरज होगा कि पंजाब के किसान संगीनों के साये में खेती करने को विवश हैं। यह विवशता समूचे पंजाब के किसानों की तो नहीं मगर सूबे उन छह जिलों के किसानों की है जिनकी जमीन भारत-पाकिस्तान सीमा रेखा के बिल्कुल करीब तारबंदी के उस पार है। तार बंदी के उस पार की जमीनों के किसान धान व गेहूं की फलों को भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवानों की निगरानी में काटते हैं। यहां कि खेती सीमा सुरक्षा बल की कृपा पर निर्भर होती है। किसान को कब खेत में जाना है और फसल की बिजाई से निराई-गुणाई व कटाई करना है, यह सब बीएसएफ के अधिकारी ही तय करते हैं।

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़: इस चुनावी सीजन पहली बार आमने-सामने होंगे PM और राहुल, यहां करेंगे रैली

दरअसल पंजाब पश्चिमोत्तर भारत का सरहदी राज्य है। पश्चिमोत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर पंजाब, राजस्थान व गुजरात की सीमाएं पाकिस्तान की सरहद से लगती हैं। इनमें पंजाब के छह जिले पठानकोट, गुरदासपुर,अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का पाकिस्तान से सटे हुए हैं। इन छह जिलों के कुल 3285 किसानों की कुल 20 हजार 103 एकड़ जमीन तार पार है यानी भारत-पाकिस्तान के बीच लगती करीब 553 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा पर हुई तारबंदी के उस पार है जिसे क्षेत्रीय भाषा में तारपार की जमीन या खेती कहा जाता है।

यह भी पढ़ें : पेट्रोल-डीजल की कीमत में आज फिर आया बदलाव, यहां पता करें रेट

1980-82 में की गयी थी तारबंदी

भारत-पाकिस्तान से करीब तीन सौ मीटर पहले भारत सरकार द्वारा सन 1980-82 में जमीन का अधिग्रहण कर सीमा पर तारबंदी की गई थी ताकि भारत से न तो कोई पाकिस्तान जा पाए और ना ही उधर से कोई इधर आ पाए। इससे पहले बार्डर ओपन था और जगह- जगह पिलर गड़े होते थे। यह पिलर आज भी लगे हैं। गाहे-बगाहे आज भी लोग सीमा पार कर जाते हैं। करीब एक सप्ताह पहले ही पाकिस्तानी सैनिक सीमा लांघकर भारत में दाखिल हो गए थे जिन्हें गिरफ्तार कर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कड़ी पूछाताछ की थी और संतुष्ट होने पर पाक के हवाले कर दिया था। अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में भारत सरकार व राज्य सरकार मिलकर किसानों को हर साल मुआवजे के तौर पर 25 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देती है। यह रकम पहले बहुत कम थी, लेकिन 1997 में तत्कालीन बादल सरकार ने उस समय के प्रधानमंत्री के सामने मुद्दा उठाकर यह मुआवजा 25 हजार रुपये प्रति एकड़ करवाया था।

इलाके में सक्रिय रहते हैं तस्कर भी

आए दिन पाकिस्तानी तस्करों की ओर से तारपार के इन्हीं खेतों में अफीम व हेरोइन की खेपों के अलावा हथियार भी फेंके जाते हैं। इसके अलावा घुसपैठ की कोशिशें भी की जाती हैं। कई बार तो तेज आंधी में पाकिस्तानी किसानों के फसलों के बोझ में उड़कर भारतीय सीमा में आ जाते हैं जिन्हें बीएसएफ के जवान पाकिस्तानी रेंजरों की मौजूदगी में वहां के किसानों के हवाले करते हैं। भारतीय सीमा में कई किसान इन मादक पदार्थों की तारपार से लाते हुए भी पकड़े जाते हैं। यहां तक कि खेतों में गड्ढा खोदकर हथियारों व नशे की खेप को दबाया भी जाता है, जिन्हें सीमा सुरक्षा बल के जवान सर्च ऑपरेशन चलाकर बरामद भी करते हैं। बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से किसानों को तारपार के खेतों में जाने के लिए बकायदा पहचान पत्र मुहैया करवाया जाता है। यही नहीं निर्धारित समय पर जवान गेट खोलते और बंद करते हैं ताकि किसान अपने खेतों में काम करने जा सकें। यहीं नहीं महिला किसानों की निगरानी व उनकी तलाशी के लिए सीमा सुरक्षा बल की महिला जवानों को भी तैनात किया जाता है।



\
seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story