किसान आंदोलन: संसद का विशेष सत्र बुला सकती है सरकार, कर सकती है ये बदलाव

सरकार भी किसानों की कुछ मांगों को मानना चाह रही है। माना जा रहा कि इन संशोधनों में एमएसपी (MSP), प्राइस गारंटी स्कीम और कॉन्ट्रैक्ट खेती के विवादों से जुड़ी तीन से चार काफी जरूरी मांगों को शामिल किया जा सकता है।

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Published on: 5 Dec 2020 1:24 PM GMT
किसान आंदोलन: संसद का विशेष सत्र बुला सकती है सरकार, कर सकती है ये बदलाव
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किसान आंदोलन: संसद का विशेष सत्र बुला सकती है सरकार, कर सकती है ये बदलाव

नई दिल्ली: कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर शनिवार को सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हो रही है। इस बीच भारतीय किसान संघ ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वाहन कर दिया है। कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की नाराजगी का दौर 10वें दिन भी जारी है।

कृषि कानूनों में कुछ संशोधन के संकेत

सरकार के साथ 4 बार चर्चा होने के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका है। आज पांचवें दौर की बात चल रही है। हालांकि, इस दौरान सरकार ने कृषि कानूनों में कुछ संशोधन (Amendment in Farm Laws) के संकेत दिए हैं। इतना ही नहीं मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कि इसके लिए सरकार अलग से खास संसद सत्र का आयोजन भी कर सकती है।

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सरकार भी किसानों की कुछ मांगों पर सहमत

सूत्रों के हवाले से पता चला है कि सरकार भी किसानों की कुछ मांगों को मानना चाह रही है। माना जा रहा कि इन संशोधनों में एमएसपी (MSP), प्राइस गारंटी स्कीम और कॉन्ट्रैक्ट खेती के विवादों से जुड़ी तीन से चार काफी जरूरी मांगों को शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा गैर सरकारी बाजारों से खरीदी करने पर निजी ग्राहकों को खुद को रजिस्टर भी कराना पड़ सकता है।

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सरकार ने भी किसानों की मांगों को लेकर लचीलापन दिखाया

शनिवार को हुई पांचवे दौर की मीटिंग से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर चर्चा की थी। इन प्रदर्शनों को विपक्षी दलों का छलावा मानने के अलावा सरकार ने भी किसानों की मांगों को लेकर लचीलापन दिखाया है। सरकार को भरोसा है कि संशोधित कानूनों को संसद के दोनों सदनों में आराम से पास कर दिया जाएगा।

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नाराज किसानों का भरोसा जीतने के लिए जारी निर्देश

बीते सितंबर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन कृषि कानूनों पर हस्ताक्षर किए थे। कई लोगों ने इसे 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के औद्योगिक बदलाव से जोड़कर देखा था। खास बात है कि सरकार के इन कानूनों से सबसे ज्यादा डर पंजाब और हरियाणा को है। ये दोनों राज्य चावल, गेंहूं के सबसे बड़े उत्पादक हैं और ये दोनों चीजें न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर खरीदी जाती हैं। लगातार प्रदर्शन कर रहे नाराज किसानों का भरोसा जीतने के लिए सरकार ने एमएसपी को जारी रखने के निर्देश दे दिए हैं। इतना ही नहीं सरकार इसे आलू और प्याज जैसी जरूरी सब्जियों पर भी लागू कर सकती है।

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