×

किसान संगठनों का अब महापंचायतों पर जोर, आंदोलन में अब यूपी-हरियाणा का दबदबा

गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा और उपद्रव के बाद अब आंदोलन के स्वरूप में भी बदलाव दिख रहा है। पहले किसान आंदोलन पर पंजाब के संगठनों का ही प्रभुत्व दिखता था मगर अब हरियाणा व यूपी की खापों के हाथ में आंदोलन की बागडोर आ गई है।

Roshni Khan
Published on: 12 Feb 2021 5:00 AM GMT
किसान संगठनों का अब महापंचायतों पर जोर, आंदोलन में अब यूपी-हरियाणा का दबदबा
X
किसान संगठनों का अब महापंचायतों पर जोर, आंदोलन में अब यूपी-हरियाणा का दबदबा (PC: social media)

नई दिल्ली: कृषि कानूनों की वापसी के लिए अब किसान संगठन महापंचायतों के आयोजन में जुट गए हैं। महापंचायतों के आयोजन से किसान आंदोलन को नए सिरे से धार देने की कोशिश की जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से दो हफ्ते में तीन राज्यों में छह महापंचायतों के आयोजन की रूपरेखा तैयार की गई है।

इन महापंचायतों में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी मुख्य नेता हिस्सा लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलेंगे।

ये भी पढ़ें:उद्धव सरकार व गवर्नर में और बढ़ा टकराव, इस प्रकरण ने डाला आग में घी

गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा और उपद्रव के बाद अब आंदोलन के स्वरूप में भी बदलाव दिख रहा है। पहले किसान आंदोलन पर पंजाब के संगठनों का ही प्रभुत्व दिखता था मगर अब हरियाणा व यूपी की खापों के हाथ में आंदोलन की बागडोर आ गई है।

इन खापों ने आंदोलन को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी है। यही कारण है कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद टूटता किसान आंदोलन एक बार फिर पूरी तरह मजबूती से खड़ा हो गया है।

farmer-protest- farmer-protest- (PC: social media)

महापंचायतों के जरिए आंदोलन होगा धारदार

किसान आंदोलन को धार देने के लिए अब महापंचायतों के आयोजन पर जोर दिया जा रहा है। महापंचायतों के आयोजन से किसानों को एकजुट करने में मदद मिल रही है। अब इनके जरिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई है।

किसान संगठनों की ओर से अगले 12 दिनों में तीन राज्यों में छह महापंचायतों का आयोजन तय किया गया है। इन महापंचायतों का आयोजन उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में होगा और इनमें संयुक्त किसान मोर्चा के सभी प्रमुख नेता हिस्सा लेकर सरकार पर कृषि कानूनों की वापसी का दबाव बनाएंगे।

गुरुवार को भी राजस्थान के अलवर में महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें हिस्सा लेने के लिए किसान आंदोलन के प्रमुख नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे थे।

किसानों को दी जाएगी नुकसान की जानकारी

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल के मुताबिक महापंचायतों के जरिए किसानों को नए कृषि कानूनों की पूरी जानकारी दी जाएगी ताकि उन्हें इन कानूनों से होने वाले नुकसानों की पूरी जानकारी हो सके। उन्होंने कहा कि इलाकाई किसानों से इन महापंचायतों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की गई है और इनके जरिए हम किसानों को जागरूक बनाने की कोशिश करेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याएं सुलझाने के प्रति गंभीर नहीं दिख रही है और किसानों को अपमानित करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में किसान संगठन आंदोलन खत्म करने के बजाय मोर्चे पर डटे रहेंगे।

किसानों के निशाने पर तीन कंपनियां

इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसानों से अडानी, अंबानी व स्वामी रामदेव की कंपनियों के उत्पादन में खरीदने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इन कंपनियों की मदद के लिए ही कृषि कानून लाया गया है।

उन्होंने सरकार पर किसानों के खिलाफ साजिश रचने का भी आरोप लगाया। उन्होंने नए कृषि कानूनों को पूरी तरह किसान विरोधी बताते हुए कहा कि नए कानून लागू होने पर न तो किसान रहेगा और न उसकी जमीन। नए कृषि कानूनों का मकसद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना है।

बदल गया किसान आंदोलन का स्वरूप

गणतंत्र दिवस की घटना के बाद अब किसान आंदोलन का स्वरूप भी बदला-बदला नजर आ रहा है। आंदोलन में पंजाब का दबदबा घट गया है और हरियाणा व यूपी के किसानों की भागीदारी बढ़ गई है। आंदोलन की कमान अब खापों के हाथ में आ गई है और इन खापों के जरिए किसानों को एकजुट करने और महापंचायतों के आयोजन के लिए पैसा जुटाने की मुहिम भी चलाई जा रही है।

पहले दिखता था पंजाब के किसानों का प्रभुत्व

इससे पहले दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब के किसान ही ज्यादा संख्या में दिखाई देते थे और संयुक्त किसान मोर्चा के 40 संगठनों ने पंजाब के 32 संगठनों का ही प्रभुत्व दिखता था।

दिल्ली में हुई हिंसा और उपद्रव की घटना के बाद पंजाब के अधिकांश किसान घर वापस लौट चुके हैं और टूटते आंदोलन को हरियाणा व यूपी के किसानों ने एक बार फिर धारदार बनाने का बीड़ा उठाया है।

farmer farmer-protest- (PC: social media)

ये भी पढ़ें:Ind vs Eng: भारत के लिए अच्छी खबर, दूसरे टेस्ट से इंग्लैंड का ये तेज गेंदबाज बाहर

आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील

उधर पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि हम सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहा तो निश्चित रूप से किसानों की जीत होगी मगर यदि हिंसा की घटनाएं हुईं तो सरकार किसानों पर भारी पड़ेगी। लुधियाना के पास हुई किसानों की महापंचायत में राजेवाल सहित अन्य किसान नेताओं ने लालकिले की हिंसा को केंद्रीय एजेंसियों की साजिश बताया।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story