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दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड छोड़कर शेष देश में चक्का जाम अब ऐसे करेंगे किसान

किसानों ने इस चक्का जाम का आह्वान इंटरनेट बैन, दिल्ली में किसानों के विभिन्न प्रदर्शनस्थलों की कील कांटों से बाड़बंदी के विरोध में किया है। 26 जनवरी के ट्रैक्टर रैली प्रदर्शन के बाद ये किसानों का दूसरा सबसे बड़ा प्रदर्शन है।

Shreya
Published on: 5 Feb 2021 11:28 AM GMT
दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड छोड़कर शेष देश में चक्का जाम अब ऐसे करेंगे किसान
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कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब से लेकर राजस्थान तक किसानों ने रास्तों को रोक रखा है। रोड को जाम कर दिया है। इन रास्तों पर आवागमन ठप हो गया है। 

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: 6 फरवरी का चक्का जाम किसानों के लिए ताकत का प्रदर्शन और सरकार के गले की फांस बन गया है। हालांकि किसान नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड को चक्का जाम से मुक्त रखकर सरकार को राहत दी है लेकिन किसानों और सरकार के बीच मसले के हल के लिए गतिरोध बना हुआ है और इसके फिलहाल दूर होने के भी आसार नहीं दिख रहे हैं।

हो सकता है साप्ताहिक चक्का जाम

लेकिन आज आंदोलनकारी किसानों के खेमे से आई एक नई खबर इस समय सबकी जुबान पर है कि दिल्ली में चक्का जाम सरकार ने कर दिया है, शेष देश में किसान करेंगे इसमें दक्षिण भारत के राज्य भी शामिल होंगे। हालांकि फिलहाल किसान आंदोलन का असर यूपी, हरियाणा पंजाब और राजस्थान में दिखाई दे रहा है। इसके अलावा किसान नेताओं के हवाले से कहा ये भी जा रहा है कि अब आंदोलन को गति देने के लिए साप्ताहिक चक्का जाम का कार्यक्रम भी किसान कर सकते हैं।

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किसानों ने इस चक्का जाम का आह्वान इंटरनेट बैन, दिल्ली में किसानों के विभिन्न प्रदर्शनस्थलों की कील कांटों से बाड़बंदी के विरोध में किया है। 26 जनवरी के ट्रैक्टर रैली प्रदर्शन के बाद ये किसानों का दूसरा सबसे बड़ा प्रदर्शन है।

rakesh-tikait (फोटो- सोशल मीडिया)

दिल्ली में हमारे जाम की जरूरत नहीं

इस चक्का जाम का आह्वान 40 किसान यूनियनों वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने किया है। 26 नवंबर से किसानों के धरने का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत का कहना है कि दिल्ली में हम नहीं कर रहे वहां तो राजा ने खुद किला बंदी कर ली है। हमारे जाम करने की जरूरत ही नहीं है।

दिल्ली में तो उसी दिन प्रमुख मार्गों का चक्का जाम हो गया था जिस दिन सरकार ने किसानों के धरना स्थलों की छह स्तरीय बाड़बंदी की। अब वहां किसानों को चक्का जाम करने की जरूरत नहीं इसलिए आंदोलनकारियों का पूरा फोकस दिल्ली के बाहर है।

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दूसरी बात यह है कि ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली पुलिस के पांच सौ से ज्यादा लोगों के घायल होने के बाद पुलिस विशेष एहतियात और सतर्कता बरत रही है। वह किसी भी कीमत पर किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं देगी।

rakesh tikait andolan (फोटो- सोशल मीडिया)

किसान नेता ने बताया क्या है प्रोग्राम

टिकैत ने कहा है कि दोपहर 12 बजे से तीन बजे के बीच जिन वाहनों को रोका जाएगा उन्हें खाने का सामान (चना और मूंगफली आदि) और पानी देकर उन्हें सरकार द्वारा किसानों पर की जा रही ज्यादती से अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि चक्का जाम किसानों की वैचारिक क्रांति है।

गौरतलब है कि विपक्षी सांसदों ने भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखे पत्र में कहा है कि गाज़ीपुर बॉर्डर पर स्थिति भारत-पाकिस्तान सीमा जैसी है और किसानों की स्थिति जेल के कैदियों जैसी है।

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