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देशभर के किसान दिल्ली के सड़कों पर हो रहे इकट्ठा, करेंगे प्रदर्शन
नई दिल्ली: देशभर के किसान आज एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में सड़कों पर इकट्ठा हो रहे हैं। किसान सरकार के खिलाफ कर्जमाफी और लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे। यह प्रदर्शन अखिल भारतीय किसान मुक्ति मोर्चा (एआईकेसीसी) के बैनर तले किया जाएगा। किसान अपनी मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे।
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राजनीतिक पार्टियों के नेता जो उनकी मांगों का समर्थन करते हैं उन्हें भी इस आंदोलन में आमंत्रित किया गया है। किसान आंदोलन के पहले दिन लोक गायक और दूसरे सांस्कृतिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे वही एआईकेसीसी के नेतृत्व में 207 किसान संसद मार्ग तक मार्च करेंगे और 30 नवंबर को संसद का आयोजन करेंगे। शुरुआती सत्र में किसान कर्जमाफी के संबंध में दो विधेयकों और बेहतर समर्थन मूल्य को लेकर चर्चा करेंगे। इन दोनों की ही सिफारिश स्वामीनाथन आयोग ने की है।
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वहीं दूसरे सत्र में राजनीतिक पार्टियों के वह राजनेता आएंगे जिन्होंने इस विधेयकों को अपना समर्थन दिया है। बता दें कि अभी तक 21 राजनीतिक पार्टियों ने किसानों को इस मुद्दे पर अपना समर्थन देने की बात कही है। इसमें मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी शामिल है। एआईकेसीसी के संयोजक वीएम सिंह ने कहा, 'हमने अपने एजेंडे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। हमने उन्हें बताया है कि कुछ मुख्यमंत्री और एनडीए के साझेदारों ने विधेयक को अपना समर्थन दिया है। मुख्यमंत्रियों में नारा चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार शामिल हैं। 21 पार्टियां इस पर राजी हुई हैं।'
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किसान दोनों विधेयकों को प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर संसद में पेश करेंगे। यदि मोदी सरकार जीएसटी विधेयक के लिए विशेष सत्र बुलाकर उसे आधी रात को पास कर सकती है तो वह किसानों के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकती है। ध्यान रहे कि दो दिन के इस प्रदर्शन में सेना के पूर्व जवान भी शामिल होंगे। सेना के जिन जवानों ने वन रैंक वन पेँशन के लिए आंदोलन किया था उन्होंने किसानों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। सेनानिवृत्त मेजर जनरल सतबीर सिंह का कहना है कि हमारे 80 प्रतिशत जवान किसान परिवार से संबंध रखते हैं।