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FICCI का सर्वेक्षण: इस साल देश की GDP विकास दर 7.4 फीसदी रहेगी
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की ओर से मार्च और अप्रैल में सर्वेक्षण किए गए। जिसके बाद यह अनुमान लगाया गया है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 7.4 फीसदी रहेगी। इसका अधिकतम स्तर 7.6 फीसदी और न्यूनतम स्तर 7 फीसदी रह सकता है। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में कहा गया है, 'वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहेगी। इसके साथ ही उद्योग और सेवा क्षेत्र में सुधार से भी जीडीपी को समर्थन मिलेगा। इस दौरान उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर क्रमश: 6.9 प्रतिशत और 8.4 फीसदी रहेगी।'
नई दिल्ली: फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की ओर से मार्च और अप्रैल में सर्वेक्षण किए गए। जिसके बाद यह अनुमान लगाया गया है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 7.4 फीसदी रहेगी। इसका अधिकतम स्तर 7.6 फीसदी और न्यूनतम स्तर 7 फीसदी रह सकता है।
फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में कहा गया है, 'वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहेगी। इसके साथ ही उद्योग और सेवा क्षेत्र में सुधार से भी जीडीपी को समर्थन मिलेगा। इस दौरान उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर क्रमश: 6.9 प्रतिशत और 8.4 फीसदी रहेगी।'
नोटबंदी के बाद की नोटो की किल्लत खत्म
यह सर्वेक्षण उद्योग से जुड़े अर्थशास्त्रियों के बीच किया गया, जो उद्योग, बैंकिंग और वित्त सेवाओं के क्षेत्र से जु़ड़े थे। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का कहना है कि नोटबंदी के बाद की नोटो की किल्लत अब समाप्त हो चुकी है। उपभोग में भी तेजी लौटने लगी है और इसमें आगे और तेजी बरकार रहने की उम्मीद है।
निवेश का माहौल सुधारने की जरूरत
इसके अलावा भारत के मौसम विभाग ने मॉनसून समय पर आने और सामान्य रहने का अनुमान लगाया है। जबकि पहले की रपटों में अलनीनो प्रभाव के कारण मॉनसून कमजोर रहने का अनुमान लगाया गया था। सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसकी अधिकतम दर 5.3 फीसदी और न्यूनतम दर चार फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हालांकि संरक्षणवाद एक बड़ी चुनौती है। लेकिन भारत को सुधारों पर ध्यान देने की जरूरत है। देश में निवेश के माहौल को सुधारने की जरूरत है।