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पद्मावती का भारी विरोध, विवाद में मोदी सरकार के कई मंत्री भी कूदे

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Published on: 17 Nov 2017 8:43 AM GMT
पद्मावती का भारी विरोध, विवाद में मोदी सरकार के कई मंत्री भी कूदे
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कपिल भट्ट

जयपुर/नई दिल्ली। आठ सौ साल पहले चित्तौडगढ़ के ऐतिहासिक किले में हुए महारानी पद्मिनी और तेरह हजार महिलाओं के जौहर की पृष्ठभूमि पर बनी संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का विरोध दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। शूटिंग के समय से ही यह फिल्म विवादों में घिरी हुई है। जयपुर में फिल्म की शूटिंग के दौरान राजपूत करणी सेना के कुछ सदस्यों ने फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली को थप्पड़ मार दिया था। राजस्थान से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन का सिलसिला गुजरात से लेकर मुंबई तक पहुंच गया है वहीं दूसरी ओर अब मुस्लिम समाज ने भी फिल्म को सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बताते हुए फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग कर डाली है। यह फिल्म एक दिसंबर को रिलीज होने वाली है।

हाल ही में संजय लीला भंसाली ने अपनी सफाई देते हुए एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म को लेकर गैरजरूरी अफवाह उड़ाई गई। उनका कहना है कि इस फिल्म में ऐसा कुछ भी विवादित नहीं दिखाया गया है जिसकी वजह से इसका विरोध किया जा रहा है। दूसरी ओर सुप्रीमकोर्ट ने इस फिल्म पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह जिम्मेदारी सेंसर बोर्ड की है और वो जो भी फैसला करेंगे, वो मान्य होगा।

गुजरात के गांधीनगर में आयोजित कार्यक्रम में विरोध के अगुवा संगठन राजस्थान की राजपूत करणी सेना के प्रधान संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने कहा कि पद्मावती महज एक फिल्म नहीं है, यह हमारा इतिहास है। उधर चित्तौड़ किले के मुख्य द्वार पाडनपोल पर दिन भी प्रदर्शन जारी है। इससे पहले मेवाड़ सहित राजस्थान के कई पूर्व राजघराने भी इस फिल्म के विरोध में आवाज उठा चुके हैं।

पद्मावती यानी महारानी पद्मिनी मेवाड़ राजघराने की थीं। मेवाड़ राजघराने ने इस फिल्म पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उसने यह भी कहा है कि फिल्म बनाने से पहले संजय लीला भंसाली ने उनके परिवार की कोई मंजूरी भी नहीं ली जबकि यह फिल्म उनके पूर्वजों से संबंधित है। मेवाड़ राजघराने के शाही सदस्य एमके विश्वराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, स्मृति ईरानी और अन्य लोगों को पत्र लिखकर इस फिल्म का प्रसारण रोकने का अनुरोध किया है।

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मुस्लिम महासभा ने भी की रोक लगाने की मांग

फिल्म पद्मावती से सांप्रदायिक सद्भावना को क्षति पहुंचने का अंदेशा जताते हुए राजस्थान मुस्लिम महासभा ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि फिल्म पर रोक नहीं लगाई गयी तो इसका विरोध किया जाएगा। राजस्थान मुस्लिम महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल सलाम सांखला, प्रदेश महासचिव एडवोकेट शकील अहमद ने कहा कि ट्रेलर देखने से लगता है कि मुस्लिम किरदार क्रूर व दुर्दांत है और पराई स्त्री को पाने के लिए सभी सामाजिक मर्यादाओं का कत्ल करने पर आमादा है। राजस्थान की सरकार भी इसके प्रदर्शन पर रोक लगवाने की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है। हालांकि कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

कई राज्यों में हो रहा विरोध

फिल्म पद्मावती का विरोध करने वालों की तादाद हर दिन बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में राजपूत समाज जगह-जगह फिल्म का विरोध कर रहा है। अभी हाल ही में हरियाणा के दो मंत्री इस मुद्दे पर खुलकर सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और उद्योग मंत्री विपुल गोयल का कहना है कि हरियाणा सरकार इस फिल्म पर बैन लगाने के लिए सेंसर बोर्ड से बात करेगी। अनिल विज ने कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली इस फिल्म को रिलीज होने नहीं दिया जाएगा। विपुल गोयल ने भी फिल्म रिलीज को रोकने के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा है। इसके अलावा उन्होंने एक पत्र संजय लीला भंसाली को भी भेजा है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को परखा जाना चाहिए।

फिल्म के ट्रेलर में अलाउद्दीन खिलजी का महिमामंडन किया जाना गलत है। उन्होंने भंसाली से अपील की है कि वे भारत के गौरवमयी इतिहास का ध्यान रखें। फिल्म हिट कराने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती। मुंबई के टिफिन वाले भी अब फिल्म के विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि वे हिन्दू धर्म और इतिहास के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।

बीजेपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिंहा राव भी इस फिल्म के रिलीज करने के विरोध में हैं। उनका कहना है कि पद्मावती ने रिलीज होने के पहले ही बहुत विवाद पैदा कर दिए हैं। फिल्म में क्या दिखाया गया है, इसे लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। रानी पद्मावती को देश की महिलाएं पूजती हैं। रानी पद्मावती की छवि देश के गौरव और अभिमान की छवि है। कहा जा रहा है कि फिल्म में उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई गई है। ऐसे में यह फिल्म समाज की भावनाओं को भड़का सकती है। ऐसे में फिल्म का रिलीज रोकी जानी चाहिए।

फिल्म पद्मावती के विवाद में मोदी सरकार के मंत्री भी कूद चुके हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कह चुके हैं कि संजय लीला भंसाली या किसी भी अन्य फिल्मकार में हिम्मत नहीं कि वह किसी और धर्म पर अधारित फिल्म बनाए या उन पर टिप्पणी करें। उन्होंने कहा कि ये लोग हिंदू गुरुओं, भगवान और योद्धाओं पर आधारित फिल्में ही बनाते हैं। हम अब इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकते। मोदी सरकार में मंत्री उमा भारती का कहना है कि अलाउद्दीन खिलजी एक व्यभिचारी हमलावर था। उसकी बुरी नजर रानी पद्मावती पर थी और इसके लिए उसने चित्तौड़ को नष्ट कर दिया था। उनका कहना है कि रानी पद्मावती के विषय पर मैं तटस्थ नहीं रह सकती।

मेरा निवेदन है कि पद्मावती को राजपूत समाज से न जोड़कर भारतीय नारी के अस्मिता से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि क्यों न रिलीज से पहले इतिहासकार, फिल्मकार और आपत्ति करने वाले समुदाय के प्रतिनिधि और सेंसर बोर्ड मिलकर कमेटी बनाएं और यह कमेटी इस फिल्म के प्रदर्शन पर फैसला ले। प्रदेश भर में पद्मावती फिल्म के विरोध को और धारदार बनाते हुए करणी सेना ने फिल्म को नहीं चलने देने का आह्वान किया है। करणी सेना का कहना है कि फिल्म में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है।

तथ्य गलत हों तो उन्हें सुधारा जाए

वहीं राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया कह चुके हैं कि कानून व्यवस्था बिगाडऩे वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विरोध करने वाले अपना काम करें और हम अपना काम करेंगे। कटारिया का कहना है कि कुछ लोग यह समझ रहे हैं कि रानी पद्मावती के सिर्फ वही हितैषी हैं तो यह गलत है। रानी पद्मनी किसी जाति विशेष की नहीं, पूरे देश की प्रतीक हैं। अगर तथ्य गलत हैं तो उनमें सुधार किए जाने चाहिए। फिल्म में रानी पद्मावती की पवित्रता का ध्यान रखा जाना चाहिए। कोई भी ऐसा तथ्य फिल्म में नहीं दिखाया जाना चाहिए जिससे यह महसूस हो कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है। हालांकि अन्य क्षेत्रों में भी फिल्म का लगातार विरोध हो रहा है।

सोशल मीडिया पर चल रहा है अभियान

फिल्म पद्मावती के विरोध में इन दिनों सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त अभियान चल रहा है। इसमें राजस्थान के केवल राजपूत ही नहीं सभी वर्गों के लोग गहरा विरोध जता रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है कि जब राजस्थान के किसी ऐतिहासिक पात्र के फिल्मांकन को लेकर कोई विवाद खड़ा हुआ हो। इससे पहले जोधा-अकबर फिल्म में जयपुर राजघराने की राजकुमारी और अकबर की पत्नी जोधाबाई के पात्र के प्रस्तुतिकरण को लेकर भी खासा विवाद हो चुुका है। राजस्थान के राजघराने के बहुत से सदस्य पद्मावती के रिलीज होने की खिलाफत कर रहे हैं।

बॉलीवुड भंसाली के समर्थन में

दूसरी ओर बॉलावुड के तमाम लोग संजय लीला भंसाली के समर्थन में उतर आए हैं। मुंबई में टीवी और फिल्मी दुनिया के निर्देशकों की बैठक में भंसाली का समर्थन किया गया। फिल्म में राजा रावल रतन सिंह की मुख्य भूमिका निभाने वाले शाहिद कपूर फिल्म के प्रमोशन में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि इस फिल्म को एक मौका दीजिए। शाहिद ने कहा कि वो काफी समय से कह रहे हैं कि पहले फिल्म देख लीजिए, फिर कोई फैसला लीजिए। शाहिद ने कहा कि हम सभी का सम्मान करते हैं और फिल्म को बहुत समझदारी और प्यार से बनाया गया है। इसलिए इसे देखने से पहले कोई भी फैसला लेना गलत है।

अभिनेता सलमान खान का कहना है कि आपके पास सेंसर बोर्ड है, सेंसर बोर्ड फैसला लेगा। अगर सेंसर बोर्ड कहता है कि यह फिल्म रिलीज नहीं होनी चाहिए तो आप आगे अपील करिए और देखिए फिर क्या होता है। सलमान ने कहा कि संजय बहुत ही खूबसूरत फिल्में बनाते हैं। फिल्म की एक्ट्रेस भी बहुत अच्छी हैं। उनकी फिल्मों में अश्लीलता नहीं होती। मुझे लगता है कि हमें सेंसर बोर्ड को फॉलो करना चाहिए।

स्क्रीन मालिक घबराए

पद्मावती के देशव्यापी विरोध के कारण सिंगल स्क्रीन मालिक काफी घबराए हुए हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि फिल्म के प्रदर्शन पर उनके सिनेमाहॉल में तोडफ़ोड़ की घटनाएं ना हो जाए। इस कारण उन्होंने गृहमंत्री और संबंधित मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग करेंगे। उनका कहना है कि यदि इसके बाद भी उनके सिनेमा हॉल को कुछ भी नुकसान हुआ तो उसके भरपाई की जिम्मेदारी सरकार की ही होगी। यदि सरकार की ओर से उन्हें आश्वासन नहीं मिला तो वे अपने थिएटर में यह फिल्म नहीं चलाएंगे।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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