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वित्त मंत्री ने बताया: आढ़तियों के बजाय एमएसपी आ रही है किसानों को रास
भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जब वित्त मंत्री खुद बता रही हैं कि किसानों को एमएसपी से फायदा मिल रहा है।
अखिलेश तिवारी
नई दिल्ली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण के दौरान एमएसपी खरीद के जो आंकड़े जारी किए हैं, उन्होंने एमएसपी को लेकर किसानों के प्रबल आग्रह और आंदोलन की वजह स्पष्ट कर दी है। इसके अनुसार किसानों को सरकार की एमएसपी व्यवस्था रास आ रही है। हर साल एमएसपी पर अनाज बेचने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद व्यवस्था
कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद व्यवस्था किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है। यह व्यवस्था किसानों को निजी आढ़तियों और मौजूदा व्यापार व्यवस्था के चंगुल से निकालने में मददगार साबित हो रही है। किसानों को अपनी फसल का वाजिब मूल्य एमएसपी पर ही मिल रहा है। हाल यह है कि हर साल एमएसपी पर फसल बेचने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है। एमएसपी पर अनाज बेचने वाले किसानों को हर साल ज्यादा पैसे भी मिल रहे हैं जो उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार है। किसानों की आय को दोगुना करने में भी एमएसपी सहायक है। यही वजह है कि किसान नए कृषि कानून में एमएसपी की गारंटी मांग रहे हैं।
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संसद में बजट प्रस्ताव पेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में बजट प्रस्ताव पेश करने के दौरान बताया कि सरकार ने एमएसपी व्यवस्था में कई सुधार किए हैं। किसानों को इसका लाभ मिल रहा है। 2013 -14 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब से अब तक एमएसपी खरीद में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है। दलहन व कपास के किसानों को तो 100 गुना से भी ज्यादा फायदा मिला है। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जब वित्त मंत्री खुद बता रही हैं कि किसानों को एमएसपी से फायदा मिल रहा है।
हर साल एमएसपी पर अनाज बेचने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है तो नए कृषि कानून में एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं की गई। सरकार को अब अपनी गलती सुधार लेनी चाहिए और तत्काल अपना कानून रद्द कर एमएसपी गारंटी लागू करना चाहिए। जो किसान एमएसपी पर अनाज बेचने में असफल रहते हैं उन्हें कभी बाजार से अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है।
वित्तमंत्री ने संसद में एमएसपी खरीद पर यह दी जानकारी
गेहूं 2013 14 में किसानों को कुल 33874 करोड रुपए का भुगतान किया गया 2019 में यह राशि ₹62802 थी ।2020- 21 में किसानों को कुल ₹75060 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया । 2019 -20 में 35 .57 लाख किसान लाभान्वित है और2020- 21 में इनकी संख्या 43.36 लाख तक पहुंच गई।
2013 -14 में 63,928 करोड़ रुपए का भुगतान धान खरीद पर किया गया। 2019- 20 में राशि बढ़कर ₹141930 करोड़ रुपए हो गए। 2020 -21 में यह राशि बढ़कर ₹172752 हो जाने का अनुमान है इसका लाभ प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या 2019 -20 में 1.24 करोड़ थी अब 2020- 21 में 1.54 करोड़ हो गई है।
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दालों के मामले में 2013 -14 में 236 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था 2019 -20में यह राशि ₹8285 हो गई और अब 2020- 21 में 10530 करोड़ तक पहुंच गई है। कपास के किसानों को 2013 -14 में ₹90 करोड़ की राशि मिली थी । अब 27 जनवरी 2021 को यह राशि बढ़कर ₹25974 करोड़ हो गई है।