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Parliament Session: लोकसभा में वित्त मंत्री ने पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताई ये बातें

Parliament Session: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया जिसमें कहा कि यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में बुरी तरह विफल रही। इसके बजाय यूपीए सरकार ने ऐसी बाधाएं पैदा कीं जिससे अर्थव्यवस्था थम गई।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 8 Feb 2024 6:11 PM IST
Finance Minister presented white paper in Lok Sabha, told these things about economic mismanagement of UPA government
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लोकसभा में वित्त मंत्री ने पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताई ये बातें: Photo- Social Media

Parliament Session: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक श्वेतपत्र पेश किया है। जिसमें यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है। केंद्र सरकार की ओर से जारी श्वेत पत्र में बताया गया है कि तत्कालीन सरकार आर्थिक क्रियाकलावों को सुचारु रूप से चलाने में विफल रही। उसकी जगह पर सरकार की ओर से लिए गए निर्णय देश को और पीछे की ओर ले गए।

श्वेत पत्र के अनुसार यूपीए की सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में बुरी तरह विफल रही। सरकार ने इसके बजाय ऐसी बाधाएं पैदा कीं जिससे अर्थव्यवस्था रुक गई। उस सरकार ने वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सुधारों के विलंबित प्रभावों और अनुकूल वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाया और दीर्घकालिक आर्थिक परिणामों की अधिक चिंता किए बिना संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए परिणामी रूप से तेज आर्थिक विकास का शोषण करना शुरू कर दिया।

जिसका नतीजा यह हुआ कि बुरे ऋणों का पहाड़ खड़ा हो गया। उच्च राजकोषीय घाटा, उच्च चालू खाता घाटा और पांच वर्षों के लिए दो अंकों की मुद्रास्फीति की स्थिति बनी। जिसने कई भारतीयों की जेब पर असर डाला और देश "फ्रैजाइल फाइव" के क्लब में शामिल हो गया।

केंद्र सरकार ने श्वेत पत्र में बताया कि यूपीए काल के शासक न केवल अर्थव्यवस्था में गतिशीलता लाने में विफल रहे, बल्कि अर्थव्यवस्था को इस तरह लूटा की हमारे उद्योगपतियों ने रिकॉर्ड पर कहा कि वे भारत के बजाय विदेश में निवेश करना पसंद करेंगे। निवेशकों को भगाना आसान है लेकिन उन्हें वापस जीतना कठिन है। यूपीए सरकार ने यह भी प्रदर्शित किया कि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की तुलना में उसे नुकसान पहुंचाना आसान है।

सरकार ने श्वेत पत्र में कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी और उन्होंने 10 साल बाद हमें एक कमजोर अर्थव्यवस्था दी। अब हमने इसकी जीवंतता बहाल कर दी है।

तब और अब-एक सारांश

जब 2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली, तो उस समय अर्थव्यवस्था ना केवल खराब स्थिति में थी, बल्कि संकट में थी। हमें एक दशक से कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ रूप से बहाल करने की जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा। तब, हम 'नाजुक पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे, अब, हम 'शीर्ष पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं, जो हर साल वैश्विक विकास में तीसरा सबसे बड़ा योगदान देते हैं।

उस समय दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता और गतिशीलता पर से भरोसा उठ गया था। अब, अपनी आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं के साथ, हम दूसरों में आशा जगाते हैं।



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Shashi kant gautam

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