×

भारत और रूस के बीच पहली ट्रेन 7 अगस्त से, प्रोजेक्ट में चार देश शामिल

By
Published on: 26 July 2016 5:23 PM IST
भारत और रूस के बीच पहली ट्रेन 7 अगस्त से, प्रोजेक्ट में चार देश शामिल
X

नई दिल्ली: बहुत जल्द रूस और भारत के बीच रेल सेवा शुरू हो रही है। खबरों की मानें तो यह रेल सेवा रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से भारत में मुंबई के बीच होगी। शुरुआत में इस रूट पर मालगाड़ियों को चलाया जाएगा। इन मालगाड़ियों को अगले महीने से चलाए जाने की संभावना है।

चार देशों से होकर गुजरेगी ट्रेन

इस रेल रूट से चार देश रूस, अजरबैजान, ईरान और भारत जुड़ेंगे। यह उतरी-दक्षिणी प्रोजेक्ट का रूट हेलसिंकी से मुंबई तक सात हजार किमी की दूरी तय करेगा। एक अंग्रेजी अखबार की मानें तो रूस रेलवे के प्रथम अलिक्सान्दर मिशारीन ने बताया, शुरू में हम इस नए रेलमार्ग पर मालगाडियां चलाकर देखेंगे। इस रूट पर पहली मालगाड़ी मुंबई से आगामी 7 अगस्त को मास्को के लिए रवाना होगी।

बंदरगाहों का भी होगा इस्तेमाल

अजरबैजान रेलवे के अध्यक्ष जावेद गुरबानफ ने कहा, आने वाले हफ्तों में ऐसी पहली ट्रेन अपनी मंजिल की तरफ रवाना होगी। उन्होंने बताया कि इस नए रेलमार्ग का रास्ता मुंबई से ईरान के बेन्देर-अब्बास बन्दरगाह तक पहुंचेगा। उसके बाद यह रेल ईरान के रेश्त नगर तक जाएगी।

कुछ जगह रेल लाइन बिछाने का काम बाकी

ईरान की उत्तरी सीमाओं पर बसे रेश्त नगर और अजरबैजान के सीमावर्ती नगर अस्तारा के बीच रेल लाइन बिछाने का काम पूरा नहीं हुआ है। इसलिए इस मालगाड़ी पर लदे सारे कंटेनर सड़क के रास्ते से अस्तारा ले जाए जाएंगे। जहां से इन कंटेनरों को फिर से रेलगाड़ी पर लादकर उन्हें मास्को रवाना किया जाएगा।

कब हुआ था समझौता

उल्लेखनीय है कि साल 2000 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग नगर में रूस, ईरान और भारत ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे 'उतरी-दक्षिणी' का निर्माण करने के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। यह समझौता 21 मई 2002 से लागू हो गया। बाद में साल 2005 में अजरबैजान भी इस समझौते में शामिल हो गया।

सभी देशों के लिए होगा फायदेमंद

इस 'उतरी-दक्षिणी' गलियारी परियोजना के अंतर्गत रेल लाईन बिछाने का काम पूरा होने के बाद यह गलियारा अन्य वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय परिवहन मार्गों के मुकाबले बड़ा फायदेमंद होगा। इसकी वजह से फारस की खाड़ी से यूरोप तक मालों की ढुलाई बहुत कम समय में और बहुत कम लागत पर होने लगेगी। इसे सभी देशों को बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा ।

Next Story