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Assembly Election Results 2023: चुनाव लड़ने वाले केंद्रीय मंत्री और सांसद टेंशन में, सियासी भविष्य को लेकर सता रही है चिंता
Assembly Election Results 2023: नेताओं को चुनावी हार की स्थिति में अपना सियासी कद घटाने का डर सता रहा है तो दूसरी ओर चुनाव जीतने की स्थिति विभिन्न राज्यों में सरकारों के गठन के बाद ही यह तस्वीर साफ हो सकेगी कि उनकी आगे की सियासी राह क्या होगी।
Assembly Election Results 2023: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनावी अखाड़े में उतारा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में कई केंद्रीय मंत्री और सांसद किस्मत आजमा रहे हैं। इन मंत्रियों और सांसदों को अपने सियासी भविष्य को लेकर काफी चिंता सता रही है। इन नेताओं को चुनावी हार की स्थिति में अपना सियासी कद घटाने का डर सता रहा है तो दूसरी ओर चुनाव जीतने की स्थिति विभिन्न राज्यों में सरकारों के गठन के बाद ही यह तस्वीर साफ हो सकेगी कि उनकी आगे की सियासी राह क्या होगी।
नतीजे की घोषणा के बाद भविष्य पर फैसला
इस बीच सोमवार से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू होने वाला है। चुनाव लड़ने वाले मंत्री सत्र की तैयारियों के लिए अपने मंत्रालय को ज्यादा वक्त नहीं दे पाए हैं। इस कारण माना जा रहा है कि दूसरे सहयोगी मंत्री और राज्य मंत्री उनके मददगार की भूमिका निभाएंगे। वैसे चुनाव लड़ने वाले सांसद भी सदन में मौजूद रहेंगे।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि विभिन्न राज्यों में चुनावी तस्वीर साफ होने के बाद ही इस बात का फैसला किया जाएगा कि चुनाव लड़ने वाले मंत्रियों और सांसदों को केंद्र में रखा जाए या उन्हें राज्य की राजनीति में सक्रिय रखा जाए। चुनाव हारने की स्थिति में फिलहाल यथावत स्थिति बनी रहेगी।
नेताओं को सता रहा है इस बात का डर
वैसे चुनाव हारने की स्थिति में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान भी टिकट की दावेदारी कमजोर हो जाएगी। इसके साथ ही चुनाव लड़ने वाले मंत्रियों और सांसदों के चुनाव क्षेत्र में टिकट के नए दावेदार भी उभरकर सामने आए हैं। चुनाव जीतने वाले नेता जिस सदन को भी चुनेंगे तो दूसरे सदन में सीट जरूर खाली होगी।
वैसे चुनाव जीतने वाले लोकसभा सांसदों के सीट खाली करने पर भी चुनाव नहीं कराए जाएंगे क्योंकि छह महीने से कम समय में ही अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। अगर सांसदों की ओर से विधानसभा सीट खाली करने का फैसला किया गया तो माना जा रहा है कि इन सीटों पर उपचुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं।
चुनाव हारे तो सियासी भविष्य पर लगेगा ग्रहण
भाजपा की ओर से इस बार विभिन्न राज्यों में करीब डेढ़ दर्जन सांसदों को चुनावी अखाड़े में उतारा गया है। ऐसे में विधानसभा चुनाव के नतीजे की घोषणा के बाद भी इन नेताओं के चुनाव क्षेत्र में सियासी हलचल तेज बनी रहेगी। कई सांसद इस आशंका को लेकर ज्यादा डरे हुए हैं कि यदि उन्हें विधानसभा चुनाव में जीत नहीं हासिल हुई तो अगले लोकसभा चुनाव के दौरान उनका टिकट कट सकता है।
वैसे इस आशंका में काफी दम भी है क्योंकि विधानसभा चुनाव हारने वाले नेता को लोकसभा चुनाव का टिकट देना भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी काफी मुश्किल होगा। ऐसे में चुनाव हारने वाले नेताओं के सियासी भविष्य पर ग्रहण लगना तय माना जा रहा है।