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भारत में फेल हैं विदेशी डॉक्टर, नहीं काम आता ज्ञान

बांग्लादेश में पांच साल की मेडिकल पढ़ाई का खर्चा 30 लाख रुपए से ज्यादा आता है। वहीं मारीशस में 40 लाख व नेपाल में 50 लाख रुपए के करीब खर्चा बैठता है। चीन में मेडिकल की पढ़ाई 20 लाख रुपए से अधिक की पड़ती है।

Shivakant Shukla
Published on: 26 Oct 2019 11:29 AM GMT
भारत में फेल हैं विदेशी डॉक्टर, नहीं काम आता ज्ञान
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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: अपने देश में कड़े कंपटीशन के कारण ढेरों छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। लेकिन उनमें से मात्र १५ फीसदी छात्र ही ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन’ (एफएमजीई) पास कर पाते हैं जो भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है। इन 15 फीसदी छात्रों में से भी अधिकांश बांग्लादेश या मॉरीशस से पढ़ाई किए हुए होते हैं जहां जाना बहुतेरे छात्र पसंद नहीं करते।

डिग्री लेने वाले छात्रों का पासिंग रिकार्ड सबसे बुरा रहा

एफएमजीई कराने वाली संस्था नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशंस ने 2015 से 2018 के बीच विदेशी मेडिकल संस्थानों से डिग्री ले कर लौटे 61,708 भारतीय छात्रों का विश्लेषण किया तो पाया कि मात्र 8764 छात्र यानी 14.2 फीसदी ही एफएमजीई पास कर पाए हैं। चीन, रूस और उक्रेन से डिग्री लेने वाले छात्रों का पासिंग रिकार्ड सबसे बुरा रहा। एफएमजीई में बैठे कुल छात्रों में से 54055 या 87.6 फीसदी छात्र सात देशों - चीन, रूस, बांग्लादेश, उक्रेन, नेपाल, किर्गिस्तान और कजाखस्तान से पढ़ कर आए थे।

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आंकड़े के अनुसार, मारीशस से पढ़ कर आए 154 छात्रों में से 81 ने परीक्षा पास कर ली। इसी तरह बांग्लादेश से पढ़े 1265 छात्रों में से 343 ने तथा नेपाल से पढ़ कर आए 5894 छात्रों में से 1042 ने एफएमजीई परीक्षा पास की। यानी इन देशों से डिग्री लेने वाले छात्रों का एफएमजीई में सक्सेस रेट क्रमश: 52, 27.11 और 17.68 फीसदी रहा। दूसरी तरह चीन से पढ़े 20314 छात्रों में मात्र 2370 छात्र ही पास हो पाए। चीन, रूस और उक्रेन से पढ़ाई करने वालों का सक्सेस रेट क्रमश: 11.67, 12.89 व 15 फीसदी रहा।

नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) डा. विनोद पॉल के अनुसार, इन आंकड़ों को इसलिये सार्वजनिक किया गया है ताकि कैंडीडेट्स व उनके पेरेंट्स किसी विदेशी मेडिकल कालेज को चुनते वक्त सही निर्णय ले सकें। दरअसल ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि विदेशी संस्थानों में प्रशिक्षण की क्वालिटी उतनी उत्तम नहीं है जिसकी भारत में प्रैक्टिस करने के लिए जरूरत होती है।

विदेशी पढ़ाई बेहद महंगी

बांग्लादेश में पांच साल की मेडिकल पढ़ाई का खर्चा 30 लाख रुपए से ज्यादा आता है। वहीं मारीशस में 40 लाख व नेपाल में 50 लाख रुपए के करीब खर्चा बैठता है। चीन में मेडिकल की पढ़ाई 20 लाख रुपए से अधिक की पड़ती है।

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भारत में मेडिकल की पढ़ाई कर पाना कोई आसान काम नहीं है। एडमिशन के लिए जबर्दस्त स्पर्धा। एडमिशन मिल गया तो पढ़ाई पूरी करने में कठिन मेहनत। पीजी करने के लिए फिर दोगुनी मेहनत। इनसे बचने के लिए तमाम स्टूडेंट्स विदेशी मेडिकल कालेजों का सहारा लेते हैं। पैसा दिया, एडमिशन लिया और आसानी से परीक्षा पास करके डिग्री भी ले ली।

लेकिन भारत लौट कर डॉक्टरी करने में एक बड़ी चुनौती पार करनी होती है। वो है ‘फारेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन’ (एफएमजीई)। विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर के लौटे हर छात्र को ये परीक्षा अनिवार्यत: पास करनी होती है। इसके बाद ही भारत में प्रैक्टिस का लाइसेंस मिल सकता है।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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