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विदेशी घुसपैठियों ने सबसे ज्यादा अपराध प. बंगाल में अंजाम दिये

एनसीआरबी की 2018 की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि विभिन्न अपराधों में पकड़े गए लोगों में कुल तीन हजार आठ सौ बयासी लोग यानी लगभग 35 फीसदी घुसपैठिये या विदेशी नागरिक निकले हैं। इन लोगों ने सबसे ज्यादा 744 अपराध प. बंगाल में किये हैं

राम केवी
Published on: 12 Jan 2020 6:25 PM IST
विदेशी घुसपैठियों ने सबसे ज्यादा अपराध प. बंगाल में अंजाम दिये
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बांग्लादेशी घुसपैठियों से किस कदर देश की सुरक्षा को खतरा है और वह देश के विभिन्न राज्यों में कितना अधिक अपराधों में लिप्त हैं। इसका चौंका देने वाला खुलासा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे को लेकर कही जा रही बात सही प्रतीत होती है।

एनसीआरबी की 2018 की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि विभिन्न अपराधों में पकड़े गए लोगों में कुल तीन हजार आठ सौ बयासी लोग यानी लगभग 35 फीसदी घुसपैठिये या विदेशी नागरिक निकले हैं। इन लोगों ने सबसे ज्यादा 744 अपराध प. बंगाल में किये हैं जबकि प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इनको खुलेआम प्रश्रय दे रही हैं और इन्हें बाहर किये जाने के केंद्र सरकार के प्रयासों का विरोध कर रही हैं।

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चौंका देने वाली बात यह है कि इन घुसपैठिये विदेशियों द्वारा किये गए अपराधों में दूसरे नंबर 203 अपराधों के साथ दिल्ली है। इस नजरिये से राष्ट्रीय सुरक्षा को उत्पन्न हो रहे खतरे को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है।

ऐसा नहीं है कि दिल्ली के अलावा इनका खतरा सिर्फ सीमावर्ती राज्यों मेें है क्योंकि धीरे धीरे ये पूरे देश में फैलकर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में 175, हिमाचल प्रदेश में 147, गोवा में 138 तथा महाराष्ट्र में 134 अपराधों में इन घुसपैठियों का नाम सामने आ रहा है।

महिलाओं की भी अपराधों में भागीदारी

गौरतलब यह है कि गोवा जैसे छोटे राज्य से लेकर हिमाचल प्रदेश तक काफी ऊपर हैं। रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार होने वाले घुसपैठियों में 2859 पुरुष हैं और 963 महिलाएं हैं। वहीं 2128 अपराध इन घुसपैठियों द्वारा किये गए हैं। जबकि 2017 में यह आंकड़ा 2242 और 2016 में 1226 था।

इन विदेशी नागरिकों पर मादक पदार्थों के मामले में 273 केस दर्ज हुए हैं और धोखाधड़ी के 113 केस दर्ज हुए हैं।

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सबसे अधिक गंभीर बात यह है कि अपराध करने वालों में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी बराबर की भागीदारी निभा रही हैं। जो निसंदेह गंभीर संकेत हैं।



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राम केवी

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