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कभी इनकी 'दहाड़' से बदल गया था चुनाव तंत्र, अब रह रहे बिलकुल खामोश
चेन्नई: नब्बे के दशक में चुनाव प्रक्रिया में बड़े सुधार के लिए चर्चित पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन अब चेन्नई में गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। बीते कुछ सालों से शेषन कभी अपने सूने घर में तो कभी घर से 50 किमी दूर ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) में रह रहे हैं।
टी.एन. शेषन 1990 के दशक में मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए थे। उस दौरान बिहार में होने वाले चुनावों में बड़ी संख्या में बूथ कब्जाने और गड़बड़ी की खबरें आती थीं। उस वक़्त शेषन ने इसे चुनौती के रूप में लिया और निष्पक्ष चुनाव कराए। बिहार के लोग आज भी शेषन के उस कदम को उदहारण के तौर पर किस्सों में सुनाते हैं। उन्होंने ही पहली बार चरणों में वोटिंग कराने की परंपरा की शुरुआत की थी। चुनाव प्रक्रिया में उनके द्वारा उठाए गए कदम मील का पत्थर साबित हुए।
सत्य साईं की मौत से लगा था सदमा
एक अंग्रेजी दैनिक अख़बार की मानें, 85 वर्षीय टी.एन. शेषन अब किसी से बात नहीं करते। शेषन सत्य साईं बाबा के भक्त रहे हैं। साल 2011 में जब सत्य साईं ने देह त्याग किया तो वह टूट और सदमे में चले गए थे।
तीन साल रहे ओल्ड एज होम में
शेषन के करीबियों की मानें, तो 'उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी। ऐसे में रिश्तेदारों ने उन्हें चेन्नई के एक बड़े ओल्ड एज होम 'एसएसम रेजिडेंसी' में शिफ्ट करवा दिया। तीन साल बाद सामान्य होने के बाद एक बार फिर वो अपने फ्लैट में रहने लौट आए। लेकिन अभी भी वह कई दिनों के लिए ओल्ड एज होम चले जाते हैं।' अख़बार ने हाल ही में जब टीएन शेषन से बात करने के लिए उनके घर फोन किया, तो बताया गया कि वो किसी से बात नहीं करते हैं।