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पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता नटवर सिंह का निधन, घोटाले के चलते सरकार से दिया था इस्तीफा
Natwar Singh Death: कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का देर रात बीमारी के चलते निधन हो गया। उन्होंने 2008 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी।
Natwar Singh Death: देश के पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह का शनिवार 11 अगस्त की रात को निधन हो गया। लंबे वक्त से बीमार चल रहे नटवर सिंह 95 वर्ष के थे। बीमारी के चलते वह नई दिल्ली के पास ही गुरुग्राम के एक क्लिनिक में लगभग दो सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने मनमोहन सिंह की पहली सरकार में विदेश मंत्री के रूप में काम किया था। कांग्रेस के दिग्गज नेता के निधन पर पार्टी नेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। वह 2004-05 की अवधि में विदेश मंत्री रहे। बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
पीएम मोदी ने व्यक्त की संवेदना
पूर्व विदेश मंत्री के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना व्यक्त की है। सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने नटवर सिंह को श्रद्धांजलि दी है। पीएम ने लिखा कि, "श्री नटवर सिंह जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में समृद्ध योगदान दिया। वह अपनी बुद्धि के साथ-साथ विपुल लेखन के लिए भी जाने जाते थे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति"।
31 वर्षों तक की देश की सेवा
1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में नटवर सिंह का जन्म हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वह पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थे। उनके बेटे अस्पताल में मौजूद हैं। साथ ही परिवार और रिश्ते के कई अन्य सदस्य भी उनके गृह राज्य राजस्थान से दिल्ली आ रहे हैं। कल शनिवार की देर रात उनका निधन हो गया। मंत्री के साथ ही उन्होंने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में काम किया। 1966-71 तक इंदिरा गांधी की सरकार से जुड़े रहे। 1984 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में 31 वर्षों तक सेवा दी। उन्होंने विदेश में कई अहम पदों पर काम किया।
घोटाले के चलते देना पड़ा इस्तीफा
विदेश मंत्री रहने के दौरान ही नटवर सिंह को सरकार में घोटाला करने के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा था। ‘इराकी तेल के बदले अनाज’ घोटाले के मद्देनजर 2005 में यूपीए-1 सरकार में विदेश मंत्री के पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। वो गांधी परिवार के काफी करीब माने जाते थे। हालांकि, उन्होंने 2008 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। वह कई किताबों के लेखक भी हैं। उन्होंने बीजिंग, चीन (1956- 58), भारत के स्थायी मिशन (1961-66) में न्यूयॉर्क शहर में और यूनिसेफ (1962-66) के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि के रूप में काम किया। उन्होंने 1963 और 1966 के बीच कई संयुक्त राष्ट्र समितियों में काम किया।