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26/11 के आतंकी कसाब को जेल में बिरयानी परोसी गई थी? 'सुपरकॉप' IPS मीरा बोरवणकर ने अपनी किताब में किया खुलासा
Meera Borwankar Book: मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले के दोषी आतंकी अजमल कसाब को क्या मुंबई की जेल में बिरयानी खिलाई जाती थी? पूर्व आईपीएस ऑफिसर मीरा बोरवणकर ने अपनी पुस्तक 'मैडम कमिश्नर' में इसका खुलासा किया है।
Meera Borwankar Book Madam Commissioner : देश की व्यापारिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले को भारतीय भूल नहीं सकते। ये हमला देश की अस्मिता पर गहरा घाव देकर गया। टेरर अटैक में एकमात्र गिरफ्तार आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब (Ajmal Kasab) को मुंबई पुलिस ने जिंदा दबोचा था। समय-समय पर कसाब को जेल में बिरयानी परोसने की बातें होती रही। राजनीतिक दल इस तरह की बातें एक-दूसरे पर आरोप लगाने के लिए बोलते रहे हैं। लंबे समय से इस पर बहस होती रही। मगर, अब स्वयं उस शख्स ने इस बहस पर विराम लगा दिया है, जिसकी देखरेख में आतंकी अजमल कसाब को फांसी दी गई थी।
1981 बैच की आईपीएस अधिकारी (रिटा.) मीरा बोरवणकर (IPS Meera Borwankar) ने अपनी किताब में आतंकी अजमल कसाब से जुड़े कई पहलुओं पर अहम खुलासे किए हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी ने अपनी हाल में प्रकाशित पुस्तक 'मैडम कमिश्नर'(Meera Borwankar 'Madam Commissioner') में दावा किया गया है कि, आतंकी अजमल कसाब को कभी भी जेल में बिरयानी नहीं परोसी गई।
मीरा बोरवणकर- 'वह दौर आसान नहीं था
अपने संस्मरण 'मैडम कमिश्नर : द एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइफ ऑफ एन इंडियन पुलिस चीफ' (Madam Commissioner: The Extraordinary Life of an Indian Police Chief) में पूर्व आईपीएस ऑफिसर मीरा बोरवणकर लिखती हैं, 'वह दौर आसान नहीं था। अजमल कसाब और याकूब मेमन (Yakub Memon) की फांसी की घटनाएं उनके दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो गई। आपको बता दें, मीरा बोरवणकर वही अधिकारी हैं, जिनकी देखरेख में साल 2012 में मुंबई हमलों के आतंकी अजमल कसाब और वर्ष 2015 में आतंकी याकूब की फांसी दी गई थी। मीरा बोरवणकर पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के महानिदेशक के पद से रिटायर हुई थीं।
क्या कसाब ने मटन बिरयानी मांगी थी?
आतंकी अजमल कसाब ने क्या मटन बिरयानी मांगी थी? मीरा बोरवणकर ने इस खबर का यह कहते हुए खंडन किया कि, 'जेल में ऐसा कुछ भी नहीं परोसा गया था।' दरअसल, 2015 में अजमल कसाब की फांसी के तीन साल बाद सरकारी वकील उज्ज्वल निकम (Advocate Ujjwal Nikam) ने स्वीकारा था कि, उन्होंने मुकदमे के दौरान आतंकवादी के पक्ष में केवल भावनात्मक माहौल को तोड़ने के लिए इसे गढ़ा था। जो उस वक़्त आकार ले रहा था।
कैसा था कसाब का व्यवहार?
पूर्व एडीजी (जेल) मीरा बोरवणकर ने अपने संस्मरण में लिखा है कि, 'शुरू में कसाब ने आक्रामक व्यवहार दिखाया था। मगर, जैसे-जैसे समय बीतता गया, वह जांच के दौरान शांत होता गया। मैं जब भी उससे पूछताछ करती थी तो वह या तो शांत रहता था या फिर मुस्कुराता रहता था।'
तत्कालीन गृह मंत्री को ये था डर
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने अपनी किताब में उस घटना का भी जिक्र किया, जिसमें अक्टूबर 2012 में महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री पाटिल ने उनसे ये डर जाहिर किया था कि कुछ दुश्मन देश कानूनी प्रक्रिया (Ajmal Kasab Legal Process) में दखल दे सकते हैं। इसलिए कसाब की फांसी के समय बेहद सावधानी बरती जानी चाहिए।
फांसी से पहले बरती गई थी पूरी गोपनीयता
मीरा बोरवणकर ने अपनी किताब में लिखा है, 'फांसी से करीब 36 घंटे पहले आतंकी अजमल कसाब को मुंबई क्राइम ब्रांच (Mumbai Crime Branch) के अधिकारियों की एक टीम के साथ पूरी गोपनीयता के साथ भारी सुरक्षा वाले काफिले में मुंबई से पुणे ले जाया गया था। उन्होंने बताया कि, एक बार जब टीम ने कसाब को यरवदा जेल (Yerwada Jail) अधिकारियों को सौंपा गया था, तब टीम के सदस्यों से उनके फोन ले लिए गए थे।'