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Indo-Japan Relations: असली दोस्त थे शिंजो आबे, नई बुलंदियों तक पहुंचाये आपसी संबंध

Indo-Japan Relations: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए हमेशा याद किये जायेंगे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 8 July 2022 6:09 PM IST
India-Japan Relations
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India-Japan Relations। (Social Media)

Indo-Japan Relations: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Former Japanese Prime Minister Shinzo Abe) भारत-जापान संबंधों (India-Japan Relations) को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। जापान के सबसे लंबे समय तक सेवारत प्रधानमंत्री शिंजो आबे को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह (Former PM Manmohan Singh) और बाद में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा बहुत सराहा गया था।

शिंजो आबे ने 2007 में पहली बार भारत का किया था दौरा

शिंजो आबे ने 2007 में पहली बार भारत का दौरा किया था। इस यात्रा के दौरान उन्होंने एक स्थिर और सुरक्षित इंडो - पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत-जापान संबंधों के मुख्य स्तंभों में से एक की नींव की स्थापना की। सितंबर 2014 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और आबे ने समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और इंडो - पैसिफिक रणनीति के संबंध में संबंधों को मजबूत करने के लिए सहमति व्यक्त की थी। 2014 में शिंजो आबे ((Former Japanese Prime Minister Shinzo Abe)) भारत की गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होने वाले जापान के पहले प्रधान मंत्री थे। उनकी सरका कई मुद्दों पर भारत के साथ गहराई से जुड़ी रहीं और द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम दिए।

चीन के खिलाफ समर्थन

सबसे विशेष बात ये थी कि लद्दाख में चीन की घुसपैठ और उसके बाद के सैन्य गतिरोध के दौरान भारत को शिंजो आबे सरकार (Shinzo Abe overnment) का पूरा समर्थन मिला था। अगस्त 2017 में जब डोकलाम का गतिरोध हुआ और भारत ने चीन को यथास्थिति बदलने का आरोप लगाया, तो जापानी सरकार ने कहा था कि "इसमें शामिल सभी दलों को बल द्वारा यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा प्रयासों का सहारा नहीं लेना चाहिए।"इसी तरह का एक बयान भारत में जापानी राजदूत सातोशी सुजुकी द्वारा 2020 के गाल्वान घाटी, स्पैंगगुर त्सो और पंगोंग त्सो के पास गतिरोध के दौरान रखा गया था।

आबेनॉमिक्स और भारत

शिंजो आबे (Former Japanese Prime Minister Shinzo Abe) के आर्थिक सिद्धांत ने जापान को बहुत आगे ले जाने में मदद की है। उनके आर्थिक सिद्धांतोँ को "आबेनॉमिक्स" नाम से लोकप्रियता मिली है। भारत को भी 'आबेनॉमिक्स' से प्रमुख रूप से लाभ हुआ है। इसके जरिये सुस्त पड़ी घरेलू अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और इसे उच्च-विकास वाले रास्ते पर वापस स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया गया।

जापान की पूंजी और तकनीकी प्रगति भारत में कई परियोजनाओं और निवेश के अवसरों में उपयोगी साबित हुई है। वित्त वर्ष 2020 में जापान, भारत के लिए चौथा सबसे बड़ा निवेशक था। भारत में लगातार जापानी निजी क्षेत्र की रुचि बढ़ी है, और वर्तमान में लगभग 1,455 जापानी कंपनियों की भारत में शाखाएं हैं।

मेट्रो और बुलेट ट्रेन

बुनियादी ढांचे में भारत की तेज प्रगति को दर्शाने वाली दो प्रमुख परियोजनाओं - दिल्ली मेट्रो और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर में जापान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। शिंजो आबे की सरकार ने इन प्रोजेक्ट्स में ऋण और तकनीकी सहायता दी थी।

भारत पिछले दशकों से जापानी ओडीए ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है। दिल्ली मेट्रो ओडीए के उपयोग के माध्यम से जापानी सहयोग के सबसे सफल उदाहरणों में से एक है। जापान ने दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने के लिए रणनीतिक कनेक्टिविटी का समर्थन करने में सहयोग करना जारी रखा है।

भारत-जापान परमाणु सौदा भी अबे के हस्तक्षेप के साथ संभव हुआ था। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोगों में सहयोग के लिए भारत-जापान समझौता 20 जुलाई, 2017 को लागू हुआ। इस सौदे ने जापान और एक ऐसे देश के बीच एक समझौते का पहला उदाहरण पेश किया जिसने परमाणु गैर-अनुशासन संधि (एनपीटी) की पुष्टि नहीं की है।



Deepak Kumar

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