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Chanda Kochhar: लालच और धोखाधड़ी की दास्तान, ICICI की पूर्व एमडी चंदा कोचर और पति दीपक सीबीआई की हिरासत में
ICICI Bank Videocon Case: आईसीआईसीआई बैंक से धोखाधड़ी करने के आरोप में बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया है
ICICI Bank Videocon Case: आईसीआईसीआई बैंक से कथित रूप से 1,730 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई के तीन दिन की हिरासत मिली। कोचर दंपति को दिल्ली में पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन जांच टीम के साथ सहयोग नहीं करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। चंदा कोचर की गिरफ्तारी एक टॉप महिला सीईओ के अर्श से फर्श तक गिरने की कहानी के साथ साथ लालच, तिकड़म और पारिवारिक षड्यंत्र का भी किस्सा है।
ये मामला वीडियोकॉन ग्रुप को करोड़ों रुपये का लोन देने से जुड़ा हुआ है। वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रमोटेड वीडियोकॉन ग्रुप को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से ऋण के रूप में 3,250 करोड़ रुपये मिले थे। इसके 6 महीने बाद वेणुगोपाल धूत, दीपक कोचर और दो रिश्तेदारों के साथ स्थापित एक फर्म को वीडियोकॉन ग्रुप द्वारा करोड़ों रुपये प्रदान किए गए थे। इस मामले का खुलासा होने पर ये सभी लोग 2018 में नियामक की निगाह में आ गए थे।
2019 में सीबीआई ने कोचर, धूत और नूपावर रिन्यूएबल्स और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज सहित कई फर्मों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। अपनी प्राथमिकी में, सीबीआई ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और अज्ञात लोक सेवकों को मामले में आरोपी बनाया। इसने आरोप लगाया कि "आरोपी (चंदा कोचर) ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ एक आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ ऋण मंजूर किए।" आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सीबीआई ने कहा कि स्वीकृत ऋण राशि 40,000 करोड़ रुपये के उस ऋण का हिस्सा थी जिसे वीडियोकॉन समूह ने एसबीआई के नेतृत्व वाले 20 बैंकों के एक संघ से प्राप्त किया था। 3,250 करोड़ रुपये के ऋण का लगभग 86 प्रतिशत (2,810 करोड़ रुपये) का भुगतान नहीं किया गया। और फिर वीडियोकॉन खाते को 2017 में एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित किया गया था।
सीबीआई के अनुसार, 26 अगस्त 2009 को चंदा कोचर सहित आईसीआईसीआई बैंक की स्वीकृति समिति ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) को "नियमों और नीति के उल्लंघन में" 300 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया। सीबीआई ने आरोप लगाया कि कोचर ने बेईमानी से इस ऋण को वितरित करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। ऋण मंजूरी के अगले ही दिन, उनके पति की फर्म नूपावर रिन्यूएबल्स ने अपना पहला बिजली संयंत्र हासिल करने के लिए वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) से 64 करोड़ रुपये प्राप्त किए। एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में कहा कि, चंदा कोचर को ऋण मंजूर करने के लिए उनके पति के माध्यम से अनुचित लाभ मिला। सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि जून 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच वीडियोकॉन समूह की पांच कंपनियों को दिए गए सावधि ऋण "बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन" थे। सीबीआई ने कहा कि मई 2009 में कोचर के आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में कार्यभार संभालने के बाद वीडियोकॉन समूह की फर्मों को सभी क्रेडिट सीमाएं मंजूर की गईं।
चंदा कोचर किसी समय भारत के सबसे प्रतिष्ठित बैंकरों में से एक तथा देश की सबसे प्रमुख महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी थीं। लगभग एक दशक तक, विभिन्न सर्वेक्षणों ने लगातार उन्हें दुनिया की सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली महिला सीईओ में से एक कहा। कई भारतीय महिलाओं के लिए, विशेष रूप से कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करने वालों के लिए, चंदा कोचर एक आदर्श थीं।