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Chaudhary Charan Singh Jayanti: किसानों की लड़ाई लड़ने वाला मसीहा, घूस की शिकायत पर मैले-कुचले कपड़ों में पहुंच गए थे थाने

Chaudhary Charan Singh Jayanti: चौधरी चरण सिंह जन्म 1902 में आज ही के दिन मेरठ के नूरपुर गांव में हुआ था। किसान परिवार में पैदा होने वाले चरण सिंह के मन में किसानों के प्रति काफी हमदर्दी थी।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 23 Dec 2023 12:49 PM IST
Chaudhary Charan Singh Jayanti: किसानों की लड़ाई लड़ने वाला मसीहा, घूस की शिकायत पर मैले-कुचले कपड़ों में पहुंच गए थे थाने
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Chaudhary Charan Singh Jayanti: जीवन भर किसानों के हक की लड़ाई लड़ने वाले चौधरी चरण सिंह ने लंबे सियासी संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय किया था। देश के दिग्गज किसान और जाट नेता माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह को देश की सियासत में आज भी उनकी सादगी के लिए याद किया जाता है। उन्होंने जीवन भर किसानों,गरीबों और समाज के कमजोर वर्गों की लड़ाई लड़ी और सियासत की बुलंदी पर पहुंचने में कामयाब रहे। चौधरी चरण सिंह जन्म 1902 में आज ही के दिन मेरठ के नूरपुर गांव में हुआ था। किसान परिवार में पैदा होने वाले चरण सिंह के मन में किसानों के प्रति काफी हमदर्दी थी।

किसानों की शिकायत का निस्तारण करने के लिए उनका एक किस्सा काफी मशहूर है। इस समस्या को सुलझाने के लिए चौधरी चरण सिंह मैला-कुचला कपड़ा पहने हुए किसान की वेशभूषा में इटावा के ऊसराहार थाने में रपट लिखाने के लिए पहुंच गए थे। थाने पर तैनात पुलिसकर्मी चरण सिंह को इस साधारण वेशभूषा में पहचान नहीं सके और उनसे रिश्वत की मांग कर दी। बाद में जब असलियत का खुलासा हुआ तो हड़कंप मच गया। रिश्वत मांगने के मामले में पूरा ऊसराहार थाना सस्पेंड कर दिया गया था।

किसानों ने की थी घूस लेने की शिकायत

चौधरी चरण सिंह को भारतीय सियासत के सादगी पसंद नेताओं में शुमार किया जाता रहा है। उन्हें दिखावे के साथ ही फिजूलखर्ची से काफी नफरत थी। 1979 में देश के प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर पहुंचने वाले चौधरी चरण सिंह हमेशा आम लोगों की बात सुनने को तत्पर रहते थे। यही कारण था कि कई मौकों पर वे सुरक्षा का तामझाम छोड़कर आम लोगों के बीच पहुंच जाया करते थे। उनकी यह सादगी लोगों को काफी पसंद आया करती थी।


1979 में प्रधानमंत्री बनने के बाद चरण चौधरी चरण सिंह के पास किसानों की कई शिकायतें पहुंचीं। किसानों की शिकायत थी कि पुलिस और ठेकेदारों की ओर से घूस लेकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। किसानों की इन शिकायतों को लेकर चौधरी चरण सिंह काफी गंभीर थे और उन्होंने खुद ही इस शिकायत की सच्चाई जानने और इसका समाधान खोजने की कोशिश की।

रिश्वत देने पर लिखी गई बैल चोरी की रिपोर्ट

1979 के अगस्त महीने के दौरान शाम के वक्त मैली-कुचली धोती पहनकर एक बुजुर्ग किसान उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के ऊसराहार थाने में अपनी शिकायत लेकर पहुंचा। किसान ने थाने में अपने बैल के चोरी हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की। थाने में मौजूद दरोगा रुआबी भरे अंदाज में किसान से उल्टे-सीधे सवाल पूछने लगा।

दरोगा ने बिना रिपोर्ट लिखे किसान को उल्टे पांव लौटा दिया। बुजुर्ग किसान के लौटते समय पीछे से एक सिपाही बोला कि थोड़ा खर्चा पानी देने पर रिपोर्ट दर्ज कर ली जाएगी। आखिरकार 35 रुपये की रिश्वत पर रिपोर्ट लिखे जाने की बात तय हुई। बुजुर्ग किसान की ओर से पैसा दिए जाने के बाद रिपोर्ट लिख ली गई।

हस्ताक्षर के बाद लगाई पीएम की मुहर

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थाने के मुंशी ने बुजुर्ग किसान से सवाल पूछा कि वे हस्ताक्षर करेंगे या अंगूठा लगाएंगे। किसान ने हस्ताक्षर करने की बात कही तो मुंशी ने हस्ताक्षर के लिए कागज बढ़ा दिया। बुजुर्ग किसान ने हस्ताक्षर के लिए पेन निकालने के साथ स्याही वाला पैड उठाया तो मुंशी भी हैरान रह गया। बुजुर्ग किसान ने हस्ताक्षर करने के साथ कुर्ते की जेब से मुहर निकालकर थाने के कागज पर ठोक दी।



मुहर पर लिखा हुआ था प्रधानमंत्री भारत सरकार। कागज पर प्रधानमंत्री की मुहर देखकर पूरे थाने में हड़कंप मच गया। वह बुजुर्ग किसान और कोई नहीं बल्कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह थे। रिश्वत लेने के मामले में बाद में पूरे ऊसराहार थाने को सस्पेंड कर दिया गया।

मैले कपड़ों में अकेले पहुंचे थे रिपोर्ट लिखाने

दरअसल चौधरी चरण सिंह किसानों की ओर से मिल रही शिकायतों की सच्चाई जानने के लिए खुद थाने पर पहुंचे थे। उन्होंने अपने गाड़ियों के काफिले को थाने से कुछ दूरी पर खड़ा कर दिया था। अपने कपड़ों पर मिट्टी लगाने के बाद वे अकेले ही थाने पर शिकायत दर्ज कराने के लिए पहुंचे थे। इस घटनाक्रम के दौरान उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि किसानों की शिकायत में पूरी तरह सच्चाई है।



पीएम के रूप में लंबी नहीं रही पारी

चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बनने में तो कामयाब रहे मगर पीएम के रूप में उनकी पारी लंबी नहीं चल सकी। चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 को देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने थे मगर इंदिरा गांधी के समर्थन वापस ले लेने के कारण उन्हें लोकसभा का सामना किए बिना ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था।

1980 में देश में मध्यावधि चुनाव हुआ जिसमें इंदिरा गांधी बहुमत हासिल करते हुए सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही थीं। इसके बाद चौधरी चरण सिंह सियासत की बुलंदी पर पहुंचने में कामयाब नहीं हो सके। बाद में 19 मई 1987 को चौधरी साहब का निधन हो गया। सादगी पसंद चौधरी साहब को आज भी याद किया जाता है जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के लिए समर्पित कर दिया।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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