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Shanti Bhushan Death: एक जुझारू युग का अंत

Shanti Bhushan Death: शांति भूषण ने ही इंदिरा गांधी के चुनाव के खिलाफ केस लड़ा था और उनका चुनाव रद करवा दिया था। इसी के बाद देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी।

Neel Mani Lal
Published on: 31 Jan 2023 10:40 PM IST
Shanti Bhushan
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Shanti Bhushan (Social Media)

Shanti Bhushan: शांति भूषण का निधन, कानून, एक्टिविज़्म और जुझारूपन के एक युग का समाप्त हो जाना है। शांति भूषण ने ही इंदिरा गांधी के चुनाव के खिलाफ केस लड़ा था और उनका चुनाव रद करवा दिया था। इसी के बाद देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी। शांति भूषण ने देश की उच्च न्यायपालिका में पारदर्शिता और सुधार के लिए काफी काम किया, प्रयास किया। उत्तरप्रदेश के बिजनौर में 11 नवम्बर 1925 को जन्मे शांतिभूषण न सिर्फ एक जानेमाने वकील थे बल्कि एक राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई की सरकार में भारत के कानून मंत्री के पद पर कार्य किया। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ अधिवक्ता थे।

राजनीतिक सफर

शांति भूषण ने कांग्रेस से लेकर जनता पार्टी, भाजपा और आम आदमी पार्टी तक की राजनीतिक यात्रा की। उनका हर बदलाव वैचारिक मतभेदों के चलते हुआ। शांति भूषण का राजनीतिक करियर कांग्रेस (ओ) से शुरू हुआ था। इमरजेंसी के बाद जब जनता पार्टी बनी तो वह उसके सक्रिय सदस्य बने। वह 14 जुलाई 1977 से 2 अप्रैल 1980 तक राज्य सभा के सदस्य रहे और 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री के पद पर रहे। कानून मंत्री के रूप में, उन्होंने भारत के संविधान का 44वां संशोधन पेश किया जिसने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पारित भारत के संविधान के बयालीसवें संशोधन के कई प्रावधानों को निरस्त कर दिया। 1980 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 1986 में, पार्टी द्वारा एक चुनाव याचिका पर उनकी सलाह के खिलाफ काम करने के बाद उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। 26 नवंबर 2012 को वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य बन गए।

एक्टिविज़्म

शांति भूषण नागरिक मुद्दों पर बहुत सक्रिय रहे।1980 के दशक में वह सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के संस्थापकों में से एक थे। ये एक ऐसा संगठन है जो जनहित के मामलों पर याचिकाएं दाखिल करता है। इस संगठन के पहले अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी.एम. तारकुंडे थे, जो पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के संस्थापक भी थे। अन्य संस्थापक सदस्य फली सैम नरीमन, अनिल दीवान, राजिंदर सच्चर और कॉलिन गोंसाल्विस सहित वरिष्ठ अधिवक्ता थे।

न्यायिक सुधार

शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण ने "न्यायिक जवाबदेही और न्यायिक सुधार अभियान" की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य न्यायपालिका में जवाबदेही के लिए दबाव बनाना है। इस अभियान ने न्यायमूर्ति एस अशोक कुमार, मदन मोहन पुंछी, सौमित्र सेन और अश्विनी कुमार माता के कार्यों और नियुक्तियों का भी विरोध किया था। शांति भूषण ने उच्च न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के बारे में अपने बयान के चलते सर्वोच्च न्यायालय में अदालत की अवमानना ​​के आरोपों का सामना किया था। उन्होंने विशेष रूप से, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार के बारे में बयान दिया था।

इंडिया अगेंस्ट करप्शन

शांति भूषण इंडिया अगेंस्ट करप्शन की कोर कमेटी के एक प्रमुख सदस्य थे। वह नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली भारत सरकार द्वारा गठित जन लोकपाल विधेयक की संयुक्त मसौदा समिति के सदस्य थे।

प्रमुख मामले

  • शांति भूषण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ मामले में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया था। इसी केस में न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया और लोकसभा के उनके चुनाव को शून्य घोषित कर दिया। इस निर्णय के परिणामस्वरूप व्यापक राजनीतिक विरोध हुआ और अंततः भारत में इमरजेंसी लगाई गई।
  • 1994 में शांति भूषण 1993 के मुंबई बम धमाकों के दो आरोपियों की तरफ से अदालत में खड़े हुए थे।
  • 2002 में वह सर्वोच्च न्यायालय में अरुंधती रॉय के खिलाफ एक अवमानना ​​मामले में उनके वकील के रूप में उपस्थित हुए।
  • 2001 में संसद पर हमले में शौकत हुसैन को 10 साल की सजा के खिलाफ अपील के लिए शांति भूषण ने शौकत हुसैन का केस लड़ा था।
  • गाजियाबाद के भविष्य निधि घोटाला मामले में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के वरिष्ठ वकील के रूप में शांति भूषण पेश हुए थे। इस मामले में कथित रूप से कई न्यायाधीश शामिल थे।
  • शांति भूषण ने सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस के केस एलॉट करने के अधिकार को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी।


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Durgesh Sharma

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