Friendship Day 2024: सियासी मैदान की ये दोस्ती बनी मिसाल, अटल-आडवाणी, मोदी-शाह और केजरीवाल-सिसोदिया की दास्तान

Friendship Day 2024: मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की दोस्ती की मिसाल दी जाती है। वहीं केजरीवाल और सिसोदिया की दोस्ती भी गजब की रही।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 4 Aug 2024 6:53 AM GMT
Friendship Day 2024: सियासी मैदान की ये दोस्ती बनी मिसाल, अटल-आडवाणी, मोदी-शाह और केजरीवाल-सिसोदिया की दास्तान
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Friendship Day 2024: दुनिया भर के विभिन्न देशों में आज फ्रेंडशिप डे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। मुश्किल समय में दोस्त एक-दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा आगे आते रहे हैं। जीवन के विविध क्षेत्रों में दोस्ती की मिसाल की अनेक कहानियां सुनने को मिलती हैं। देश की सियासत में भी कई चर्चित नेताओं के बीच गहरी दोस्ती रही है जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की दोस्ती किसी से छिपी हुई नहीं है। मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की दोस्ती की भी खूब चर्चा होती रही है। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की दोस्ती भी काफी चर्चाओं में रही है। यह अजीब संयोग है कि दोनों इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी

वैसे तो राजनीतिक मैदान के लिए यह कहा जाता रहा है कि इसमें न कोई स्थायी दोस्त होता है और न दुश्मन मगर अटल और आडवाणी की दोस्ती लंबे समय तक भारतीय सियासत में छाई रही है। देश के इन दोनों शीर्ष नेताओं के बीच 1950 के दशक में दोस्ती हुई थी और उस समय दोनों नेता जनसंघ को मजबूत बनाने में जुटे थे। अटल और आडवाणी की मौजूदगी में ही 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया था।



भारतीय जनता पार्टी को आज दुनिया की सबसे बड़ी ताकतवर पार्टी माना जाता है मगर पार्टी को इतना मजबूत बनाने में अटल और आडवाणी की सबसे बड़ी भूमिका रही है। दोनों नेताओं ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी का तीखा विरोध किया था और दोनों को जेल की हवा खानी पड़ी थी। बाद में दोनों नेता मोरारजी देसाई की कैबिनेट में मंत्री बने थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि बाद में दोनों नेताओं ने सम्मिलित प्रयास करते हुए भाजपा को काफी मजबूत बनाया।

दोनों नेताओं के बीच कभी कोई विवाद नहीं

भाजपा के सत्ता पाने पर दोनों नेताओं के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर भी कभी कोई विवाद नहीं हुआ। आडवाणी ने हमेशा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व को स्वीकार किया। अटल बिहारी वाजपेयी को कुशल वक्ता माना जाता था और वे विभिन्न जनसभाओं के जरिए भाजपा के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश करते थे जबकि आडवाणी ने संगठन को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।

आडवाणी ने एक बार इंटरव्यू में खुलासा किया था कि किस तरह अटल जी के साथ उनकी अंतरंगता थी। शुरुआती दिनों में दोनों नेता साथ-साथ फिल्म देखने और गोलगप्पा खाने भी जाया करते थे। हालांकि बाद के दिनों में सुरक्षा की दृष्टि से यह मुश्किल हो गया। दोनों नेताओं को अब भारत रत्न दिया जा चुका है। वाजपेयी को यह सम्मान पहले ही दिया गया था जबकि आडवाणी को हाल में राष्ट्रपति ने भारत रत्न से सम्मानित किया है।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह

मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की दोस्ती की मिसाल दी जाती है। इस बार लोकसभा चुनाव के बाद मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पारी शुरू की है। गृह मंत्री अमित शाह के साथ मोदी की काफी पुरानी दोस्ती है और इसे भारत की सियासत में सबसे मजबूत दोस्ती के रूप में भी गिना जाता रहा है।

जानकारों के मुताबिक गुजरात से ताल्लुक रखने वाले इन दोनों नेताओं की दोस्ती करीब 45 वर्ष पुरानी है। दोनों के बीच उस समय से गहरी दोस्ती रही है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री भी नहीं बने थे। बाद में मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने अमित शाह को अपनी सरकार में शामिल किया था।

लगातार मजबूत होती गई दोनों की दोस्ती

गुजरात के पुराने लोगों का कहना है कि दोनों के बीच पहली मुलाकात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक बैठक के दौरान हुई थी। उस समय नरेंद्र मोदी संघ के प्रचारक के रूप में काम कर रहे थे जबकि अमित शाह संघ के स्वयंसेवक थे। बाद के दिनों में यह दोस्ती लगातार मजबूत होती गई। नरेंद्र मोदी को सियासी रूप से मजबूत बनाने में गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है।



प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अपनी सरकार की कई बड़ी योजनाओं को गृह मंत्री अमित शाह के जरिए अंजाम तक पहुंचाते रहे हैं। संसद से लेकर सड़क तक नरेंद्र मोदी और अमित शाह की दोस्ती की खूब चर्चा होती रही है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी के दौरान भी अमित शाह को उनका दाहिना हाथ माना जाता है। यही कारण है कि विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह पर भी हमेशा निशाना साधा जाता रहा है।

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की दोस्ती भी सियासी हल्कों में चर्चा का विषय रही है। सिसोदिया पहले पत्रकार थे जबकि केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी थे। बाद के दिनों में केजरीवाल ने एक एनजीओ चलाना शुरू किया और इसी दौरान उनकी सिसोदिया से मुलाकात हुई थी। बाद में यह मुलाकात गहरी दोस्ती में बदल गई। 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के दौरान केजरीवाल और सिसोदिया दोनों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन को मजबूत बनाने में दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका थी।



दोनों ने मिलकर बीजेपी को किया किनारे

आम आदमी पार्टी के गठन में भी केजरीवाल और सिसोदिया की ही सबसे बड़ी भूमिका थी। दोनों नेताओं ने आम आदमी पार्टी को मजबूत बनाते हुए दिल्ली की सत्ता से भाजपा को बेदखल कर दिया। दोनों नेताओं के बीच गहरी दोस्ती का ही नतीजा था कि आज तक दोनों के बीच में किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं हुआ।

हालांकि बाद में शराब घोटाले और अन्य मामलों को लेकर दोनों को गिरफ्तारी का भी सामना करना पड़ा। मौजूदा समय में दोनों तिहाड़ जेल में बंद हैं। आम आदमी पार्टी ने दोनों नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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