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G20 Summit 2023 समाप्त: क्वाड बैठक में अगले साल फिर लग सकता है दिल्ली दरबार, पीएम मोदी ने जो बाइडेन को किया आमंत्रित

G20 Summit 2023: भारत और चीन के रिस्ते पर चीन गी गिद्ध निगाह बनी रहती है। चीन इसे अमेरिका के साथ जारी ट्रेड वार के रूप में भी देखता है।

Anant kumar shukla
Published on: 10 Sep 2023 11:48 AM GMT
G20 Summit 2023 समाप्त: क्वाड बैठक में अगले साल फिर लग सकता है दिल्ली दरबार, पीएम मोदी ने जो बाइडेन को किया आमंत्रित
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G20 Summit 2023: जी-20 समिट समाप्त, सभी मेहमान अपने देश वापस लौटना शुरू कर दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन वियतनाम के लिए रवाना हो गए हैं। लेकिन अगले साल एक बार फिर उनका भारत में आना हो सकता है। यदि सब ठीक रहा तो अगले साल फिर से एक बार दिल्ली दरबार सजेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी ने बाइडन को जनवरी 2024 में भारत आने का न्यौता दिया है। बाइडन ने मोदी के आमंत्रण को सहृदय से स्वीकार किया। भारत की पूरी कोशिश है कि अगले साल होने वाले क्वाड सम्मेलन में शामिल होने के लिए दो अन्य सदस्य देश जापान और आस्ट्रेलिया भारत आएं। जो बाइडन भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य मेहमान बनें और उसी के आसपास क्वाड बैठक का भी आयोजन हो। यह भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी। भारत क्वाड संगठन को नापसंद करता है। वह शुरू से ही इसे अपने विरुद्ध गुटबंदी मानता आया है।

भारत और चीन के रिस्ते पर चीन गी गिद्ध निगाह बनी रहती है। चीन इसे अमेरिका के साथ जारी ट्रेड वार के रूप में भी देखता है। क्योंकि एशिया महाद्वीप में चीन के बाद भारत दूसरा देश है, जिसके बाद हर स्तर की क्षमता मौजूद है। हालांकि अमेरिका, चीन और भारत के रिस्तों में आपसी विश्वास के संकट से भी इनकार नहीं किया जा सकाता।

अंतरराष्ट्रीय जानकारों की माने तो अमेरिका और चीन का लक्ष्य अलग-अलग है, जिसका असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। दोनों देश अपनी-अपनी गोलबंदी में जुटे हुए हैं। चीन गरीब देशों को कर्ज का लालच देकर अपने चंगूल में फंसा रहा है। अरब और अफ्रीकी देशों के साथ चीन के करीबी संबंध बढ़ रहे हैं, जो अमेरिका को बिल्कुल पसंद नहीं है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की तरह चीनी अर्थव्यवस्था पर भी काफी दबाव है। बेरोजगारी और घरेलू समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। इसका प्रमुख कारण चीन और अमेरिका की आपसी दूरी है। यदि दोनों के आपसी रिस्ते मधुर हो जाते हैं तो आने वाले दिनों में भू-राजनैतिक परिस्थितियां बदली नजर आएंगी।

शी जिनपिंग के कार्यकाल में भारत, चीन में बढ़ी दूरियां

शी जिनपिंग के कार्यकाल में भारत और चीन के बीच तालमेल घटा है। खासकर सीमापर तनाव को लेकर पिछले दिनों से काफी तनावपूर्ण महौल बना हुआ है। अमेरिका के लिए यह अवसर की तरह है। दूसरी तरफ भारत पर भी इसका काफी प्रभाव देखने को मिला। यही कारण है कि भारत और अमेरिका के बीच विश्वसनीयता, सहयोगा और साझेदारी आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन यदि किसी कारण से कल भारत के साथ चीन के रिस्ते मधुर हो जाए तो अमेरिका को बड़ा झटका लग सकता है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि आने वाले कुछ दिनो में रिस्ते मधुर होंगे। हालांकि अमेरिका के रणनीतिकार इसको लेकर सशंकित हैं। इसका एक यह भी एक प्रमुख कारण था कि रूस से रिस्ते के चलते भारत नें अमेरिका को उतना अहमियत नहीं दे रहा था।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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