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Gangster Culture in Punjab: पंजाब में खूब पनपा है गैंगस्टर कल्चर, युवाओं के लिए ये बने हैं आदर्श

Gangster Culture in Punjab: पिछले डेढ़ दशक में, पंजाब में गिरोहों का प्रसार हुआ है। उनकी संख्या में वृद्धि हुई और जबरन वसूली और लूट में तेजी आई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 30 May 2022 1:24 PM IST
Gangster Culture in Punjab
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पंजाब में गैंगस्टर कल्चर (फोटो: सोशल मीडिया )

Gangster Culture in Punjab: पंजाब में 2008 के बाद से गैंगस्टर कल्चर (Gangster Culture) बहुत तेजी से परवान चढ़ा है। किसी फैशन की तरह ये ट्रेंड अपराध की दुनिया की ओर मुड़ने वाले युवाओं में सामने आया है और पंजाबी पॉप गीतों में जबर्दस्त तरीके से परिलक्षित हो रहा है।

पिछले डेढ़ दशक में, पंजाब में गिरोहों का प्रसार हुआ है। उनकी संख्या में वृद्धि हुई और जबरन वसूली और लूट में तेजी आई है। जेल में बन्द गैंगस्टरों द्वारा फेसबुक पर अपनी फोटो और पोस्ट डालना, धमकियों वाले मैसेज पोस्ट करना - ये सब असम बातें हो गईं हैं। हद तो ये है कि गिरोहों और अपराधियों को ग्लैमराइज करने वाले पॉप गायकों, उनके वीडियो की भरमार है क्योंकि ये बहुत पसंद किए जाते हैं। ये सब काफी कुछ पश्चिमी देशों की नकल भी है।

पुलिस की चिंता यह है कि स्कूल और कॉलेज के छात्रों के बीच गैंगस्टर्स के प्रति बड़ा सम्मोहन और इज्जत है। छात्र चुनावों में ज्ञात गिरोह के सदस्यों की भागीदारी प्रसिद्ध है। पंजाब के युवा गैंगस्टर लाइफस्टाइल से बहुत प्रेरित हैं। गैंगस्टरों को छात्र अपने राजनीतिक समारोहों के लिए आमंत्रित करते हैं। छात्रों और युवाओं में इसीलिए गैंगस्टरों की प्रशंसा वाले पॉप गीतों की अच्छी खासी लोकप्रियता है।

दिल्ली में घुसपैठ

बताया जाता है कि दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के गैंगस्टर कथित तौर पर दुबई, थाईलैंड और कनाडा जैसे स्थानों पर चले गए हैं जहां से वे भारत में गिरोह संचालित कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उनकी प्रेरणा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी है। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार किए गए अपराधियों से पता चला है कि ये गिरोह तीन अलग-अलग देशों से सक्रिय गिरोह के नेताओं के निर्देश पर काम करते हैं। एक गिरोह के सरगना वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा के थाईलैंड से संचालित होने का संदेह है; सतेंद्रजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ के कनाडा से संचालित होने का संदेह है; और संदीप उर्फ काला जत्थेदी के भारत से किसी अज्ञात विदेशी गंतव्य पर जाने का संदेह है।

ये लोग सिर्फ वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) कॉल पर बात करते हैं और विभिन्न आईडी से प्राप्त नंबरों का उपयोग करते हैं। आरोपी अपने आकाओं को संबोधित करने के लिए कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल करते हैं। "मास्टरमाइंड" को 'टाइगर' (काला राणा के लिए), 'अल्फा' (काला जत्थेदी के लिए) और 'डॉक्टर' (गोल्डी बरार के लिए) के रूप में संबोधित किया जाता है। "टाइगर सभी गिरोह के सदस्यों के लिए संचार केंद्र है, डॉक्टर वित्त और रसद का प्रबंधन करता है और अल्फा लक्ष्य का पीछा करने का फैसला करता है।

पिछले एक साल में दिल्ली में बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अपराधी और गैंगस्टर दिल्ली के अंडरवर्ल्ड पर कब्जा करने के लिए राजधानी में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं।

पुलिस का कहना है कि गिरोहों पर कई छापे में सैकड़ों अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन यह नए सदस्यों को उनसे जुड़ने से रोक नहीं रहा है। युवा लोग छुटभैये अपराधियों के रूप में प्रवेश करते हैं। इनमें अच्छी लाइफस्टाइल, पैसा और राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा होती है। राज्य की विभिन्न जेलों में 317 गैंगस्टर्स बन्द हैं लेकिन 600 से 700 सदस्य खुले घूम रहे हैं।पंजाब के इन गैंग्स को, विशेष रूप से मालवा में, कुछ गैंगस्टर्स को राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है।

खिलाड़ी बने गैंगस्टर

पंजाब में खिलाड़ियों का गैंगस्टर बनने का भी एक अजीब ट्रेंड है। मिसाल के तौर पर गैंगस्टर जसविंदर सिंह उर्फ रॉकी एक हैमर-थ्रोअर था। इसी तरह जयपाल सिंह भी नेशनल लेवल का एक हैमर थ्रोअर था। जयपाल का गैंगस्टर साथी गुरशाहिद सिंह उर्फ शेरा खुबन था, जो चार साल पहले एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। जयपाल और शेरा की मुलाकात एक खेल टूर्नामेंट में हुई थी और वहीं से उनका साथ सफर शुरू हुआ। उनके अन्य गैंगमेट तिरथ धिलवान एक पुराण कबड्डी चैंपियन है।

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह

सिंगर सिद्धू मूसेवाला (sidhu moose wala) की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाला लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह मालवा, दिल्ली, राजस्थान में सक्रिय है। ये हाईवे डकैती, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और वसूली के धंधे में लगा है। यह अवैध हथियारों का भी कारोबार करता है। पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संगठन का पूर्व छात्र नेता लॉरेंस बिश्नोई कभी चंडीगढ़ में डीएवी कॉलेज का छात्र था। बाद में वह अपराध की दुनिया में उतर गया। वह इस समय राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है। ये गैंगस्टर अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी को लेकर भी सुर्खियों में आया था। नरेश बिश्नोई और सुनील नेहरा उसके गिरोह के अन्य सदस्य हैं। माना जाता है कि कनाडा में राह रहा अपराधी गोल्डी बराड़ इस गैंग को निर्देश देता है।

जयपाल सिंह, शेरा खुबन गैंग

2012 में बठिंडा में एक मुठभेड़ में मारे गए गुरशाहिद सिंह उर्फ शेरा खुबान के नाम से चलाया जा रहा यह गिरोह सबसे खूंखार गैंगस्टरों में से एक जयपाल सिंह के नेतृत्व में राज्य भर में अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है। यह गिरोह रंगदारी और हाईवे लूट में शामिल है। हालाँकि, जयपाल अप्रैल 2016 में हिमाचल में परवाणू के पास प्रतिद्वंद्वी जसविंदर सिंह रॉकी की हत्या के बाद से गायब है।

सुखा कहलों गैंग

2015 में गौंडर गैंग द्वारा शूटर सुखबीर सिंह उर्फ सुखा कहलों की हत्या के बावजूद, ये गिरोह पंजाब के दोआबा और माझा क्षेत्रों में सक्रिय है। कहलों को अदालत ले जाया जा रहा था जब हमलावरों ने उसके साथ आए पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया, उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी और उसके शरीर के चारों ओर नृत्य किया। विक्की गौंडर और कहलों 2007 में जालंधर स्पोर्ट्स कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे।

गुरबख्श सेवेवाला गैंग

मालवा के कुख्यात अपराधी दविंदर बंबिहा की मौत के बाद यह गिरोह अस्तित्व में आया। सेवेवाला बंधुओं ने बांबिहा के गिरोह के अधिकांश सदस्यों को अपने गैंग में शामिल कर लिया। इस गिरोह का संचालन रंजीत सेवेवाला करता था। 2015 में उसके मारे जाने के बाद, उसके भाई गुरबख्श सिंह ने कमान संभाली। गुरबक्स को पुलिस ने सितंबर 2017 में एक मुठभेड़ के बाद बठिंडा में पकड़ा था।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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