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GBS Outbreak: जीबीएस वायरस से मुंबई में पहली मौत, महाराष्ट्र में मृतकों की संख्या 8 हुई

GBS Outbreak: महाराष्ट्र में पालघर की एक 10वीं कक्षा की लड़की को भी जीबीएस पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके साथ ही, महाराष्ट्र में संदिग्ध जीबीएस मौतों की कुल संख्या अब आठ हो गई है।

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Newstrack Network
Published on: 12 Feb 2025 1:51 PM IST
GBS Outbreak: जीबीएस वायरस से मुंबई में पहली मौत, महाराष्ट्र में मृतकों की संख्या 8 हुई
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जीबीएस वायरस से मुंबई में पहली मौत   (photo: social media )

GBS Outbreak: गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के कारण मुंबई में पहली मौत की सूचना है।बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के वीएन देसाई अस्पताल के 53 वर्षीय वार्ड बॉय ने वायरस से लंबी लड़ाई के बाद नायर अस्पताल में दम तोड़ दिया।

रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में पालघर की एक 10वीं कक्षा की लड़की को भी जीबीएस पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके साथ ही, महाराष्ट्र में संदिग्ध जीबीएस मौतों की कुल संख्या अब आठ हो गई है।

सबसे ज्यादा केस पुणे में

मुंबई में पहला मामला पिछले हफ्ते सामने आया था जब एक 64 वर्षीय महिला को टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पुणे जिला राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहाँ संदिग्ध और पुष्टि किए गए जीबीएस मामलों की संख्या 197 तक पहुँच गई है। इनमें से 172 मामलों में जीबीएस का निदान किया गया है। 10 फरवरी की रात को एक 37 वर्षीय व्यक्ति की मौत के बाद जिले में मौतों की संख्या बढ़कर सात हो गई है। पुणे के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 104 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 50 आईसीयू में हैं और 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने और मांसपेशियों में कमज़ोरी और झुनझुनी सनसनी जैसे जीबीएस के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाने का आग्रह किया है।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है?

- गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम नर्व्स पर ही हमला करता है।

- जीबीएस के विभिन्न रूपों को आम तौर पर एक्यूट इन्फ्लेमेटरी डिमाइलेटिंग पॉलीरेडिकुलोन्यूरोपैथी (एआईडीपी), मिलर फिशर सिंड्रोम (एमएफएस), एक्यूट मोटर एक्सोनल न्यूरोपैथी (एएमएएन) और एक्यूट मोटर-सेंसरी एक्सोनल न्यूरोपैथी (एएमएसएएन) के रूप में जाना जाता है।

- जीबीएस के कारण सुन्नता, कमजोरी या लकवा हो सकता है। इसके शुरुआती लक्षणों में हाथों और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी शामिल है।

क्या है इलाज

- इंट्रा वीनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) और प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे इलाज ने क्रांतिकारी बदलाव किया है, लेकिन समय पर इलाज सबसे महत्वपूर्ण है।

- डॉक्टरों के अनुसार, 80 फीसदी रोगी अस्पताल से छुट्टी मिलने के छह महीने के भीतर बिना किसी सहायता के चलने की क्षमता हासिल कर लेते हैं, हालांकि कुछ को पूरी तरह से ठीक होने में एक साल या उससे ज्यादा समय लग सकता है।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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