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नहीं सुलझ रही पाक से लौटी गीता के परिवार की पहेली, अब DNA ही सहारा
इंदौर: गलती से भारत की सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंचकर वर्षो बाद अपने वतन लौटी मूक-बधिर गीता ने झारखंड के एक परिवार के दावे को झुठलाते हुए उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। वह डीएनए के लिए नमूना देने को भी तैयार नहीं हुई।
सूत्रों के मुताबिक, झारखंड के मूंदी गांव के विजय राम और माला अपने बेटे रोशन के साथ यहां पहुंचे थे और उन्होंने गीता के अपनी बेटी होने का दावा किया था। शुक्रवार की सुबह संबंधित परिवार के सदस्य ने गीता से प्रशासन की मध्यस्थता में बातचीत की। इसमें विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल रहे। इस दौरान गीता ने दंपति को न तो पहचाना और न ही अन्य मामलों में सहयोग किया।
जिलाधिकारी निशांत बरवड़े ने संवाददाताओं को बताया कि झारखंड से एक परिवार आया है, जिसका डीएनए के लिए नमूना लिया गया है। गीता के नमूने पहले से दिल्ली में मौजूद हैं, लिहाजा उससे मिलान किया जाएगा। दोनों को मिलने के लिए अभी और समय दिया जाएगा।
चर्चा के दौरान मौजूद अधिकारियों के मुताबिक, गीता का रुख सहयोगात्मक नहीं था। इसके अलावा भी कई सवालों का उसने ठीक से जवाब नहीं दिया।
गीता इशारों में बात करती है। जिलाधिकारी कार्यालय में संकेतक विशेषज्ञ, जिला प्रशासन के अधिकारी, गीता और संबंधित परिवार के बीच बातचीत हुई। झारखंड से आया परिवार डीएनए के लिए नमूना देने के लिए तैयार हो गया, मगर गीता इसके लिए राजी नहीं हुई। गीता का कहना था कि उसके कई बार नमूने लिए जा चुके हैं।
झारखंड से आए इस परिवार से पहले भी कुछ परिवार गीता को अपनी बेटी बता चुके हैं। मगर गीता ने अब तक किसी परिवार को अपना नहीं बताया है।
राजस्थान के पुष्कर मेले में खोई गीता गलती से सीमा लांघने के बाद पाकिस्तान पहुंच गई थी। एक दशक से ज्यादा वक्त वहां रहने के बाद भारत लौटी गीता इन दिनों इंदौर के गुमाश्ता नगर स्थित गैर सरकारी संस्था मूक-बधिर संगठन के आवासीय परिसर में रह रही है।
बताते हैं कि गीता उस समय पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी, उस समय उसकी उम्र महज सात से आठ साल थी। मूक-बधिर गीता को पाकिस्तान की ईदी फाउंडेशन की बिलकिस ईदी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था।
भारत की गीता के पाकिस्तान में होने का खुलासा होने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर गीता 26 अक्टूबर, 2015 को भारत वापस लौटी थी। उसके बाद उसे यहां के मूक-बधिरों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में भेज दिया गया था। उसी के बाद से गीता के परिवार की खोज जारी है, मगर अब तक इस प्रयास को सफलता नहीं मिल पाई है।
--आईएएनएस