Geeta Press: जयराम रमेश पर गिर सकती है गाज, गीता प्रेस के बयान पर फंसे

Geeta Press Update News: गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश का बयान कई पार्टी नेताओं को नागवार गुजरा है।

Anshuman Tiwari
Published on: 20 Jun 2023 5:43 AM GMT (Updated on: 20 Jun 2023 8:55 AM GMT)
Geeta Press: जयराम रमेश पर गिर सकती है गाज, गीता प्रेस के बयान पर फंसे
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Geeta Press Update News: गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश का बयान कई पार्टी नेताओं को नागवार गुजरा है। जयराम रमेश ने इस पुरस्कार पर अपने ट्वीट में टिप्पणी की करते हुए कहा था कि यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर व गोडसे को सम्मान देने जैसा है। जयराम रमेश की इस टिप्पणी के बाद पार्टी में ही घमासान छिड़ गया है।
पार्टी के कई नेता रमेश के इस बयान से नाराज हैं और उन्हें सियासी नुकसान की आशंका सता रही है। पार्टी नेताओं ने इस बाबत राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से शिकायत भी की है। जानकारों का कहना है कि खड़गे आज पार्टी नेताओं की बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं। रमेश के इस बयान के बाद भाजपा ने भी हमलावर रुख अपना रखा है और इस बयान को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया है। पार्टी इसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश में भी जुट गई है।

जयराम रमेश की खड़गे से शिकायत

दरअसल कम कीमत में धार्मिक पुस्तकें छापने के कारण गीता प्रेस के प्रति हिंदुओं के एक बड़े वर्ग में लंबे समय से अगाध श्रद्धा का भाव रहा है। यही कारण था कि सोशल मीडिया पर भी गीता प्रेस को यह बड़ा सम्मान दिए जाने का खूब स्वागत किया गया और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खूब बधाइयां मिलीं।
इसी बीच जयराम रमेश ने इस पुरस्कार को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी जिस पर उनकी पार्टी के लोगों ने ही तीखी आपत्ति जताई है। गीता प्रेस को सम्मान देने के फैसले की तुलना गोडसे और सावरकर से किए जाने पर कांग्रेसी नेता भी सहमत नहीं है। कांग्रेसी नेताओं ने इस बाबत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक अपनी नाराजगी पहुंचाई है।

लोकसभा चुनाव में झेलनी पड़ेगी नाराजगी

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि खड़गे तक अपनी नाराजगी पहुंचाने वाले इन नेताओं का कहना है कि दिल्ली में बैठकर कुछ नेता इस तरह के बयान दिया करते हैं और ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए जनता की अदालत में नहीं जाना पड़ता। ऐसे नेताओं का बयान पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होता है। जब लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले नेता जनता के बीच जाते हैं तो उन्हें लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। दिल्ली में बैठकर ऐसे नेता इस तरह का बयान दिया करते हैं जिन्हें वोट की राजनीति नहीं करनी पड़ती और वे राज्यसभा के जरिए सांसद बने हुए हैं।
मजे की बात यह है कि कांग्रेस का कोई भी नेता जयराम रमेश के बयान का समर्थन करने के लिए आगे नहीं आया है। पार्टी के मीडिया विंग से जुड़े नेताओं ने भी इस बयान का समर्थन नहीं किया। हालत यह हो गई कि पार्टी ने समाचार चैनलों पर अपने आधिकारिक प्रवक्ता भेजने से भी कन्नी काट ली।

आज नेताओं के साथ चर्चा कर सकते हैं खड़गे

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने भी इस मामले में गौर फरमाया है। जानकारों का कहना है कि खड़गे आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। इस चर्चा के दौरान यह तय किया जाएगा कि जयराम रमेश का ट्वीट ही पार्टी की आधिकारिक राय है या पार्टी को इससे अलग रुख अपनाना है। रमेश के बयान पर आपत्ति जताने वाले नेताओं का तर्क है कि जब शिवसेना के कहने पर राहुल गांधी ने सावरकर कर बोलना छोड़ दिया तो रमेश को इस तरह की टिप्पणी करने की क्या जरूरत पड़ी थी।
उनका यह ट्वीट हिंदू जन भावना के खिलाफ है और पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि रमेश के इस ट्वीट के बाद भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है और उसे हिंदू विरोधी राजनीति करने वाली पार्टी बताया है। भाजपा की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देना भी कांग्रेस के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।

हिंदू विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने नाम लिए बिना जयराम रमेश पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी साबित करने की कोशिश में जुटी हुई है। दूसरी ओर पार्टी के कुछ नेता बीजेपी को इस काम में कामयाब बनाने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे नेता कांग्रेस को जो नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसकी भरपाई करने में सदियां लग जाएंगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को इस तरह की ओछी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए।
एएनआई से बातचीत में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि गीता प्रेस का विरोध करना हिंदू विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा है। गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी और उसे 100 साल हो गए हैं। उस समय तो बीजेपी का जन्म भी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस ने करोड़ों धार्मिक पुस्तकें छापी हैं। हर हिंदू के घर में गीता प्रेस से छपी हुई किताबें है और ऐसे में गीता प्रेस के खिलाफ कुछ भी बोलना हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के समान है। उन्होंने इस बाबत ट्वीट करते हुए रमेश के बयान पर तीखी आपत्ति जताई है।

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