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Gehlot vs Sachin Pilot: गहलोत और पायलट की लड़ाई में उलझा कांग्रेस नेतृत्व, राजस्थान में कड़ा फैसला लेना आसान नहीं
Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खिंची तलवारों ने पार्टी हाईकमान को चिंता में डाल दिया है।
Gahlot vs Sachin Pilot: भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के राजस्थान में दाखिल होने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Deputy CM Sachin Pilot) के बीच खिंची तलवारों ने पार्टी हाईकमान को चिंता में डाल दिया है। गहलोत की ओर से पायलट को गद्दार बताए जाने के बाद दोनों टीमों के बीच सियासी अदावत और गहरी हो गई है। जहां एक ओर गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं वहीं दूसरी ओर पायलट खेमा राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर अड़ा हुआ है।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा पांच दिसंबर को राजस्थान में दाखिल होने वाली है और ऐसे में पार्टी नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि पार्टी की ओर से गहलोत के बयान को सही नहीं माना गया है और पार्टी नेतृत्व ने कड़ा कड़ा फैसला लेने का संकेत किया है। वैसे अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि पार्टी की ओर से क्या फैसला होने वाला है और पार्टी नेतृत्व के फैसले से गहलोत और पायलट में से किसे झटका लगेगा। सियासी जानकारों का मानना है कि विधायकों पर गहलोत की मजबूत पकड़ को देखते हुए पार्टी नेतृत्व के लिए राजस्थान में कड़ा फैसला लेना आसान साबित नहीं होगा।
सुलह नहीं हुई तो होगा कड़ा फैसला
राजस्थान कांग्रेस के दो दिग्गजों के बीच शुरू हुई इस सियासी लड़ाई ने पार्टी नेतृत्व को मुश्किल में डाल दिया है। पार्टी नेतृत्व को भी इस बात का एहसास हो चुका है कि इस लड़ाई को अब लंबे समय तक नहीं टाला जा सकता। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गहलोत की ओर से इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को सही नहीं माना है। उनका कहना है कि ऐसे शब्दों के इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में पार्टी को गहलोत और पायलट दोनों नेताओं की जरूरत है।
जयराम रमेश ने संकेत किया है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से पहले दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने की कोशिश की जाएगी मगर बात नहीं बनी तो पार्टी कड़ा फैसला लेने से नहीं हिचकेगी। उन्होंने कहा कि संगठन सबसे ऊपर है और राजस्थान में संगठन को मजबूत बनाने के लिए उचित फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने राजस्थान के मामले में टालमटोल की नीति से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व गहलोत और पायलट के झगड़े को लेकर पूरी तरह गंभीर है। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में पार्टी दोनों नेताओं की मदद से संगठन को मजबूत बनाने की कोशिश करेगी।
वेणुगोपाल कल करेंगे दोनों नेताओं से चर्चा
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल को दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वेणुगोपाल 29 नवंबर को जयपुर पहुंचने वाले हैं। अपनी जयपुर यात्रा के दौरान वेणुगोपाल भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों के संबंध में बैठकें करने के अलावा गहलोत और पायलट के साथ अलग-अलग बातचीत भी करेंगे।
वेणुगोपाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ भी राजस्थान संकट पर चर्चा की है। इसके साथ ही राजस्थान के संकट पर उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ भी विचार विमर्श किया है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि वेणुगोपाल की जयपुर यात्रा का असली मकसद गहलोत और पायलट के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाना है। हालांकि दोनों नेताओं के बीच बातचीत इतनी बिगड़ चुकी है कि अब सुलह की संभावनाएं नजर नहीं आ रही है मगर पार्टी नेतृत्व अभी भी सुलह की संभावनाओं की तलाश में जुटा हुआ है।
भाजपा ने किया कांग्रेस पर हमला
कांग्रेस में चल रही खींचतान के बीच भाजपा ने भी सियासी हमले शुरू कर दिए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि गहलोत के इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि भाजपा की ओर से 2020 में कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी अंदरूनी कलह का आरोप भाजपा पर मढ़ने में जुटी हुई है।
हालांकि उन्होंने राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ कभी-कभार बातचीत होने की बात स्वीकार की मगर इसके साथ ही यह भी कहा कि राजस्थान कांग्रेस में पैदा हुए संकट में भाजपा का कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थान कांग्रेस के दो बड़े नेताओं की लड़ाई में भाजपा पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।