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'कांग्रेस में चाटुकारिता चरम पर, कोई सच सुनना नहीं चाहता', PM मोदी का बर्ताव राजनेता जैसा...आजाद ने आत्मकथा में लिखा

Ghulam Nabi Azad Autobiography : गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा 'आजाद' बुधवार को लॉन्च हो रही है। उन्होंने इस पुस्तक में अपने लंबे राजनीतिक अनुभवों के खट्टे-मीठे अनुभवों का जिक्र किया। आज़ाद ने आत्मकथा में आर्टिकल- 370 को हटाए जाने से लेकर हिमंता बिस्वा के कांग्रेस छोड़ने तक का जिक्र किया है। G-23, जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद पर भी गुलाम नबी ने खुलकर लिखा। किताब में उन्होंने कई अहम खुलासे किए हैं।

Aman Kumar Singh
Published on: 5 April 2023 2:46 AM IST (Updated on: 5 April 2023 2:49 AM IST)
कांग्रेस में चाटुकारिता चरम पर, कोई सच सुनना नहीं चाहता, PM मोदी का बर्ताव राजनेता जैसा...आजाद ने आत्मकथा में लिखा
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गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा 'आजाद' (Social Media)

Ghulam Nabi Azad Autobiography : कांग्रेस से 'बगावत' बाद अलग सियासी राह चुनने वाले गुलाम नबी आजाद (Ghulam nabi Azad) ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'आजाद' में कई अहम खुलासे किए हैं। अपनी ऑटोबायोग्राफी में गुलाम नबी ने कांग्रेस से जुड़े कई खुलासे किए। अपनी आत्मकथा 'आजाद' में उन्होंने बताया है कि कैसे देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में अब 'चाटुकारिता' का राज चलता है। किताब में कांग्रेस के पुराने और वरिष्ठ नेता ने हिमंता बिस्वा सरमा से लेकर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद- 370 हटाए जाने पर अपनी बात रखी।

गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा 'आजाद' में राजनीति के कई ऐसे अध्याय से भी पर्दा उठाया है, जिससे आने वाले दिनों में विवाद खड़ा हो सकता है। गुलाम नबी की आत्मकथा 'आजाद' बुधवार (05 अप्रैल) को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में रिलीज हो रही है।

आर्टिकल- 370 पर आज़ाद का खुलासा

गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah Article 370) ने राज्यसभा में आर्टिकल- 370 को हटाने की घोषणा की। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला सुनाया तो विपक्ष के नेता धरने पर बैठे गए। लेकिन, इस प्रदर्शन में जयराम रमेश शामिल नहीं हुए। तब जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप थे। आज़ाद लिखते हैं जयराम रमेश अभी कांग्रेस के महासचिव हैं और संचार विभाग के इंचार्ज भी हैं।

हिमंता बिस्वा पर राहुल गांधी बोले-...तो जाने दो

इसी तरह, गुलाम नबी आज़ाद ने बताया कि जब हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कांग्रेस से विदाई का फैसला लिया था तो उसे राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने कितनी हल्की तरह से लिया। लेकिन, बाद में वो पार्टी पर कैसे भारी पड़ा। गुलाम नबी आजाद ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में हिमंता बिस्वा और राहुल गांधी (Himanta Biswa vs Rahul Gandhi) के बीच विवाद में अपनी मध्यस्थता के प्रयासों का उल्लेख किया है। किताब में गुलाम नबी ने लिखा है कि, जब राहुल गांधी को ये बताया गया कि हिमंता असम में एक शीर्ष कांग्रेस नेता हैं और वो पार्टी छोड़ सकते हैं, तो उनका जवाब था कि उन्हें जाने दो।

सोनिया गांधी ने भी नहीं दिखाई गंभीरता

हिमंता बिस्वा (Himanta Biswa) के पार्टी छोड़ने मसले पर राहुल गांधी की बात सुनने के बाद गुलाम नबी आजाद, सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिलने पहुंचे। उन्होंने आगे आने वाले हालात के बारे में बताया। आजाद अपनी पुस्तक में लिखते हैं, 'मैं सोनिया जी से मिला और उन्हें बताया कि आगे क्या होने वाला है। मैंने ये भी बताया कि हिमंता बिस्वा सरमा का जाना कांग्रेस के लिए कैसे दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो सकता है।' गुलाम नबी आगे लिखते हैं कि इस बात पर गंभीरता दिखाने की बजाय सोनिया गांधी ने उल्टा मुझसे ही कह दिया कि 'हिमंता से ये कहो कि जिद छोड़ दें।'

सलमान खुर्शीद पर भी दिखी नाराजगी

गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा में कई मुद्दों पर उनकी नाराजगी साफ-साफ दिखती है। उनकी नाराजगी सिर्फ जयराम रमेश को लेकर ही नहीं है, बल्कि सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) का भी जिक्र है। आपको बता दें, कि खुर्शीद ने ही कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के समूह G-23 में आजाद की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। अपनी आत्मकथा के एक अध्याय में आजाद ने लिखा है, 'मैं आज उन्हें बताना चाहता हूं कि हममें से कुछ लोगों ने बदले में हमें जो मिला उससे कई गुना अधिक समय दिया। कई अन्य लोगों के विपरीत जिन्होंने अनुचित लाभ उठाया। मगर, ट्वीट के माध्यम से अपनी उपस्थिति दिखाने के अलावा पार्टी के लिए कुछ नहीं किया।'

'सीढ़ी को लात' मारने का दिया जवाब

'सीढ़ी को लात' मारने के आरोपों पर गुलाम नबी आजाद ने जवाब दिया। उन्होंने अपनी जीवनी में सलमान खुर्शीद के लिए लिखते हैं, मैं इस बात को दोहराना चाहूंगा कि हमने उस सीढ़ी को लात नहीं मारी है जिससे हम शीर्ष पर पहुंचे थे। बल्कि मेरे जैसे लोग वो सीढ़ी थे, जिसका इस्तेमाल कर कुछ नेता ऊपर तक पहुंचते थे। और जब शिखर पर पहुंचने के बाद उन्हें सीढ़ी की कोई ज़रूरत ही नहीं रह गई थी।' यहां सीढ़ी से मतलब कांग्रेस पार्टी से है।

गुलाम नबी आजाद का पछतावा साफ दिखता है। वो कहते हैं कि एक अंतराल से 'चाटुकारिता' ने कांग्रेस में केंद्रीय स्थान ले लिया है। ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने लिखा, दुर्भाग्य से कोई भी कड़वा सच नहीं सुनना चाहता।

PM मोदी की तारीफ

अपनी किताब 'आजाद' लांच होने से एक दिन पहले गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में कशीदे गढ़े। एक इंटरव्यू में आजाद ने पीएम मोदी को बेहद उदार नेता बताया। आजाद ने कहा, 'सदन में विपक्ष की भूमिका में रहते हुए मैंने हर मुद्दे पर सरकार का विरोध किया। चाहे वह आर्टिकल- 370 हो या CAA हो। हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी हो या कुछ और। मैं हर बार विरोध करता रहा, लेकिन मुझे इस बात का श्रेय उन्हें देना चाहिए कि उन्होंने हर बार एक राजनेता की तरह व्यवहार किया। किसी तरह का कोई बदला नहीं लिया।'



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