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Ghulam Nabi Azad: हिंदू धर्म इस्लाम से भी पुराना, कई कश्मीरी पंडित कन्वर्ट हो गए, गुलाम नबी आजाद के बयान ने मचाई सनसनी
Ghulam Nabi Azad Viral Video: कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाकर इन दिनों जम्मू कश्मीर में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे आजाद के निशाने पर सत्तारूढ़ बीजेपी कम और उनकी पूर्व पार्टी कांग्रेस ज्यादा रहती है। इस बीच सोशल मीडिया पर उनका एक बयान खूब वायरल हो रहा है।
Ghulam Nabi Azad: गांधी परिवार से असहमतियों के कारण कांग्रेस को अलविदा कहने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद अक्सर अपने बयानों को लेकर खबरों में रहते हैं। कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाकर इन दिनों जम्मू कश्मीर में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे आजाद के निशाने पर सत्तारूढ़ बीजेपी कम और उनकी पूर्व पार्टी कांग्रेस ज्यादा रहती है। इस बीच सोशल मीडिया पर उनका एक बयान खूब वायरल हो रहा है।
ड्रेमोक्रेटिव प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के मुखिया गुलाम नबी आजाद ने हिंदू-मुस्लिम विवाद पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, हिंदू धर्म इस्लाम से भी काफी पुराना है। इस्लाम का जन्म 1500 साल पहले हुआ था। भारत में कोई भी बाहरी नहीं है। भारत के सभी मुसलमान पहले हिंदू ही थे, जो बाद में कंवर्ट हो गए।
सोशल मीडिया पर पूर्व कांग्रेस नेता का ये बयान वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। खबरों के मुताबिक, ये वीडियो 9 अगस्त का बताया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में अपनी पार्टी के कार्यक्रम में ये बातें कह रहे हैं। उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर एक तबके द्वारा खूब शेयर किया जा रहा है।
600 साल पहले कश्मीर में केवल कश्मीरी पंडित थे
पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद वायरल हो रहे अपने भाषण में ऐसी कई बड़ी बातें बोल गए हैं, जो अब तक हिंदू राइट विंग के लोग बोलते रहे हैं। उन्होंने कहा कि 600 साल पहले कश्मीर में केवल कश्मीरी पंडित रहा करते थे। फिर कई लोग कन्वर्ट होकर मुसलमान बन गए। उन्होंने लोगों से शांति-भाईचारा और एकता बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। लोगों को धर्म के नाम पर वोट नहीं देना चाहिए।
हम बाहर से नहीं आए
गुलाम नबी आजाद अपने भाषण में हिंदू-मुस्लिम विवाद को निरर्थक साबित करने की कोशिश करते हुए कहते हैं, हम बाहर से नहीं आए हैं। इसी मिट्टी की पैदावार हैं और इसी मिट्टी में खाक भी होना है। बीजेपी के किसी नेता ने कहा कि कोई बाहर से आया है, कोई अंदर से आया है। मैंने उनसे कहा कि कोई अंदर-बाहर से नहीं आया है। हिंदूओं में जलाया जाता है और अवशेष दरिया में डाल देते हैं। वह पानी अलग-अलग जाता है। खेतों में भी जाता है यानी हमारे पेट में चला जाता है।
आजाद आगे कहते हैं मुसलमान भी इस जमीन के अंदर जाता है। उसका मांस और उसकी हड्डियां भी इसी भारत माता की धरती का हिस्सा बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब दोनों इसी मिट्टी में मिल जाते हैं तो हिंदू-मुस्लिम क्यों करना ?
अब्दुल्ला परिवार के पूर्वज थे कश्मीरी पंडित
पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने जो कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को लेकर जो बातें कहीं, उसे पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता। जम्मू कश्मीर का सबसे ताकतवर सियासी परिवार अब्दुल्ला परिवार भी इस बात को मानता है। पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला खुद कह चुके हैं कि उनके पूर्वज कश्मीरी हिंदू थे। उनके पिता यानी नेशनल कॉंफ्रेंस जो कि तब मुस्लिम कॉंफ्रेंस था के संस्थापक शेख अब्दुल्ला अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चिनार’ इस बात का विस्तावरपूर्वक वर्णन कर चुके हैं।
उन्होंने किताब में स्वीकार किया था कि कश्मीरी मुसलमान के पूर्वज हिंदू थे। उनके परदादा का नाम बालमुकुंद कौल था, जो कि कश्मीरी ब्राह्मण था। उनके पूर्वज सप्रू गोप के कश्मीरी ब्राह्मण थे। उनके एक पूर्वज रघु राम ने अफगानों के शासनकाल में एक सूफी के हाथों इस्लाम धर्म स्वीकार किया था और बाद में पूरा परिवार इस्लाम धर्म को मानने लगा।
अब्दुल्ला परिवार के पूर्वज थे कश्मीरी पंडित
गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को लेकर जो बातें कहीं, उसे पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता। जम्मू कश्मीर का सबसे ताकतवर सियासी परिवार अब्दुल्ला परिवार भी इस बात को मानता है। पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला खुद कह चुके हैं कि उनके पूर्वज कश्मीरी हिंदू थे। उनके पिता यानी नेशनल कॉंफ्रेंस जो कि तब मुस्लिम कॉंफ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चिनार’ में इस बात का विस्तावरपूर्वक वर्णन कर चुके हैं।
उन्होंने किताब में स्वीकार किया था कि कश्मीरी मुसलमान के पूर्वज हिंदू थे। उनके परदादा का नाम बालमुकुंद कौल था, जो कि कश्मीरी ब्राह्मण थे। उनके पूर्वज सप्रू गोप के कश्मीरी ब्राह्मण थे। उनके एक पूर्वज रघु राम ने अफगानों के शासनकाल में एक सूफी के हाथों इस्लाम धर्म स्वीकार किया था और बाद में पूरा परिवार इस्लाम धर्म को मानने लगा।