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जियो इंस्टीट्यूट: बनने से पहले ही हो गया 'उत्कृष्ट'

seema
Published on: 13 July 2018 12:20 PM IST
जियो इंस्टीट्यूट: बनने से पहले ही हो गया उत्कृष्ट
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नयी दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा 'जियो इंस्टीट्यूट' को देश के छह 'उत्कृष्ट' संस्थानों में शामिल किये जाने से शिक्षा जगत में खलबली मची हुई है कि एक संस्थान जो अभी अस्तित्व में आया ही नहीं, उसे भला कैसे ये दर्जा दे दिया गया। जिन 6 संस्थानों को 'उत्कृष्ट'संस्थान' का दर्जा दिया गया है उनमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरु, आईआईटी मुम्बई, आईआईटी दिल्ली, बिट्स पिलानी औत मनिपाल एकाडमी ऑफ हायर एजूकेशन शामिल हैं। ये सभी संस्थान स्थापित हैं और भलीभांति चल रहे हैं।

देश के बेहतरीन संस्थानों के ऐलान के इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि देश के लिए ये 'उत्कृष्ट' संस्थान' काफी अहम हैं। देश में 800 यूनिवर्सिटी हैं, लेकिन कोई भी 100 या 200 वल्र्ड रैंकिंग में शामिल नहीं है। सरकार के फैसले से इसे हासिल करने में मदद मिलेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय देशभर के इंस्टीट्यूट की रैंकिंग भी कराता है। इसे राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा कहा जाता है। साल 2018 की रैंकिंग में इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बंगलुरु पहले, आईआईटी मुम्बई तीसरे और आईआईटी दिल्ली चौथे स्थान पर था। वहीं मणिपाल 18वें और बिट्स 26वें स्थान पर था। जियो इंस्टीट्यूट तो रैंकिंग 2018 का हिस्सा भी नहीं था।

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एचआरडी मंत्री का स्पष्टीकरण

जियो को इजाजत देने पर शिक्षाविदों की हैरानी और आलोचना की बाढ़ आने के बाद एचआरडी मंत्री प्रकाश जावेडकर ने कहा कि मोदी सरकार की प्रतिबद्धता हस्तक्षेप नहीं करने और संस्थानों को अपने अनुरूप आगे बढऩे की अनुमति देने की है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से एक और मील का पत्थर स्थापित करने वाली पहल की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस फैसले के बारे में पहले न तो सोचा गया था और न ही कोशिश की गई थी। जावेडकर ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में और संस्थानों को 'उत्कृष्ट' संस्थान के रूप में मान्यता मिल सकेगी।

जियो के बारे में सफाई देते हुए मंत्रालय ने कहा है कि यूजीसी रेगुलेशन 2017, के क्लॉज 6.1 में लिखा है कि इस प्रोजेक्ट में बिल्कुल नए या हालिया स्थापित संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है। इसका उद्देश्य निजी संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के एजुकेशन इंफास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए बढ़ावा देना है ताकि देश को इसका लाभ मिल सके। मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा कि इस श्रेणी में कुल 11 आवेदन आए थे। ग्रीनफील्ड इंस्टीट्यूशन स्थापित करने के लिए आए 11 आवेदनों का चार मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया।

ये मानक थे :

संस्थान बनाने के लिए जमीन की उपलब्धता

संस्थान के लिए उच्च शिक्षा और अच्छे अनुभव वाली कोर टीम

संस्थान स्थापित करने के लिए फंड की स्थिति

एक्शन प्लान

सरकार के मुताबिक इस श्रेणी में आए 11 आवेदनों में सिर्फ जियो इंस्टीट्यूट ही सभी चारों मानकों पर खरा उतरा है।

मिलेगी अधिक स्वायत्तता

अगस्त 2017में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा यूजीसी के 'इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी रेगुलेशन 2017 को मंजूरी दी गई थी। इसे लाने का उद्देश्य देश के 10 सरकारी और 10 निजी उच्च शिक्षा संस्थानों को विभिन्न सुविधाएं मुहैया करवाते हुए विश्वस्तरीय बनाना था क्योंकि शिक्षा संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग में भारत का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। सरकार द्वारा दिए जाने वाले आईओई के दर्जे के लिए केवल वही उच्च शिक्षा संस्थान आवेदन कर सकते हैं, जो या तो ग्लोबल रैंकिंग में टॉप 500 में आए हों या जिन्हें नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में टॉप 50 में जगह मिली हो। इसमें निजी संस्थान भी आईओई दर्जे में ग्रीनफील्ड वेंचर के बतौर जगह पा सकते हैं। इसके लिए उन्हें अगले 15सालों के लिए एक ठोस व विश्वसनीय योजना पेश करनी होगी।

अगर अधिकारों की बात की जाए तो अन्य किसी उच्च शिक्षा संस्थान की तुलना में एक आईओई को ज्यादा अधिकार मिले होते हैं। उनकी स्वायत्तता किसी अन्य किसी संस्थान से कहीं ज्यादा होती है मसलन वे भारतीय और विदेशी विद्यार्थियों के लिए अपने हिसाब से फीस तय कर सकते हैं, पाठ्यक्रम और इसके समय के बारे में अपने अनुसार फैसला ले सकते हैं। किसी विदेशी संस्थान से सहभागिता करने की स्थिति में उन्हें सरकार या यूजीसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। वे केवल विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित देशों के संस्थानों से सहभागिता नहीं कर सकेंगे। आईओई का दर्जा मिल जाने के बाद इनका लक्ष्य 10 सालों के भीतर किसी प्रतिष्ठित विश्वस्तरीय रैंकिंग के टॉप 500 में जगह बनाना होगा और समय के साथ टॉप 100 में आना होगा।

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मुकेश अंबानी का ड्रीम प्रोजेक्ट

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन व एमडी मुकेश अंबानी के लिये यह प्रोजेक्ट कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 'उत्कृष्ट' संस्थान योजना के सेलेक्शन पैनल के समक्ष अंबानी अपनी आठ सदस्यीय टीम के साथ खुद उपस्थित हुए। संस्थानों का चयन करने वाली एक्सपर्ट कमेटी की अध्यक्षता कर रहे थे पूर्व चुनाव आयुक्त एन.गोपालस्वामी। मुकेश अंबानी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है और उसके हर पहलू को उन्होंने खुद तैयार किया है। इसीलिये कमेटी ने जितने भी सवाल किये उन सबका जवाब खुद अंबानी ने अकेले ही दिया। बताया जाता है कि मुकेश अंबानी ने ऐसा ही एक प्रस्ताव पिछली सरकार के समक्ष भी पेश किया था।

पूर्व उच्च शिक्षा सचिव हैं अंबानी की टीम के सदस्य

मुकेश अंबानी की टीम में रिलायंस के एजूकेशन एडवाइजर विनय शील ओबेरॉय भी शामिल हैं। ओबेरॉय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव हैं। 2016 के आम बजट में जब 'उत्कृष्ट' संस्थान योजना' की घोषणा की गयी थी उस समय ओबेरॉय मंत्रालय में सचिव,उच्च शिक्षा थे। बजट में सरकार ने घोषणा तो कर दी थी, लेकिन योजना के नियम-कानून सितम्बर 2017 में ही जारी किये गये। ओबेराय फरवरी,2016 में रिटायर हुए हैं। योजना के तहत संस्थानों का चयन करने के लिए 'एम्पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी' का गठन फरवरी 2018 में हुआ और आवेदकों के प्रेजेंटेशन अप्रैल में शुरू हुए। जहां तक ओबेरॅाय की बात है तो बता दें कि आईएएस अफसरों को रिटायरमेंट के बाद कहीं और नौकरी करने के पहले एक साल का 'कूलिंग ऑफ' रखना होता है यानी साल भर तक वे कहीं दूसरी जगह काम नहीं कर सकते। 1979 बैच के आईएएस विनय शील ओबेरॉय ने 'कूलिंग ऑफ' समयावधि पूरी की मार्च 2017 में रिलायंस के साथ अपनी पारी शुरू की।

आए थे 114 आवेदन

देश में विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थान बनाने के लिए 'उत्कृष्ट संस्थान योजना' के तहत देश के 114 संस्थानों ने आवेदन किया था। जिन सार्वजनिक संस्थानों को चुना जाएगा उन्हें सरकार से एक हजार करोड़ की फंडिंग तथा सख्त नियमों से छूट मिलेगी। निजी संस्थानों को स्वायत्तता तो मिलेगी, लेकिन सरकार से कोई पैसा नहीं मिलेगा। खैर, आवेदन करने वाले एक संस्थान को छोड़कर बाकी सब जरूरी अर्हता पूरी कर रहे थे। इनमें 73 सार्वजनिक संस्थान और 40 निजी संस्थान हैं। निजी में भी 11 'ग्रीनफील्ड संस्थान' हैं यानी इनका सिर्फ प्रस्ताव भर है, ये अभी बने नहीं हैं। अंतत: तीन सार्वजनिक और तीन निजी संस्थानों को चुना गया जिसमें 'जियो' ही ग्रीनफील्ड वालों में से था।

जियो ने कई को पछाड़ा

जियो संस्थान ने इस स्कीम के तहत आवेदन करने वाले 27 निजी संस्थानों को पछाड़ दिया। इन संस्थानों में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, अशोका यूनीवर्सिटी, ओ.पी.जिंदल यूनीवर्सिटी, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, नरसी मोन्जी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ शामिल थे। ग्रीनफील्ड कैटेगरी की बात करें तो तमिलनाडु की क्रेया यूनीवर्सिटी, भारती एयरटेल और ओडीशा की वेदांता यूनीवर्सिटी के प्रपोजल पर जियो भारी पड़ गया। क्रेया यूनीवर्सिटी के सलाहकारों में तो रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन शामिल हैं। यही नहीं, हैदराबाद का प्रतिष्ठिïत इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस भी पीछे छूट गया।

तो कैसे चुना गया जियो

'उत्कृष्ट' संस्थान योजना' की सेलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष एन.गोपालस्वामी (पूर्व चुनाव आयुक्त) ने एक इंटरव्यू में 'स्क्रॉल' को बताया था कि ग्रीनफील्ड कैटेगरी में अन्य आवेदकों के पास अपनी जमीन नहीं थी। ये लोग फंड के ट्रांसफर में टैक्स की छूट के लिए सरकार से बातचीत कर रहे थे या फिर वे कोई प्रोजेक्ट पहले लांच कर चुके थे और अब कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करने की सोच रहे थे।

हालांकि जियो के प्रस्ताव का आंकलन करना 'बहुत ही ज्यादा कठिन'' था फिर भी सेलेक्शन पैनल ने प्रमोटर ग्रुप (अंबानी) के बारे में जानकारी, उनकी वित्तीय स्थिति, नये प्रोजेक्ट के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और पैसा लगाने के कमिटमेंट, अपनी फील्ड में उनकी प्रतिष्ठ' जैसे फैक्टर चयन के लिए ध्यान में रखे गये। रिलायंस के प्रस्ताव में धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल, 13 रिलायंस फाउंडेशन स्कूल, धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फार्मेशन टेक्रॉलजी, पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनीवर्सिटी के जिक्र के अलावा ये भी बताया गया कि मुकेश अंबानी आईआईएम, बंगलुरु के चेयरमैन रह चुके हैं। इसी आधार पर पैनल आवेदक के प्रस्ताव से संतुष्ट'हो गया। केंद्र सरकार द्वारा 'उत्कृष्ट' संस्थान योजना' के लिए नियम अधिसूचित करने के दो हफ्ते के भीतर रिलायंस ग्रुप ने रिलायंस फाउंडेशन इंस्टीट्यूशन ऑफ एजूकेशन रिसर्च नामक कंपनी की स्थापना कर डाली थी।

विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा

वैसे विपक्षी दलों ने जियो इंस्टीट्यूट को देश के छह प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में शामिल किए जाने पर पीएम मोदी की घेरेबंदी की है और इसे मोदी के अंबानी बंधुओं से करीबी रिश्तों का परिणाम बताया है। कांग्रेस समेत तमाम लोगों ने सवाल उठाया है कि जो संस्थान अब तक खुला भी नहीं है, उसे उत्कृष्टता का दर्जा कैसे दिया जा सकता है। सरकार को यह स्पष्टï करना चाहिए कि आखिर किस आधार पर यह दर्जा दिया गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा अपने 'कॉर्पोरेट दोस्तों' को लगातार फायदा पहुंचा रहे हैं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने ट्विटर पर मोदी सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने जियो संस्थान को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में डालने की तुलना उद्योगपतियों की कर्ज माफी से की। सपा ने सरकार के इस फैसले को अंबानी बंधुओं से मोदी की नजदीकी का परिणाम बताया। सपा के राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान ने कहा कि जियो के मालिक से प्रधानमंत्री के संबध जगजाहिर हैं। पीएम जियो के लिए पहले विज्ञापन भी कर चुके हैं। इसी कारण किसी को इस फैसले पर आश्चर्य नहीं हुआ।

राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने इस फैसले को मोदी सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि मोदी राज की प्राथमिकता में पहले पायदान पर जियो इंस्टीट्यूट है और उसे आखिरी पायदान पर खड़े वंचित समूह दिखते ही नहीं हैं। भाकपा के सचिव अतुल कुमार अनजान ने इसे मोदी सरकार की जमीनी हकीकत से अनभिज्ञता का सबूत बताया। उन्होंने कहा कि जो संस्थान अभी अस्तित्व में ही नहीं आया है उसे देश के श्रेष्ठतम संस्थानों में शुमार करने से पता चलता है कि मोदी की अपनी सरकार पर कितनी पकड़ है और सरकार जमीनी हकीकत से कितनी वाकिफ है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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