Global Hunger Index : भारत 105वें नंबर पर, नेपाल, बांग्लादेश तक बेहतर स्थिति में

Global Hunger Index : 19वीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को 127 देशों में से 105वें स्थान पर रखा गया है। इसका मतलब है कि वह 'गंभीर' भूख की समस्या वाले देशों में से एक है।

Neel Mani Lal
Published on: 11 Oct 2024 3:19 PM GMT
Global Hunger Index : भारत 105वें नंबर पर, नेपाल, बांग्लादेश तक बेहतर स्थिति में
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Global Hunger Index : 19वीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को 127 देशों में से 105वें स्थान पर रखा गया है। इसका मतलब है कि वह 'गंभीर' भूख की समस्या वाले देशों में से एक है। इंडेक्स के अनुसार, भारत अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से पीछे है, जबकि यह पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान से थोड़ा ऊपर है। यहां भूख से मतलब है पेट भर भोजन मिलने की स्थिति। इंडेक्स में नीचे जाने का मतलब है कि पर्याप्त पोषण का न मिल पाना।

'कंसर्न वर्ल्डवाइड' और 'वेल्थहंगरहिल्फ़' द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित, ग्लोबल हंगर इंडेक्स दुनिया भर में भूख को ट्रैक करता है और उन क्षेत्रों पर ध्यान फोकस करता है जहाँ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

गंभीर स्तर

2024 की रिपोर्ट में भारत का 27.3 का स्कोर भूख के गंभीर स्तर को दर्शाता है। रिपोर्ट में हाल के वर्षों में भारत में कुपोषण की व्यापकता में मामूली वृद्धि का उल्लेख किया गया है।

भारत का 2024 का स्कोर 2016 के इंडेक्स स्कोर 29.3 से कुछ बेहतर है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है, लेकिन यह अभी भी अपने पड़ोसियों से बहुत पीछे है। 2000 और 2008 में क्रमशः 38.4 और 35.2 के स्कोर की तुलना में काफी प्रगति हुई है, जिन्हें 'खतरनाक' के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

कार्यप्रणाली और संशोधित डेटा में बदलाव के कारण 2024 की रिपोर्ट 2023 की रिपोर्ट से सीधे तुलनीय नहीं है। हालाँकि, यह वर्ष 2000, 2008, 2016 और 2024 के लिए तुलनात्मक डेटा प्रदान करता है।

बाल कुपोषण

भारत में बाल कुपोषण की गंभीर चुनौतियों का सामना करना जारी है। यहां दुनिया भर में बाल दुर्बलता दर सबसे अधिक (18.7 फीसदी) है। देश में बाल कुपोषण दर भी 35.5 फीसदी है, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 2.9 फीसदी है, तथा कुपोषण का प्रचलन 13.7 फीसदी है।

हालाँकि भारत ने 2000 के बाद से अपनी बाल मृत्यु दर में उल्लेखनीय सुधार किया है, लेकिन बाल कुपोषण एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, जिसमें दुर्बलता और बौनापन दोनों ही दरें अभी भी चिंताजनक रूप से ऊंचे लेवल पर हैं। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि 2000 के बाद से बौनापन कम हुआ है, लेकिन ये आंकड़े गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ पेश करते रहते हैं।

2024 इंडेक्स इस बात पर प्रकाश डालता है कि 2030 तक शून्य कुपोषण को हासिल करने का लक्ष्य असंभव होता जा रहा है। मूल्यांकन किए गए 127 देशों में से 42 अभी भी 'खतरनाक' या 'गंभीर' कुपोषण के स्तर पर हैं।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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