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गोवा में अफसरों के भरोसे हो रहा काम

raghvendra
Published on: 13 July 2018 6:59 AM GMT
गोवा में अफसरों के भरोसे हो रहा काम
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पणजी: गोवा में इन दिनों मंत्री नहीं बल्कि अफसर सरकार चला रहे हैं। मुख्मंत्री मनोहर पर्रिकर ही नहीं बल्कि कई मंत्री और सत्तारूढ़ दल के विधायक बीमारी के चलते कामकाज से दूर हैं। इस कारण सारा काम अफसरों के भरोसे चल रहा है।

मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर काफी दिनों से लगातार अस्वस्थ चल रहे हैं। वे पैंक्रियाज में इन्फेक्शन से परेशान हैं और अब तक दो बार अमेरिका जाकर इलाज करा चुके हैं। वे जल्द ही तीसरी बार अमेरिका जाने वाले हैं। वे इलाज के लिए 15 अगस्त के बाद फिर दस दिन के लिए अमेरिका जाएंगे। पिछली बार जब मनोहर पर्रिकर अमेरिका में थे तो पूरा अधिकार मुख्य सचिव और एक कमेटी को दिया गया था। मुख्यसचिव व कमेटी की ओर से पर्रिकर को मेल पर सारी जानकारी दी जाती थी। अमेरिका से लौटने के बाद भी पर्रिकर दफ्तर कम ही आते हैं और ज्यादातर समय घर से ही काम करते हैं।

कई मंत्री करा रहे इलाज

पर्रिकर के अलावा उनके वरिष्ठ ऊर्जा और समाज कल्याण मंत्री पांडुरंग मडकैकर का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं चल रहा है। वे ब्रेन स्ट्रोक के कारण मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती हैं। वहां उनका ऑपरेशन हो गया है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में उन्हें कम से कम महीने भर का समय लगेगा। इस कारण उनके महकमे का काम भी अफसर ही देख रहे हैं। पीडब्लूडी मंत्री सुधीन धवलीकर को भी ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। धवलीकर भी एक महीने काम नहीं कर पाएंगे। उनका विभाग भी अफसरों के भरोसे है। इतना ही नहीं, मापसा के विधायक फ्रांसिस डिसूजा और वास्को के बीजेपी विधायक कार्लोस अल्मेडा को भी स्वास्थ्य ठीक न होने से आराम करने की सलाह दी गयी है।

सभी प्रमुख मंत्रियों के बीमार होने के कारण हालत यह हो गयी है कि अब सवाल उठने लगा है कि गोवा में इस बार विधानसभा का मानसून सत्र होगा भी या नहीं। अगर मानसून सत्र होता है तो मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री इसमें हिस्सा लेने की स्थिति में नहीं हैं।

सरकार के कामकाज पर सवाल

गोवा की राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि पर्रिकर सरकार के पास मामूली बहुमत है। बीजेपी के पास खुद के 15 विधायक हैं जबकि तीन विधायक गोवा विकास पार्टी के और तीन निर्दलीय विधायक सरकार के साथ हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास 18 विधायक हैं। ऐसे में थोड़ी सी भी गड़बड़ी पर्रिकर सरकार के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है। कई कांग्रेस नेता सरकार के कामकाज को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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