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God Particle खोज रहे वैज्ञानिक के गांव में अभी भी बिजली को तरसते लोग

युवा वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ प्रसाद स्विटजरलैंड की महाप्रयोगशाला में ब्रह्मांडीय रहस्य सुलझाने में व्यस्त हैं। लेकिन झारखंड के सिमडेगा स्थित उनके गांव कोनबेगी बिजली, पेयजल, सड़क, शौचालय और अच्छे स्कूल का रहस्य आज भी नहीं सुलझा सका है।

Rishi
Published on: 3 Dec 2018 4:28 PM IST
God Particle खोज रहे वैज्ञानिक के गांव में अभी भी बिजली को तरसते लोग
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सिमडेगा : युवा वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ प्रसाद स्विटजरलैंड की महाप्रयोगशाला में ब्रह्मांडीय रहस्य सुलझाने में व्यस्त हैं। लेकिन झारखंड के सिमडेगा स्थित उनके गांव कोनबेगी बिजली, पेयजल, सड़क, शौचालय और अच्छे स्कूल का रहस्य आज भी नहीं सुलझा सका है।

पहले बात करते हैं ब्रह्मांडीय रहस्य की

गॉड पार्टिकल जिससे सृष्टि का सृजन हुआ उसे खोजने के लिए पिछले 15 वर्षों से महाप्रयोग जारी है। जिनेवा में यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) द्वारा विकसित मशीन लार्ज हैड्रोन कोलाइडर पर यह प्रयोग कई चरणों में चला। दुनियाभर के वैज्ञानिक के साथ ही इसमें शामिल हैं झारखंड निवासी युवा वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ प्रसाद।

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अब करते हैं मुद्दे की बात

डॉ. सिद्धार्थ का गांव कोनबेगी घने अंधेरे में डूबा रहता है। पांच सौ परिवार इस गांव में रहते हैं, लेकिन गांव का बहुत कम इलाका ही बिजली का हिस्सेदार है लेकिन इस हिस्से में भी ट्रांसफॉर्मर एक वर्ष से खराब पड़ा है। गांव के बच्चे ढिबरी की रोशनी में अपने भविष्य के रहस्य सुलझा रहे हैं। वहीं डैम टोली में तो आजतक किसी भी घर में बिजली नहीं पहुंची।

मजे की बात ये है कि सीएम रघुवर दास वर्ष के अंत तक सूबे के सभी घरों में बिजली पहुंचाने का दावा करते हैं। यहां सड़क सिर्फ नाम की है। पीने को साफ़ पानी नहीं है शौचालय नहीं है।

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फिर कैसे सिद्धार्थ ने किया कारनामा

डॉ. सिद्धार्थ के पिता मुखिया रह चुके हैं। सिद्धार्थ ने प्रारंभिक शिक्षा गांव कोनबेगी के रोमन कैथोलिक मिशन प्राथमिक स्कूल से हासिल की। इसके बाद उनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय गुमला में हो गया। इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स रांची कॉलेज से पूरा किया। इसके बाद वीईसीसी कोलकाता से पीएचडी की और अमेरिकी यूनिवर्सिटी से पोस्ट डॉक्ट्रेट। सिद्धार्थ 2005 से जिनेवा में रह रहे हैं।

दोस्तों के साथ आते हैं गांव

सिद्धार्थ अपने साथी वैज्ञानिकों के साथ अपने गांव आते हैं तो उन्हें यहां की दुर्दशा सालती है उनका कहना है जब इस बार गांव पहुंचूंगा तो अधिकारियों से मिलकर बात करूंगा कि कैसे ये समस्या दूर हो।

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फिलहाल हमें तो यही कहना है कि सीएम साहेब इस गांव और दूसरे गांवों के बारे में भी सोचिए वरना दुनिया कहेगी आपके राज्य में वैज्ञानिक तो अच्छा है लेकिन आप में वो बात नहीं।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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