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जीएसटी इफेक्ट : लघु, मध्यम कंपनियों के बीच बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
नई दिल्ली : देश के अग्रणी उद्योग मंडल एसोचैम ने रविवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्योगों (एमएसएमई) के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ा देगा। एसोचैम ने देशभर में लागू हो चुकी इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली पर अपनी एक रिपोर्ट भी पेश की है।
एसोचैम और अश्विन पारेख एडवाइजरी सर्विसेज (एपीएएस) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए 'इमर्जिग मंत्राज फॉर बैंकर्स-बॉरोअर्स' शीर्षक वाले इस अध्ययन में कहा गया है, "एमएसएमई के लिहाज से, जीएसटी मौजूदा कर प्रणाली की तुलना में काफी सकारात्मकता लाएगा, जिनमें इनपुट क्रेडिट हासिल करने की सुविधा, एकल बिंदु कर, कई स्तरों पर लगाने वाली कर प्रणाली का खात्मा और कर चुकाने की सहज प्रक्रिया शामिल हैं।"
एसोचैम ने हालांकि यह भी कहा कि देश की अधिक से अधिक आबादी को कर प्रणाली के अधीन लाने और अधिक से अधिक एमएसएमई उद्योगों तक इसकी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गई जीएसटी से कर चुकाने का बोझ और उससे संबद्ध लागत भी बढ़ेगी।
उद्योग मंडल का कहना है, "लेकिन अंतत: इससे एमएसएमई उद्योगों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और बड़े उद्योगों तथा एमएसएमई उद्योगों के बीच लड़ाई का मैदान एक होगा।"
अध्ययन में जीएसटी के चलते एमएसएमई उद्योगों के लिए नकारात्मक पहलुओं का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि एमएसएमई उद्योग जीएसटी से होने वाले फायदे के आखिरी पायदान पर होंगे, लग्जरी वस्तुओं एवं सेवाओं के करों में अंतर का न होना, उत्पाद की लागत में इजाफा, चुनिंदा चीजों पर अतिरिक्त कर और सेवा प्रदाताओं पर लगाए गए करों की दर अधिक होना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी का एमएसएमई उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा, जैसे एकीकृत बाजार एवं लॉजिस्टिक लागत में कमी का आना। चूंकि जीएसटी में कर चुकाने से संबंधित सारी प्रक्रियाएं ऑनलाइन की जा सकेंगी, इसलिए एमएसएमई कंपनियों को कर अधिकारियों से संपर्क करने में डरने की जरूरत नहीं है।
इस बीच ब्रिटिश कंपनी 'अर्न्स्ट एंड यंग' (ईवाई) की भारतीय इकाई ने रविवार को कहा कि उन्होंने लघु उद्योगों, कारोबारियों और नवउद्यमियों को जीएसटी पर मदद देने के लिए अपनी निशुल्क सेवा 'ईवाई जीएसटी हेल्प' शुरू की है।