Advertisement: उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक दिशा

Misleading Advertisement: भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक निर्देश जारी किया गया है, जिसमें विभाग ने भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं।

Anshu Sarda Anvi
Published on: 20 Aug 2023 9:21 AM GMT
Advertisement: उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक दिशा
X
Misleading Advertisements (photo: social media )

Misleading Advertisement: क्या आप भी विज्ञापनों से प्रभावित होकर किसी उत्पाद को खरीदते हैं? क्या आप भी किसी विज्ञापन को किसी मनपसंद सेलिब्रिटी के द्वारा किए जाने के कारण उस उत्पाद की तरफ आकृष्ट होते हैं और फिर उसे खरीद कर, प्रयोग करने के बाद आप अपने आपको लुटा-पिटा महसूस करते हैं, ठगा हुआ महसूस करते हैं और उस सेलिब्रिटी को और उसके द्वारा विज्ञापित किए जा रहे उस उत्पाद को जी भर कर कोसते हैं। तो अब संभल जाइए, सुकून की सांस लीजिए क्योंकि अब इस तरह के भ्रामक विज्ञापन आप नहीं देख सकेंगे जो कि आपको किसी उत्पाद के मिथ्या प्रचार द्वारा आपको दुष्प्रभावित कर रहा था। डॉ ऑर्थो तेल और कैप्सूल्स का विज्ञापन हम सबने देखा है, जिसे मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने किया है।

इसे वे एक आयुर्वेदिक दवाई के रूप में विज्ञापित कर रहे हैं, जो कि उन्हें सभी तरह के जोड़ों के दर्द, कंधे के दर्द से आजादी देता है। इसके नए ब्रांड एंबेसडर अब अभिनेता अजय देवगन बन गए हैं। 'ठंड में भी गर्मी का एहसास' सतीश कौशिक द्वारा किया गया लक्स कोट्स वूल का विज्ञापन भी हमने देखा था। 'दाने-दाने में केसर का दम' विमल पान मसाला का अजय देवगन और शाहरुख खान द्वारा अभिनीत विज्ञापन भी हमने देखा है। महानायक अमिताभ बच्चन ने जब मैगी का विज्ञापन किया था तो उसकी गुणवत्ता को लेकर उठे विवादों के चलते अमिताभ बच्चन से दर्शक नाराज थे कि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद का विज्ञापन और प्रचार क्यों कर रहे हैं। इसके साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड पेप्सी, कैडबरी, कल्याण ज्वेलर्स, पान मसाले का विज्ञापन जैसे अनेक विज्ञापनों पर विवाद के चलते बिग बी कई बार मुसीबत में पड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त एडीडास, ओला, केंट आर ओ, तनिष्क जैसी बड़ी कंपनियां भी विवादित विज्ञापनों के चलते प्रतिबंध का सामना कर चुकी हैं।

शराब और तंबाकू के विज्ञापन

झूठ-मूठ का आयुर्वेद का ठप्पा लगाकर बेची जाने वाली अनेक दवाइयां, तेल, क्रीम, लोशन आदि के भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाते हैं, उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। इस तरह के भ्रामक विज्ञापनों से कोई न कोई बड़ी हस्ती जैसे अभिनेता, खिलाड़ी आदि जुड़े होते हैं जो कि उस उत्पाद को प्रयोग करने से होने वाले फायदों को गिना रहे होते हैं। शराब और तंबाकू के विज्ञापन अमेरिकन प्राईड, रॉयल स्टैग का 'मेक इट लार्ज'जैसे विज्ञापन अक्सर युवाओं की असुरक्षा को लक्षित करते हैं। वे अपने उत्पाद को स्वतंत्रता और खुशियों की कुंजी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इस तरह के विज्ञापन उनके अंदर कम उम्र से ही इन उत्पादों के प्रति दिलचस्पी को बढ़ा देते हैं।

आज जैसे ही यूट्यूब खोले, दुनिया भर की रील्स और विज्ञापनों के जरिए न जाने कितने ही उत्पादों को लेकर इस तरह की जानकारी दी जाती है कि मानो उनके प्रयोग से आपके गंजे सर पर बाल जरूर आएंगे, आप मोटापे से छुटकारा पाकर फिर स्लिम-ट्रिम हो जाएंगे आदि आदि। बड़े-बड़े मीडिया इनफ्लुएंसर्स अलग-अलग होटलों ,पीजी, कॉलेजों, डेस्टिनेशंस, फूड्स, होस्टल आदि के विज्ञापनों द्वारा आपको उनका प्रचार करते दिखाई दे देते हैं और आप एक उपभोक्ता होने के कारण इस जाल में फंस जाते हैं।

तेजी से बढ़ती इस डिजिटल दुनिया में अब विज्ञापन हमारे पास सिर्फ प्रिंट मीडिया या टेलीविजन और रेडियो जैसे पारंपरिक मीडिया के माध्यम से ही देखने में, सुनने में नहीं आता है। अब सोशल मीडिया पर भी इस तरह के विज्ञापनों की वृद्धि से उपभोक्ताओं के गुमराह होने का खतरा और अधिक बढ़ गया है, जिसे अनदेखा करना बेहद मुश्किल है। यह वह मीडिया है जिसकी दर्शकों तक सीधी पहुंच है और वे किसी भी ब्रांड की खरीदने या न खरीदने के उपभोक्ता के निर्णय को प्रभावित कर लेते हैं।

अब सेलिब्रिटीज को विज्ञापनदाता के साथ किसी भी तरह के भौतिक संबंध का चाहे वह प्रॉफिट के तौर पर मिला हो, चाहे वह कैश के तौर पर मिला हो, चाहे वह विभिन्न यात्राओं, होटल में रुकने या अन्य किसी छुट्टियों के उपहार आदि के रूप में मिला हो, उसका भी खुलासा करना होगा। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक निर्देश जारी किया गया है, जिसमें विभाग ने भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं। अब जो प्रभावशाली व्यक्ति और आभासी प्रभाव वाले इनफ्लुएंसर्स विज्ञापन करते हैं, उनको यह बताना होगा कि वे किस हैसियत से इस विज्ञापन को कर रहे हैं, इस उत्पाद का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

क्या वे किसी भी तरह के डॉक्टर हैं, मेडिकल एक्सपर्ट हैं? आप कौन हैं, पहले आपको यह बताना होगा। जो बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटीज विज्ञापन कर रहीं हैं, उन्हें यह बताना अब अनिवार्य हो जाएगा कि वे यह विज्ञापन जो कर रहे हैं उससे वे स्वयं कितने सहमत हैं? क्या वे उसको प्रयोग करते हैं? अगर नहीं तो विज्ञापन में नीचे यह लिखा हुआ आना होगा कि यह मात्र एक विज्ञापन है और मैं इस उत्पाद का प्रयोग नहीं करता हूं या करती हूं। इस विज्ञापन से मेरी राय मिलती-जुलती हो सकती है पर यह मेरी निजी राय नहीं है।

खुद को स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सा के विशेषज्ञ के रूप में प्रस्तुत करने वाले इन प्रभावशाली हस्तियों और आभासी इनफ्लुएंसर्स को अब किसी भी उत्पाद का समर्थन करते समय यह खुलासा करना होगा कि वे प्रमाणित स्वास्थ्य या फिटनेस विशेषज्ञ हैं। अब विज्ञापनों पर 'विज्ञापन', 'प्रायोजित' या 'भुगतान किया गया प्रचार' जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया जा सकता है। इस तरह के दिशा-निर्देश स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ एस एस ए आई) और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ए एस सी आई) सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद में जारी किए गए हैं। इस तरह के दिशा-निर्देशों का सीधा-सीधा उद्देश्य सभी तरह के विज्ञापनों और निराधार दावों वाले विज्ञापनों से निपटना और स्वास्थ्य और कल्याण के समर्थन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

मंत्रालय द्वारा निर्देश जारी

अब जब इन विज्ञापनों को करने वाले मशहूर और प्रभावशाली हस्तियां अपना स्पष्टीकरण प्रदान करेंगी तब दर्शकों को यह भली-भांति जानकारी रहेगी कि इस विज्ञापन के प्रति या इस उत्पाद के प्रति उस हस्ती का समर्थन है और वह इस उत्पाद को प्रयोग नहीं करता है। विशेषकर यह स्पष्टीकरण तब अधिक आवश्यक है जब वह विज्ञापन खाद्य पदार्थों या न्यूट्रास्युटिकल्स अर्थात (पौष्टिक-औषधीय पदार्थ) जिसका प्रयोग खाद्य स्रोतों से प्राप्त किसी उत्पाद का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो भोजन में पाए जाने वाले मूलभूत पोषण संबंधी मूल्यों के अतिरिक्त स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्रदान करता है, के बारे में हो, जिसमें विज्ञापन के द्वारा किसी उपचार, किसी बीमारी की रोकथाम, स्वास्थ्य लाभ, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने या चिकित्सा पद्धतियों के विषय में कोई बात कही जाती है।

इस तरह के दिशा-निर्देश उन स्वास्थ्य सलाहों पर लागू नहीं होते जो सामान्य कल्याण के लिए जनहित में जारी की जाती हैं, जैसे- नियमित रूप से व्यायाम करें, जैसे- अच्छी नींद लें , जैसे -स्क्रीन पर बैठने के समय को कम करें, खूब पानी पिए और हाइड्रेट रहें , जल्दी ठीक होने के लिए हल्दी वाले दूध का प्रयोग करें या हानिकारक यूवी किरणों से बचाव के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग करें या अपने बालों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए रोजाना तेल का प्रयोग करें। इस तरह के स्वास्थ्य सलाहें इन दिशा -निर्देशों के अंतर्गत नहीं आती हैं क्योंकि ये किसी भी तरह के उत्पादों के विज्ञापनों से सीधे तौर पर नहीं जुड़ी हुई हैं।

ये दिशा-निर्देश यह बताता है कि सेलिब्रिटी अपने व्यक्तिगत विचारों और पेशेवर सलाह के बीच में स्पष्ट रूप से अंतर करें और बगैर किसी आधारभूत जानकारी या ठोस तथ्यों के इस तरह के दावे करने से बचें। अवश्य ही इस तरह के दिशा-निर्देशों से सेलिब्रिटिज और उनके समर्थकों पर असर पड़ेगा। अब भ्रामक विज्ञापन कानून द्वारा निशिद्ध कर दिये गए हैं। इस तरह के दिशा- निर्देश उद्योग जगत और उपभोक्ता दोनों के ही हितकारी होंगे। उत्पादों के प्रति पूरी तरह जानकारी प्राप्त करने के लिए दर्शकों को पेशेवर चिकित्सकों की सलाह लेने को कहा जाना चाहिए। यह नियम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा में सहायक होगा और वे एक पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देने में भी सहायक होंगे।

जब हम डिजिटल मीडिया का प्रयोग करते हैं, उसमें भी इस तरह के दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करेगा। इस प्रकार के नियम वैद्य विज्ञापनों के मानदंड और निर्माताओं , विज्ञापन दाताओं और विज्ञापन एजेंसियों के साथ-साथ सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारियां को भी रेखांकित करते हैं। इस तरह के कानून के उल्लंघन पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 और कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत जुर्माने का भी प्रावधान है। अब आंखें बंद कर विज्ञापनों पर भरोसा करने की जगह उसकी वैद्यता और प्रमाणिकता की जांच करना उपभोक्ता के हित में ही होगा।

Anshu Sarda Anvi

Anshu Sarda Anvi

Next Story