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नेशनल हाईवे पर एक्सीडेंट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया बड़ा ब्लू प्रिंट

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने विशेषज्ञों की सलाह पर कम खर्च वाली ऐसी योजना का ब्लू प्रिंट फाइनल कर दिया है, जिसमें बहुत कम खर्च आएगा और आगामी दीपावली से पहले इन सुधारात्मक कदमों को लागू भी कर दिया जाएगा। सरकार का आकलन है कि दुर्घटनाएं रोकने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए के बजट के तात्कालिक प्रावधान की आवश्यकता है।

tiwarishalini
Published on: 21 Aug 2016 1:15 AM IST
नेशनल हाईवे पर एक्सीडेंट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया बड़ा ब्लू प्रिंट
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नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने विशेषज्ञों की सलाह पर कम खर्च वाली ऐसी योजना का ब्लू प्रिंट फाइनल कर दिया है, जिसमें बहुत कम खर्च आएगा और आगामी दीपावली से पहले इन सुधारात्मक कदमों को लागू भी कर दिया जाएगा। सरकार का आकलन है कि दुर्घटनाएं रोकने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए के बजट के तात्कालिक प्रावधान की आवश्यकता है।

दिल्ली की नाक के नीचे नोएडा आगरा एक्सप्रेस-वे उत्तर भारत में रोड एक्सीडेंट के मामलों में सबसे आगे है। ताज सिटी आगरा को नोएडा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक हजार दिन की अवधि में 2,194 दुर्घटनाओं में 319 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीँ हाईवे दुर्घटनाओं के मामले में सबसे अग्रणी राज्यों में शुमार हो चुके हैं।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने खतरनाक दुर्घटनाओं वाले ऐसे 750 स्थलों (ब्लैक स्पॉट) की पहचान की है जहां पर सड़कों की डिजाइन और इंजीनियरिंग में आवश्यक सुधार के कदम उठाने की पहल की जा रही है। सड़क परिवहन मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दुर्घटना आशंकित 20 जगहों की पहचान की गई है। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हैं।

एनएचएआई ने सर्वे में पाया है कि सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं उन दुर्घटना जनितक्षेत्रों में ओवर ब्रिजों के अभाव में हो रही हैं। हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस प्रस्ताव को यह कह कर ठुकरा दिया है कि एक तो इसमें बहुत ज्यादा बजट खर्च होगा और दूसरा इसमें समय भी बहुत ज्यादा लगेगा।

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हाल ही में राजमार्ग मंत्रालय में दुर्घटनाओं को रोकने के बारे में हुई बैठक में विदेशों में लंबे हाईवे में दुर्घटनाओं पर काबू करने के उपायों की भी समीक्षा की गई। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक घुमावदार सड़कें सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया में भी हैं। वहां करीब 700 किमी. घुमावदार सड़कें चिह्नित की गई हैं।

ऐसे देशों ने सबसे सरल उपाय यह किया कि दुर्घटनाओं की संभावना वाली ऐसी सड़कों को चौड़ा किया और दूसरा राजमार्गों से जुड़ी हुई साइड बेल्ट को ऐसे राजमार्ग में समाहित किया गया। उन देशों के अनुभवों को साझा करते हुए यह तय किया गया है कि ऐसे दुर्घटनाजनित क्षेत्रों में तात्कालिक तौर पर यही कदम उठाया जाए।

अधिकारियों का कहना है कि घुमावदार सड़कों पर दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण जोखिम भरे मोड़ों पर बस चालकों का संतुलन खो जाना है। केंद्र सरकार ने दुर्घटनाओं में होने वाली मानव क्षति को तत्काल कम करने के कदम उठाते हुए दुर्घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर सभी आवश्यक कदम उठाने की योजना पर काम करना आंरभ कर दिया है।

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उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों के अलावा बाकी राज्यों में भी 25 ऐसी खतरनाक जगहों की तलाश की गई है, जहां साल 2012 से साल 2014 तक औसतन हर साल कम से कम 100 खतरनाक दुर्घटनाएं हुई हैं।

पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में करीब 410 से अधिक लोग रोज कहीं न कहीं दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं। साल 2015 में करीब 1.5 लाख लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई। दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा लोग दुर्घटना के शिकार हुए हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर चार मिनट में एक व्यक्ति रोड एक्सीडेंट में अपनी जान गंवाता है।

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