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LIC खाताधारकों को तगड़ा झटका, बजट में सरकार ने किया ऐ ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए दशक के पहले बजट में किसानों की आय अगले 2 साल में दोगुनी करने की बात कही तो उन्होंने सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय..
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए दशक के पहले बजट में किसानों की आय अगले 2 साल में दोगुनी करने की बात कही तो उन्होंने सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की बड़ी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा वित्त मंत्री ने आईडीबीआई बैंक में भी अपनी हिस्सेदारी बेचने की बात कही।
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निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का बड़ा हिस्सा बेचने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लेकर आएगी और इसके जरिए एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। हालांकि भाषण के दौरान वित्त मंत्री के इस ऐलान का सदन में विपक्षी सांसदों ने विरोध किया।
कितना हिस्सा रखेगी सरकार
उन्होंने कहा कि सराकर IDBI बैंक की हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचेगी, लेकिन नियंत्रण सरकार के पास ही रहेगा। हालांकि उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया कि सरकार के पास कितनी हिस्सेदारी रहेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि सरकार एलाआईसी में अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के जरिए बेचने का प्रस्ताव करती है।
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वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार एनबीएफसी और गृह वित्त निगमों की तरलता की कमी को दूर करने के लिए एक तंत्र सुनिश्चित करेगी। सरकार ने एनबीएफसी के लिए तरलता प्रदान करने के लिए प्रतिभूतियों की गारंटी देकर समर्थन की पेशकश की।
जमा धनराशि की सीमा बढ़ाई
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए कहा कि बैंकों में जमा धनराशि पर बीमा की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि बैंक जमा राशि पर गारंटी बढ़ा दी गई है। बैंक जमा पर गारंटी की सीमा तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है।
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देश की एक बड़ी आबादी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पर जमकर भरोसा करती रही है। देश के करोड़ों लोगों ने आंख मूंदकर अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा एलआईसी की योजनाओं में लगा रखा है। लेकिन हाल के वर्षों पर नजर डाली जाए तो एलआईसी के पास मौजूद नकदी के बड़े भंडार पर जोखिम बढ़ रहा है।
बढ़ता चला गया LIC का NPA
वित्त वर्ष यानी 2019-20 के शुरुआती छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में एलआईसी की गैर निष्पादित संपत्ति यानी NPA में 6.10 फीसदी की बढ़त हुई है। यह एनपीए निजी क्षेत्र के यस बैंक, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक के आसपास ही है।
कभी बेस्ट एसेट क्वालिटी के लिए ये मशहूर ये निजी बैंक बदले माहौल में बढ़ते एनपीए से परेशान दिख रहे हैं। वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में यस बैंक का सकल एनपीए 7.39 फीसदी, आईसीआईसीआई का एनपीए 6.37 फीसदी और एक्सिस बैंक का एनपीए 5.03 फीसदी पहुंच गया था।
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एलआईसी से कर्ज लेकर दबा लेने वाली डिफॉल्टर कंपनियों में कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें एस्सार पोर्ट, गैमन, IL&FS, डेक्कन क्रॉनिकल, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज, आलोक इंडस्ट्रीज, भूषण पावर, अमट्रैक ऑटो, एबीजी शिपयार्ड, जीवीके पावर, यूनिटेक और जीटीएल शामिल हैं।
एलआईसी ने ऐसी कई कंपनियों को टर्म लोन और एनसीडी के रूप में कर्ज दिया है। इनमें से कई डिफॉल्टर से पैसा वापस मिलना काफी मुश्किल है।