×

One Nation One Election: 'एक देश, एक चुनाव' की दिशा में सरकार की तैयारी तेज, मौजूदा सत्र में पेश हो सकता है बिल

पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई में बनी थी कमेटी, बिल को चर्चा के लिये सरकार जेपीसी के पास भेज सकती है, सरकार को भरोसा बिल पर बनेगी सहमति

Network
Newstrack Network
Published on: 9 Dec 2024 7:17 PM IST (Updated on: 9 Dec 2024 7:30 PM IST)
One Nation One Election
X

One Nation One Election (Pic:Newstrack)

One Nation One Election: मोदी सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र में 'एक देश, एक चुनाव' पर बिल लाने की पुरजोर तैयारी कर रही है। बिल को चर्चा के लिये सरकार जेपीसी के पास भी भेज सकती है। बता दें, केंद्रीय कैबिनेट ने पहले ही पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुवाई वाली कमेटी की रिपोर्ट ही पहली ही मंजूरी दे दी थी।

सरकार चाहती है कि बिल पर आम सहमति बने इसके लिये सरकार बिल को जेपीसी के पास भी भेजने से नहीं हिचक रही। इसके साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा के अध्यक्षों को भी आमंत्रित किया जा सकता है और साथ ही साथ देश प्रबुद्ध लोगों से भी रायशुमारी भी की जा सकती है। सरकार को भरोसा है कि बिल पर आम सहमति बन जाएगी।

पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई में बनी थी कमेटी

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था। इनमें से 32 दलों ने 'एक देश, एक चुनाव' के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया और 15 दलों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 'एक देश, एक चुनाव' मोदी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने इस मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा था कि समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए काम किया जाएगा।

पीएम ने भी की थी अपील

इस वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 'एक देश, एक चुनाव' के लिए सभी दलों से समर्थन की अपील की थी। उन्होंने कहा था, देश में बार-बार चुनाव होने से प्रगति में रुकावटें आ रही हैं और इससे गतिरोध पैदा हो रहा है। अब चुनावों को योजनाओं से जोड़ना आसान हो गया है, क्योंकि हर कुछ महीनों में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे हैं।

राज्यों की विधानसभा का लेना होगा समर्थन

'एक देश, एक चुनाव' को लागू करने के लिए सरकार को सबसे पहले एक बिल लाना होगा। चूंकि यह बिल संविधान में संशोधन करेगा, इसे संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त करना जरूरी होगा। इसका मतलब है कि लोकसभा में इसे पास करने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा में 163 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होगा। इसके बाद, इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से भी मंजूरी प्राप्त करनी होगी। अंत में, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही यह बिल कानून बन सकेगा।



Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

Next Story