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22 जनवरी, 1999: स्टेंस और उनके 2 बच्चों को धर्म के नाम पर जिंदा जला दिया

तारीख आज की ही थी लेकिन साल था 1999। जगह थी ओडिशा का क्योंझऱ जिला। इस दिन दुनिया भर में चर्चा थी सिर्फ बजरंग दल की। ये वो दल था जिसका गठन हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हुआ था और उसने ही इंसानियत का कत्लेआम किया। मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ा।

Rishi
Published on: 22 Jan 2019 4:57 PM IST
22 जनवरी, 1999: स्टेंस और उनके 2 बच्चों को धर्म के नाम पर जिंदा जला दिया
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लखनऊ : तारीख आज की ही थी लेकिन साल था 1999। जगह थी ओडिशा का क्योंझऱ जिला। इस दिन दुनिया भर में चर्चा थी सिर्फ बजरंग दल की। ये वो दल था जिसका गठन हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हुआ था और उसने ही इंसानियत का कत्लेआम किया। मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ा। उस दिन जो कुछ भी हुआ वो भारत के आधुनिक इतिहास का सबसे काला अध्याय था.. जानिए क्या हुआ था उस दिन लेकिन उससे पहले बहुत कुछ है जानने के लिए।

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ग्राहम स्टेंस 1941 में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में पैदा हुए। उनकी ओडिशा के सांतनु सतपथी से दोस्ती हो गई। कुछ समय बाद सांतनु उनको भारत आने का आग्रह करते हैं। 1965 में स्टेंस भारत आए स्टेंस ने इवैंजेलिकल मिशनरी सोसायटी ऑफ मयूरभंज के साथ मिल कुष्ठरोगियों का इलाज करने लगे।

इसके बाद साल 1982 में उन्होंने मयूरभंज लेप्रसी होम की स्थापना की। ये उस समय की बात है जब कुष्ठ रोग को बड़ा रोग माना जाता था और रोगी का सामाजिक वहिष्कार कर दिया जाता था। इसी सबके दौरान स्टेंस की मुलाकात ग्लैडिस से होती है। वे भी कुष्ठरोगियों की सेवा में लगी थीं। साल 1983 में दोनों ने शादी कर ली। दोनों के तीन बच्चे हुए। एक बेटी ईस्थर और दो बेटे फिलिप और टिमोथी। स्टेंस दिनों दिन लोकप्रिय हो रहे थे। यही वो दौर था जब चरमपंथी देश और इस राज्य में भी सिर उठा रहे थे। उन्हें स्टेंस की लोकप्रियता रास नहीं आ रही थी।

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फिर आई वो काली रात

स्टेंस के दोनों बेटे फिलिप और टिमोथी एक 7 साल का दूसरा 10 साल का। ऊटी में पढ़ते थे। जाड़े की छुट्टी में घर आए थे। बच्चे पापा से घूमने चलने की जिद्द करते हैं। स्टेंस को को मयूरभंज में एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेना था। तो वो दोनों बेटों के साथ लेते हैं। शाम को घर लौटने से पहले वे तीनों पिकनिक के लिए मनोहरपुर गांव के बाहर कैंप लगाते हैं। फिर अपनी कार में सो जाते हैं।

रात लगभग 12 बजे बजरंग दल नेता दारा सिंह अपने करीब 60 साथियों के साथ स्टेंस की कार को घेर लेते हैं। और हमला कर देते हैं। गाड़ी में तोड़फोड़ करने लगते है। स्टेंस हमलावरों के आगे रहम की भीख मांगते हैं। लेकिन हमलावर कुछ और ही सोच कर आए थे। तीनों को बुरी तरह बेरहमी से पीटते हैं। इसपर भी मन नहीं भरता तो पेट्रोल डाल कार को आग लगा देते हैं। कार जलने लगती है और इसमें ही एक बाप अपने दो बच्चों के साथ जल कर राख हो जाता है।

धर्मांतरण का लगा था आरोप

स्टेंस पर बजरंग दल के दारा सिंह और अन्य कट्टरपंथी धर्मांतरण का आरोप लगाते थे। उसके मुताबिक स्टेंस आदिवासी इलाकों में ईलाज के नाम पर धर्मांतरण करते थे।

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दुनिया भर में भारत की आलोचना

हत्याकांड में पुलिस ने दारा सहित 13 के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया। दुनिया भर में आलोचना हुई। केंद्र में अटल बिहारी की सरकार थी। देश के अंदर और बाहर आलोचना हो रही थी। आरोपियों के बजरंग दल, विहिप और आरएसएस से संबंध बताए जाने लगे। परेशान पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी जांच के लिए तीन कैबिनेट मंत्रियों की कमेटी घटनास्थल पर भेजी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कईयों को आरोपी बताया। जांच हुई। आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चला। कोर्ट ने दारा सिंह को फांसी और महेंद्र हेमब्रोम को उम्रकैद आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दारा सिंह की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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