×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जयपुर घराने की राजमाता गायत्री देवी के पौत्र-पौत्री ही होंगे उनके कानूनी वारिस

जयपुर घराने की बेशुमार दौलत को लेकर 11 साल से चल रही कानूनी लड़ाई में एक नया मोड़ आ गया है। जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि जयपुर घराने की राजमाता गायत्री देवी के दो पोते-पोती ही उनके कानूनी वारिस होंगे। अदालत ने अपने पहले के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि जयपुर की दिवंगत महारानी के दो सौतेले बेटे भी उनकी संपत्ति में हिस्सेदार होंगे।

priyankajoshi
Published on: 11 Dec 2017 12:35 PM IST
जयपुर घराने की राजमाता गायत्री देवी के पौत्र-पौत्री ही होंगे उनके कानूनी वारिस
X

नई दिल्ली: जयपुर घराने की बेशुमार दौलत को लेकर 11 साल से चल रही कानूनी लड़ाई में एक नया मोड़ आ गया है। जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि जयपुर घराने की राजमाता गायत्री देवी के दो पोते-पोती ही उनके कानूनी वारिस होंगे। अदालत ने अपने पहले के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि जयपुर की दिवंगत महारानी के दो सौतेले बेटे भी उनकी संपत्ति में हिस्सेदार होंगे।

गौरतलब है कि गायत्री देवी का 90 साल की उम्र में 29 जुलाई 2009 को निधन हुआ था। निधन के बाद उनकी संपत्ति पर दावेदारी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। उनके पोते देवराज और पोती लालित्या ने याचिका दायर की थी कि उनके पिता जगत सिंह गायत्री देवी और महाराज सवाईमान सिंह के बेटे थे जिनकी मौत अपनी मां की मौत से पहले हो गई थी। ऐसे में अब केवल वह ही दादी गायत्री देवी की संपत्ति के एक मात्र कानूनी उत्तराधिकारी हैं।

जगत सिंह का विवाह थाईलैंड की मॉम राजावेंगसे प्रियनंदना रांगसित से हुआ था। जगत सिंह ने निधन से पहले वसीयत बनाई थी जिसमें उन्होंने गायत्री देवी को अपनी सारी संपत्ति का स्वामित्व दे दिया था। अदालत ने यह आदेश उनके पोते-पोती की पुनर्विचार याचिका पर दिया है जिसमें उन्होंने इसी अदालत के वर्ष 2010 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अदालत ने गायत्री देवी के वारिस के रूप में दावेदारी करने वाले दो अलग आवेदनों को मंजूरी दी थी।

पहली याचिका देवराज और लालित्या ने दायर की थी जबकि दूसरा आवेदन गायत्री देवी के सौतेले बेटे पृथ्वीराज सिंह और जयसिंह ने डाला था। वह दोनों महाराज सवाई मानसिंह की दूसरी पत्नी के बेटे हैं। उन्होंने भी राजमाता की देखभाल की है। हालांकि पोते पोती ने अपनी याचिका में कहा था कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत पृथ्वीराज सिंह और जयसिंह सवाई मानसिंह की दूसरी पत्नी के बच्चे हैं और इसलिए उन्हें गायत्री देवी का उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का भी जिक्र किया, जिसमें उसने कहा था कि सगे और सौतेले बच्चों को एक समान नहीं माना जा सकता। इसलिए किसी और के द्वारा गायत्री देवी का उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं माना जा सकता।



\
priyankajoshi

priyankajoshi

इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

Next Story