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जीएसटी का एक साल पूरा, सरकार का दावा महंगाई आई नियत्रंण में

Manali Rastogi
Published on: 1 July 2018 11:30 AM IST
जीएसटी का एक साल पूरा, सरकार का दावा महंगाई आई नियत्रंण में
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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर ‘जीएसटी’ को लागू हुए आज 1 जुलाई को एक साल पूरा हो गया। सरकार का दावा है कि जीएसटी से महंगाई नियंत्रण में आई है। जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी के खिलाफ एक एजेंसी भी लाई गई, जिससे भी भाव नियंत्रित हुए हैं। हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं जबकि फूड प्रोडक्ट, टूथ पेस्ट, हेयर ऑइल आदि के दाम या तो स्थिर रहे या घटे हैं।

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अक्टूबर 2017 से फैक्ट्री में बनी चीजों की महंगाई दर एक वर्ष पहले की तुलना में कम रही है। सर्विसेज महंगी हुई हैं। इकोनॉमी में सर्विसेज का हिस्सा 60% है। यानी इकोनॉमी के 60% हिस्से के दाम बढ़ गए हैं। पहले इन पर 15% टैक्स था, अब 18% जीएसटी है।

आज तक कुछ बातें पूरी नहीं हुई

जीएसटी को एक साल तो पूरे हो गए लेकिन कुछ बाते हें जो आज तक पूरी नहीं हुई। सरकार ने जीएसटी लागू करते वक्त टैक्स स्लैब कम रखने की बात कही थी। जिन देशों ने जीएसटी लागू किया हे उनमें सबसे ज्यादा टैक्स भारत में ही है ।

भारत में सर्वाधिक टैक्स स्लैब है । देश में 6 टैक्स स्लैब है, 0, 3, 5, 12, 18, 28 प्रतिशत । देश भर में एक टैक्स होने की बात कही गई थी लेकिन अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल, डीजल, एविएशन टरबाइन फ्यूल, नेचरल गैस, शराब पर अलग-अलग टैक्स दरें हैं। स्टांप शुल्क की दरें राज्यों में अलग-अलग हैं।

केंद्र सरकार ने कहा था कि सेस खत्म होंगे लेकिन एक साल पूरा होने पर भी महंगी कारों , गुटखा और सिगरेट पर सेस जारी रखा गया है। सरल नेटवर्क बनाने का भी दावा था लेकिन जीएसटीएन सही से काम नहीं कर रहा है। रिटर्न भरने की अंतिम तिथियों में क्रैश हो जाता है। जिससे सरकार को हर बार तारीख बढ़ानी पड़ती है। सही मॉडल नहीं बन पाया है।

जीएसटी प्रणाली से जुड़ी 100 अधिसूचना जारी की गईं

एक साल में जीएसटी प्रणाली से जुड़ी 100 अधिसूचना जारी की गईं। यानी हर तीसरे दिन नई अधिसूचना। जीएसटी एक्ट और जीएसटी-नेटवर्क में तालमेल का अभाव है। एक क्रेडिट लेजर और एक कैश लेजर का प्रावधान था, पर 6 तरह के कैश लेजर बनाए गए ।

ई वे बिल में मानवीय भूल का प्रावधान नहीं है। गाड़ी नंबर डालने में गलती हो गई तो भी इनवॉयस के बराबर पेनल्टी लगती है। इनपुट टैक्स क्रेडिट अभी इलेक्ट्रॉनिक नहीं हुआ। टैक्स अधिकारी के पास जाना पड़ता है। कम जानकारी होने की वजह से अधिकारी आपत्ति दर्ज करते हैं।

जीएसटी के फायदे भी बहुत हैं

ये तो थी परेशानियों और सरकार की ओर से किए गए वायदे नहीं पूरा करने की बात लेकिन जीएसटी के फायदे भी बहुत हैं। पहले जिन राज्यों में टैक्स कम थे, व्यापारी वहां का इनवॉयस दिखाकर दूसरे राज्य में माल बेचते थे। जीएसटी से राज्यों के बीच स्मगलिंग बंद हो गई। ई वे बिल से ट्रांसपोर्ट में दो नंबर का माल जाना 75% कम हो गया है।

विक्रेता का चालान और इनपुट टैक्स क्रेडिट आपस में जुड़े होने से फर्जी चालानों पर क्रेडिट का दावा करना असंभव हो गया है। 10 लाख तक टर्नओवर वाले व्यापारियों को कर मुक्त किया है। इससे व्यापार शुरू करना आसान हुआ। पहले टैक्स के नाम पर इंस्पेक्टर वसूली करते थे, ये बंद हो गया।



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