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टैक्स दरों में हो सकता है बड़ा बदलाव, इस माह के अंत तक होगी GST की बैठक

गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स के मौजूदा दरों और स्लैब में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। खबरों  के मुताबिक, सरकार मौजूदा 9 दरों की बजाय जीएसटी (GST) में सिर्फ 3 दर रखना चाहती है। ऐसे में कुल तीन स्लैब 8%, 18% और 28% पर सहमति बनाने पर जोर होगी।

suman
Published on: 8 Feb 2020 6:05 AM GMT
टैक्स दरों में हो सकता है बड़ा बदलाव, इस माह के अंत तक होगी GST की बैठक
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नई दिल्ली: गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स के मौजूदा दरों और स्लैब में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। खबरों के मुताबिक, सरकार मौजूदा 9 दरों की बजाय जीएसटी (GST) में सिर्फ 3 दर रखना चाहती है। ऐसे में कुल तीन स्लैब 8%, 18% और 28% पर सहमति बनाने पर जोर होगी।

हालांकि इस पूरी रणनीति में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि बदलाव से खाने-पीने की चीजों की महंगाई न बढ़े। फरवरी के अंत में जीएसटी काउंसिल की बैठक हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बजट से निपटने के बाद जीएसटी दरों को दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है। सरकार ज्यादातर आइटम्स के रेट रेवेन्यू न्यूट्रल से थोड़ा ज्यादा रखने के पक्ष में है।

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*सरकार खाद्य महंगाई को लेकर विशेष रणनीति अपना सकती है।खाने-पीने और आवश्यक चीजों को लेकर नया स्लैब बनाने पर भी विचार कर सकती है। बता दें कि सरकारी नीति पर सलाह देने वाली संस्था नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने भी पिछले साल कहा था कि जीएसटी के सिर्फ दो स्लैब रखे जाएं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि जीएसटी के स्लैब या दरों में बार-बार बदलाव होने से कारोबार पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ जाए तो जीएसटी दरों में सालाना आधार पर बदलाव किया जा सकता है।

*एक जुलाई 2017 से देश में जीएसटी लागू होने के बाद सभी अप्रत्यक्ष कर (वैट, सर्विस टैक्स आदि) इसमें शामिल हो गए हैं। जीएसटी के लागू होने के बाद से कई बार जीएसटी की दरों में बदलाव किया गया है। इस समय जीएसटी के तहत चार स्लैब 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी हैं।

* इसके बावजूद कई उत्पाद पर जीएसटी नहीं लगता। इसके साथ ही पांच ऐसे भी उत्पाद हैं, जिन पर जीएसटी के अलावा उपकर या सेस भी लगता है। बड़ा टैक्स सुधार लाने पर शुरुआत में दिक्कत होती है। तो ज्यादातर देशों में जीएसटी को स्थिर होने में समय लगा है।

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*जीएसटी की दरों में बार-बार बदलाव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे समस्याएं पैदा होती हैं. सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर आइटम के रेट 18% वाले स्लैब में जा सकते हैं। निचले सभी स्लैब को मिलाकर सिर्फ एक 8% का स्लैब बनाने पर विचार हो सकता है, जबकि लग्जरी और डी-मेरिट गुड्स के लिए अधिकतम 28% बरकरार रहेगा।

*जीएसटी पर बनी एक समिति ने सरकार से सिर्फ दो स्लैब रहने की सिफारिश की है, इनमें 10 और 20 फीसदी के स्लैब हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जीएसटी पर बनी समिति के मुखिया हैं। उन्होंने इस आशंका को भी खारिज किया कि किसी प्रोडक्ट पर जीएसटी की दर बढ़ाने की बात हो रही है। मोबाइल फोन, फार्मा, मानव निर्मित धागे/कपड़े, रेडीमेड गारमेंट, खाद, फैब्रिक और अक्षय ऊर्जा उपकरण पांच और 12 फीसदी स्लैब में आते हैं जिन पर इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर लगता है।

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