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'सैनिटरी नैपकिन' पर घिरी सरकार तो वित्त मंत्रालय ने पेश की सफाई

Rishi
Published on: 10 July 2017 4:08 PM GMT
सैनिटरी नैपकिन पर घिरी सरकार तो वित्त मंत्रालय ने पेश की सफाई
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नई दिल्ली : उन रिपोर्टों को खारिज करते हुए कि जीएसटी लागू होने के बाद सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर बढ़ा दी गई है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि इस पर कुल टैक्स जीएसटी लागू होने के बाद भी उतना ही है, जितना जीएसटी से पहले था। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "जीएसटी से पहले सैनिटरी नैपकिन पर 6 प्रतिशत का रियायती उत्पाद शुल्क एवं 5 प्रतिशत वैट लगता था और जीएसटी पूर्व अनुमानित कुल टैक्स देनदारी 13.68 प्रतिशत थी। अत: 12 प्रतिशत की जीएसटी दर सैनिटरी नैपकिन के लिए निर्धारित की गई है।"

मंत्रालय ने कहा कि चूंकि सैनिटरी नैपकिन बनाने में उपयोग होने वाले कच्चे माल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, अत: सैनिटरी नैपकिन पर यदि 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है, तो भी यह जीएसटी ढांचे में 'विलोम (इन्वर्टेड)' को दर्शाता है। बयान में कहा गया कि यदि सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी जाती है, तो 'टैक्स विलोम (इन्वर्टेड)' और ज्यादा बढ़ जाएगा तथा ऐसे में आईटीसी का संचयन भी और ज्यादा हो जाएगा। इसके अलावा फंड की रुकावट के कारण वित्तीय लागत तथा रिफंड की संबंधित प्रशासनिक लागत भी बढ़ जाएगी तथा वैसी स्थिति में आयात के मुकाबले घरेलू निर्माता और भी ज्यादा अलाभ की स्थिति में आ जाएंगे।हालांकि, सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर को घटाकर शून्य कर देने पर सैनिटरी नैपकिन के घरेलू निर्माताओं को कुछ भी आईटीसी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा शून्य रेटिंग आयात की स्थिति बन जाएगी। शून्य रेटिंग आयात के कारण देश में तैयार सैनिटरी नैपकिन इसके आयात माल के मुकाबले बेहद ज्यादा अलाभ की स्थिति में आ जाएंगे।वहीं, देश भर में महिला अधिकार समूह और स्त्रीरोग विशेषज्ञ सैनिटरी नैपकिन पर 12 फीसदी कर लगाने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सैनिटरी नैपकिन कोई लक्जरी नहीं है, बल्कि जरूरत है। इसलिए इस पर कर नहीं लगाना चाहिए।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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