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सट्टा बाजार: पहली बार बेहद असंमजस में फंसा है गुजरात को लेकर !

क्रिकेट हो या आम चुनाव अथवा गुजरात जैसे प्रदेश का हॉट चुनाव जिसके नतीजों पर पूरे देश और दुनिया की नजरें गड़ी हैं। आम तौर पर इतने अहम चुनाव पर सट्टा बाजार गु

Anoop Ojha
Published on: 11 Dec 2017 10:00 PM IST
सट्टा बाजार: पहली बार बेहद असंमजस में फंसा है गुजरात को लेकर !
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Live गुजरात चुनाव: शुरुआत में पिछड़ने के बाद CM रुपाणी चुनाव जीत गए

उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ल्ली: क्रिकेट हो या आम चुनाव अथवा गुजरात जैसे प्रदेश का हॉट चुनाव जिसके नतीजों पर पूरे देश और दुनिया की नजरें गड़ी हैं। आम तौर पर इतने अहम चुनाव पर सट्टा बाजार गुलजार रहता था लेकिन इस बार तो सटोरियों ने भाजपा को आगे दिखाने की शुरुआती होड़ के बाद पिछले दो सप्ताह से अचानक चुप्पी साध ली। इस बार गुजरात चुनाव पर करीब 1000 करोड़ का ही सट्टा लगा है जबकि देश में मोदी सरकार की स्थिरता और भविष्य तय करने वाले इस चुनाव पर सट्टा बाजार खुद ही असमंजस में फंसा हुआ है।आश्चर्य यह है कि 2012 में इसी गुजरात विधानसभा चुनाव में सटोरियों ने 5000 करोड़ रुपए दांव पर लगाये थे जबकि मोदी का सियासी कद तब केवल गुजरात तक सीमित था। मुंबई के बाद महाराष्ट्र में नागपुर व पुणे के अलावा दिल्ली में सटोरियों का दांव सबसे ज्यादा होता है। हालांकि इस बार अहमदाबाद व राजस्थान में भी सटोरिये गुजरात के इस रोमांचक चुनावी गेम पर कड़ी निगाह रखे हुए हैं।

सट्टा बाजार पर करीब से नजर गड़ाए रखने वाले जानकारों का मानना है कि आर्थिक क्षेत्र में आयी मंदी का देश के सट्टा कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है। बाजार की मंदी से लोगों में जोखिम उठाने की हिम्मत कम हुई है। दूसरा यह कि पिछले चुनावों के मुकाबले कांग्रेस ने इस बार गुजरात में भाजपा के खिलाफ जो मजबूत जातीय गठजोड़ खड़ा किया, उसके चलते सटोरियों की नजर में इस बार कांग्रेस-भाजपा में टक्कर कांटे की हो सकती है। सटोरियों के सूचना स्रोत सबसे पहले जीतने वाली पार्टी के भीतर असरदार लोगों तक होते हैं इसलिए उन्हें बखूबी पता होता है कि जीत का दावा करने वाली पार्टी के दावों में कितना दम है।

चार सप्ताह पहले तक गुजरात में भाजपा को 118-120 तक मानने वाले सट्टा बाजार के खिलाड़ियों ने भाजपा की कीमत सवा रुपया प्रति एक रुपए पर लगाई थी। जबकि कांग्रेस का रेट 3 रुपया प्रति एक रुपया आंका था। मतलब यह कि जो पार्टी जीत के करीब होगी उस पर दांव लगाने वालों को कम रेट मिलेगा। सटोरियों ने राहुल गांधी के प्रचार में उतरने और हार्दिक पटेल की कांग्रेस के समर्थन में की जा रही रैलियों के बाद भाजपा की सीटें 100 के करीब लाकर रख दीं तथा दूसरे नंबर पर 80 से 82 सीटों पर कांग्रेस को रखा।

दिल्ली में सटोरिया कारोबार के निकट सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने अपनी हालात में आश्चर्यजनक तौर पर सुधार किया है क्योंकि नवंबर माह के आरंभ में कांग्रेस पर दांव 7 रुपए तक नीचे गिर गया था। आम आदमी पार्टी जो इस बार गुजरात में 50 सीटों पर चुनाव लड़ रही है उसका भाव कांग्रेस के बाद यानी 10 रूपए था जबकि एनसीपी का रेट शिव सेना से भी कम आंका गया था।

भाजपा को बढ़त दिखाने के बावजूद सटोरियों का मानना है कि इस बार भाजपा को गुजरात में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद भाजपा को कई अहम सीटों से हाथ धोना पड़ सकता है और उसके कई दिग्गज चुनाव हार सकते हैं। जिन चर्चित भाजपाई महारथियों पर कांटे की टक्कर में पराजय की तलवार लटक रही है उसमें मुख्यमंत्री विजय रुपाणी शामिल हैं जो गुजरात में राजकोट वेस्ट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने उन्हें कड़े मुकाबले में फंसा रखा है। उनका मुकाबला इंद्रनील राज्यगुरु से है जो संसाधनों के मामले में बहुत धनी उम्मीदवारों में हैं। जीएसटी पर व्यापारियों की नाराजगी और जातीय ध्रुवीकरण उन पर भारी पड़ रहा है।

सटोरियों के निशाने पर भाजपा के दूसरे नंबर के नेता हैं उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल। आनंदीबेन ने पद से हटने के पहले उन्हें सीएम बनाने की शर्त रखी थी। पटेल भी मेहसाणा सीट पर कांग्रेस के ताकतवर उम्मीदवार जीवा भाई पटेल से कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। पटेल बहुल मेहसाणा में इस बार हार्दिक पटेल का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। यह क्षेत्र 2016 में पाटीदार आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। सटोरियों की नजर में इस बार हवा उनके अनुकूल नहीं है जबकि पिछली बार वे 24 हजार वोटों से जीते थे। सट्टेबाजों की नजर कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल पर भी है जो राज्य के ताकतवर नेताओं में हैं तथा कांग्रेस की बढ़त होने पर मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हो सकते हैं।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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