×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

गुजरात दंगेः गुलबर्ग सोसायटी हिंसा मामले में आज आ सकता है फैसला

Rishi
Published on: 2 Jun 2016 7:46 AM IST
गुजरात दंगेः गुलबर्ग सोसायटी हिंसा मामले में आज आ सकता है फैसला
X

अहमदाबादः गुलबर्ग सोसायटी में 28 फरवरी 2002 को हुई हिंसा के मामले में आज फैसला आ सकता है। गुजरात दंगों के दौरान सोसाइटी पर हजारों की हिंसक भीड़ ने हमला किया था। इस हमले में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी समेत 69 लोगों की मौत हुई थी।

जकिया जाफरी की लड़ाई

77 साल की जकिया जाफरी तो न्याय की लड़ाई लगातार लड़ रही हैं। उन्‍होंने अपने शौहर और कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी को खोया था। 14 साल से बीमारी के बावजूद वो लगातार अलग-अलग एजेंसियों में न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। एसआईटी से लेकर कोर्ट तक हर जगह उन्‍होंने लड़ाई लड़ी है।

क्या है मामला?

-28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसायटी पर भीड़ ने हमला किया था।

-इस मामले में 66 आरोपी थे, जिनमें से चार की मौत हो चुकी है।

-एक आरोपी विपिन पटेल बीजेपी का मौजूदा काउंसिलर है।

-इस मामले के 39 लोगों की लाशें मिली थीं, 30 लोगों को बाद में मृत माना गया।

गोधरा कांड के एक दिन बाद हुआ हमला

-साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट की गुलबर्ग सोसायटी पर हमला किया गया था।

-सोसायटी में एक पारसी परिवार के अलावा सभी मुस्लिम रहते थे।

-8 जून 2006 को अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने पुलिस कम्प्लेंट में नरेंद्र मोदी, कई मंत्रियों और पुलिस अफसरों के खिलाफ शिकायत दी।

-पुलिस ने शिकायत लेने से भी मना कर दिया था।

-7 नवंबर 2007 को गुजरात हाईकोर्ट ने भी शिकायत को एफआईआर मानकर जांच करवाने से मना कर दिया।

मोदी से भी हुई थी पूछताछ

-26 मार्च 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने दंगों के 10 बड़े केसों की जांच के लिए एक एसआईटी बनाई।

-मार्च 2009 में जकिया की शिकायत की जांच करने का जिम्मा भी सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपा।

-27 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने समन किया और कई घंटों की पूछताछ हुई।

-10 अप्रैल 2012 को मेट्रोपोलिटन मजिस्‍ट्रेट ने माना कि मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story