TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

मचेगी धूम: चमकी दिल्ली की जीटी करनाल रोड, चल रही जोरो-सोरों से तैयारियां

क्या आपको पता है कि इस बार गुरुनानक देव जी 550 वीं जयंती है। जिसकी तैयारियां जोरो-सोरो से चल रही हैं। बात करें अगर गुरुद्वारे की तो ऐसे तो हर गुरुद्वारा अपने में बेहद खास है। पर आपको उस गुरुद्वारे के बारे में पता है जिसकी स्थापना खुद गुरुनानक देव जी ने की थी।

Vidushi Mishra
Published on: 6 Nov 2019 10:17 PM IST
मचेगी धूम: चमकी दिल्ली की जीटी करनाल रोड, चल रही जोरो-सोरों से तैयारियां
X
मचेगी धूम: चमकी दिल्ली की जीटी करनाल रोड, चल रही जोरो-सोरों से तैयारियां

नई दिल्ली : क्या आपको पता है कि इस बार गुरुनानक देव जी 550 वीं जयंती है। जिसकी तैयारियां जोरो-सोरो से चल रही हैं। बात करें अगर गुरुद्वारे की तो ऐसे तो हर गुरुद्वारा अपने में बेहद खास है। पर आपको उस गुरुद्वारे के बारे में पता है जिसकी स्थापना खुद गुरुनानक देव जी ने की थी। जीं हां गुरुनानक देव जी द्वारा स्थापित किया गया ये गुरुद्वारा आज भी दिल्ली में स्थित है। और ऐसा बताया जाता है कि जब 1505 में गुरु नानक साहिब पहली बार दिल्ली आए थे, तब उन्होंने इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी।

यह भी देखें... जबरन शादी के लिए बालिग लड़की को निरुद्ध करने वाले पिता को HC का नोटिस

दिल्ली का पहला गुरुद्वारा

ये गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए बेहद खास महत्व रखता है। ये बहुत पुराना गुरुद्वारा है और साथ ही दिल्ली का पहला गुरुद्वारा है। इसलिए सिख समुदाय के लोग यहां बड़े ही उत्साह के साथ ये जयंती मनाते हैं।

'नानक प्याऊ गुरुद्वारा' है नाम इसका

दिल्ली के इस पहले गुरुद्वारे का नाम है नानक प्याऊ गुरुद्वारा है। अगर आप सोच रहे हैं कि इस गुरुद्वारे का नाम नानक प्याऊ क्यों है? तो चलिए आपको बताते है एक बार जब गुरुनानक जी पहली बार दिल्ली आए तब वो इसी जगह पर रुके थे। आज इस जगह को जीटी करनाल रोड के नाम से जाना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि उस समय इस इलाके में पीने का पानी तक नसीब नहीं होता था। जमीन से खारा पानी निकलता था, जिसके कारण लोग परेशान हो रहे थे। बच्चों की तबियत बिगड़ रही थी।

यह भी देखें... यूपी में अलर्ट: अयोध्या फैसले को लेकर लगातार हो रही बैठकें

उस समय तभी गुरुनानक साहेब ने अपनी शक्ति से, अपनी दृष्टि से, जमीन से मीठा पानी निकाला। जिसके बाद यहां रहने वाले तमाम लोगो ने यहां पानी पिया। जिसके बाद उन्हें हो रही बीमारियां भी खत्म हो गईं।

जीं हां ये सिलसिला 500 साल बाद मतलब की आज भी लगातार चल रहा है। आज भी यहां के कुंए से मीठा पानी निकलता है। आज भी यहां एक प्याऊ है। इसी कारण इस गुरुद्वारे का नाम नानक प्याऊ गुरुद्वारा रखा गया था।

ऐसा मानना है यहां के लोगों का, कि देश भर से लोग यहां आते हैं और इस पानी को पीकर जाते हैं जिसके बाद उनकी तमाम तकलीफें, तमाम बीमारियां खत्म हो जाती हैं।

यह भी देखें... रियल एस्टेट को 10,000 करोड़ रुपये देगी सरकार: निर्मला सीतारमण

गुरुद्वारे के लंगर के पीछे की कहानी

नानक प्याऊ गुरुद्वारे में सबसे पहले लंगर खुद गुरुनानक जी ने शुरू किया था और तब से अब तक यहां लंगर इसी तरह चल रहा है। रोजाना करीब हजारों लोग यहां खाना खाने आते हैं। यहां से कोई भी भूखा नहीं जाता है।

इस पर्व पर दिल्ली के इस गुरुद्वारों में लंगर से लेकर सजावट तक खास तैयारी की जाती हैं। गुरुनानक साहेब की 550वीं जयंती से बड़ा पर्व और कोई हो ही नहीं सकता। इस दौरान गुरुद्वारों में विशाल कीर्तन होना भी निश्चित है।

यह भी देखें... श्रीनगर के हरिनगर मेें आंतकियों ने किया सीजफायर का उल्लघन



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story