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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी फैसले पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने साधी चुप्पी, भाजपा ने खुलकर किया स्वागत
Gyanvapi Case: सोमवार को फैसला सुनाए जाने के बाद कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से अभी तक इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है।
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी के जिला जज ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य बताते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। जिला जज अजय कृष्णा विश्वेश ने सोमवार को इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अदालत श्रृंगार गौरी की पूजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी। इस बड़े फैसले के बाद जहां एक ओर भाजपा ने इसका खुलकर स्वागत किया है वहीं कांग्रेस समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने इस फैसले को लेकर चुप्पी साध रखी है।
वाराणसी की जिला अदालत की ओर से सोमवार को फैसला सुनाए जाने के बाद भाजपा नेता तो खुलकर स्वागत करने में जुटे रहे मगर कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से अभी तक इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। विपक्षी नेताओं में सिर्फ एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने इस बात को लेकर तीखी आपत्ति जताते हुए कहा कि हम इस मामले में भी बाबरी मस्जिद वाली राह पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में मजबूती से पैरवी की अपील की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को निराशाजनक बताया है।
फैसले पर टिप्पणी से बचते रहे कांग्रेस नेता
देश के सामने उठने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया जताने वाले कांग्रेस अभी तक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया। इस फ़ैसले के बाद वाराणसी में खुशी और जश्न का माहौल दिखा मगर कांग्रेस के स्थानीय नेता भी इस मामले में कोई टिप्पणी करने से बचते नजर आए।
स्थानीय नेताओं ने भी इस घटना को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई। सियासी जानकारों का मानना है कि चुनावी समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से बच रही है। वैसे कांग्रेस ही नहीं अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
1991 के एक्ट का किया था समर्थन
इससे पहले गत मई महीने के दौरान सिविल जज सीनियर डिवीजन की ओर से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया गया था। उस समय कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि किसी भी धार्मिक स्थल के स्टेटस में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। अब ज्ञानवापी मामले में जिला जज की ओर से बड़ा फैसला सुनाए जाने के बाद कांग्रेस की ओर से चुप्पी साध ली गई है।
उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के दौरान प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट को लेकर चर्चा हुई थी। इस चर्चा के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का कहना था कि नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान 1991 में यह एक्ट बनाया गया था। उनका कहना था कि हमारा मानना है कि इस एक्ट के पारित होने के बाद धार्मिक स्थलों के स्वरूप में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
ओवैसी ने जताई तीखी प्रतिक्रिया
एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने जरूर इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि वाराणसी की जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में मजबूती से पैरवी की जानी चाहिए। ओवैसी ने कहा कि वाराणसी के जिला जज के आदेश के बाद 1991 के पूजा अधिनियम का उद्देश्य विफल होता दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि हम उसी रास्ते पर जा रहे हैं जिस रास्ते पर बाबरी मस्जिद का मुद्दा था। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के फैसले के समय ही मैंने चेतावनी दे दी थी कि फैसले के बाद आगे चलकर देश में कहीं और समस्याएं पैदा हो जाएंगी क्योंकि यह फैसला आस्था के आधार पर दिया गया था।
रहमानी ने फैसले को निराशाजनक बताया
इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने वाराणसी जिला अदालत के फैसले को निराशाजनक और दुखदायी बताया है। उन्होंने कहा कि 1991 में बाबरी मस्जिद के विवाद के समय की ओर से इस बात की मंजूरी दी गई थी कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर अन्य सभी धार्मिक स्थलों में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। इसके बावजूद इस तरह का फैसला आना निराशाजनक है।
रहमानी ने कहा कि देश की एकता की परवाह न करने वाले लोगों ने ज्ञानवापी का मुद्दा उठाया है और सबसे बड़े अफसोस की बात यह है कि स्थानीय अदालत ने 1991 के कानून की परवाह न करते हुए याचिका को मंजूर कर लिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से देश की एकता प्रभावित होने के साथ सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचेगा और बेवजह का तनाव पैदा होगा।।